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जीएसटी-डे के लिए जश्न की तैयारी में जुटी सरकार, व्यापारी बोले-हम तो बर्बाद हो गए

ट्रेडर का पैसा अब भी वक्त पर नहीं मिल रहे हैं वापस  

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Narendra modi and GST

जीएसटी-डे के लिए जश्न की तैयारी में जुटी सरकार, व्यापारी बोले-हम तो बर्बाद हो गए

सहारनपुर. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू हुए एक साल पूरे होने जा रहे हैं। केन्द्र की मोदी सरकार इसे अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में एेतिहासिक सुधार बताकर जीएसटी की पहली बरसी यानी 1 जुलाई को जीएसटी डे के रूप में मनाने की तैयारी की है। वहीं, व्यापारी अब भी जीएसटी की खामियों से त्रस्त है। व्यापारियों का आरोप है कि जीएसटी का कॉन्सेप्ट तो ठीक था। लेकिन इस सरकार ने इसे सही तरीके से इंप्लीमेंट नहीं किया, जिससे व्यापारियों और ट्रेडरों को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है।

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जीएसटी के एक साल पुरा होने पर सहारनपुर वुड कार्विंग एवं मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के अध्यक्ष शेख फैजान अहमद का कहना है कि जीएसटी को लेकर 1 वर्ष के अनुभव बेहद कड़वे रहे। जीएसटी ने एक्सपोर्ट के कारोबार को जैसे खत्म कर दिया है़। इसका एक बड़ा कारण यह है कि एक्सपोर्टर का हजारों करोड़ रुपिया जीएसटी के नाम पर सरकार के पास ब्लॉक हो गया है। अकेले सहारनपुर में काष्ठ कला उद्योग से जुड़े एक्सपोर्टर का 300 करोड़ से अधिक रुपया सरकार के पास फंसा हुआ है। इस पैसे की वापसी सरकार ने 1 महीने के अंदर करने की बात कही थी, लेकिन आज 12 महीने बीत जाने के बाद भी यह पैसा वापस नहीं मिलता है। यही कारण है कि एक्सपोर्टर का बिजनेस खत्म होने की कगार पर है। एक्सपोर्टर के पास जो पूंजी थी, वह सरकार के पास फंस गई है। ऐसे में सहारनपुर के एक्सपोर्टर ऑर्डर भी पूरा नहीं कर पा रहे है। कारीगर और आर्टिजन को देने के लिए भी उनके पास पैसा नहीं बचा है। उनके पास जो साख थी, वह साख जीएसटी के रूप में सरकार के पास जमा हो गई है। यदि यह पैसा जल्द वापस न मिला तो भारी नुकसान उठाना पड़ेगा और कई एक्सपोर्टर अपने कारोबार को समेटने पर मजबूर हो जाएंगे।

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सामान्य व्यापारियों के अनुभव भी जीएसटी को लेकर बहुत अच्छे नहीं है। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शीतल टंडन का कहना है कि एक वर्ष बीत जाने के बाद आज सहारनपुर में जीएसटी को लेकर समीक्षा बैठक हुई। इस बैठक में सभी वर्गों के छोटे-बड़े सभी व्यापारी यहां मौजूद थे। इस दौरान व्यापारियों ने जो कुछ बताया उससे पता चलता है कि व्यापारी जीएसटी से खुश नहीं है और इसका एक बड़ा कारण यह है कि जीएसटी एक देश एक कर का नारा लेकर आई थी, लेकिन सरकार इसका क्रियान्वयन ठीक तरीके से नहीं कर पाई, जिसकी कीमत वियापारियों को चुकानी पड़ रही है। इस दौरान व्यापारियों ने मांग की, कि रिटर्न की अवधि तिमाही होनी चाहिए, हर माह व्यापारियों को जो रिटर्न भरना पड़ रहा है, उसे काफी दिक्कतें व्यापार में उठानी पड़ रही हैं। खासकर जो छोटे और मझौले व्यापारी हैं, उन्हें भी परेशानी उठानी पड़ रही है।

इवे बिल का स्लैब ₹200,000 होना चाहिए, जो वर्तमान में ₹50,000 है। सहारनपुर के व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी का विरोध नहीं करते। जीएसटी एक अच्छी कर प्रणाली है, लेकिन वह तभी एक अच्छी कर प्रणाली साबित हो सकती है, जब उसका क्रियान्वयन ठीक तरीके से किया जाए। व्यापारियों ने यह भी कहा है कि विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक आज भी पूरे विश्व में भारत की जीएसटी प्रणाली अन्य देशों के प्रति क्लिष्ट है और इसको सरल करने की आवश्यकता है। जब तक यह कर प्रणाली सरल नहीं होगी, तब तक व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ेगा और साथ में सरकार को भी फजीहत मिलती रहेगी। सरकार को चाहिए कि टैक्स की दरों को कम करें। सरकार अगर टैक्स की दरों को कम करेगी तो ज्यादा टैक्स मिलेगा और लोग टैक्स चोरी करने से पीछे हटेंगे।