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Holi Special : उत्तर प्रदेश के इस गांव में होलिका दहन होने पर झुलस जाते हैं भोलेनाथ के पांव

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के बरसी गांव में है महादेव का प्राचीन मंदिर

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Holi Special

सहारनपुर। पूरा देश होली के रंगों में रंगने को तैयार है। ऐसे में हम आपको उत्तर प्रदेश के एक ऐसे गांव में लेकर चलते हैं, जहां होलिका दहन नहीं होता है। इसका कारण जानकर भी आप हैरान रह जाएंगे। इस गांव के लोगों का यह मानना है कि उनके गांव में देवों के देव महादेव बसते हैं और अगर होलिका दहन हुआ तो महादेव के पैर झुलस जाएंगे। वर्षों से इस गांव में यही मान्यता चली आ रही है। इसी मान्यता के मुताबिक, इस गांव में होलिका दहन नहीं होता है। यह गांव सहारनपुर का बरसी गांव है।

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गांव में है प्राचीन मंदिर

केवल इसी गांव के लोग होलिका दहन नहीं करते बल्कि इसके मजरे और आसपास के गांव के लोगों की भी यह मान्यता है। मान्‍यता है कि इस गांव में देवों के देव महादेव का प्राचीन मंदिर है। इसमें महादेव आते हैं। अगर ऐसे में होलिका का दहन किया गया तो महादेव के पैर जल जाएंगे यानि बरसी के आस-पास के कुछ गांव में भी होलिका दहन नहीं किया जाता है।

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यह है मान्‍यता
गंगोह कोतवाली क्षेत्र के कस्बा तीतरो के पास पड़ने वाले बरसी में ऐतिहासिक प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर लाखों लोगों की श्रद्धा का केंद्र है। यही कारण है कि गांव बरसी के पास के गांव ठोल्‍ला बहलोलपुर में भी प्राचीन काल से ही होलिका दहन नहीं होता है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव के लोगों का ऐतिहासिक प्राचीन शिव मंदिर से गहरा जुड़ाव है। उनका मानना है कि इस मंदिर में देवों के देव महादेव वास करते हैं। जब हमने इस गांव के लोगों से बात की तो उन्‍होंने बताया कि उनके गांव में स्थित प्राचीन शिव मंदिर में भोले बाबा रहते हैं। होलिका का दहन होने से जमीन गरम हो जाएगी। ऐसे में जब भोले बाबा मंदिर से निकलेंगे तो गर्म जमीन पर पैर रखते हुए उन्हें कष्ट होगा। यही सोचकर गांव में होलिका दहन नहीं किया जाता है और यह परंपरा कई दशकों से चली आ रही है।

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एक बार जली थी फसल

गांव ठोल्‍ला फतेहचंदपुर के ग्रामीणों का कहना है कि कई दशक पहले जब युवाओं ने जिद की तो गांव में होलिका का पूजन किया गया था। इसके बाद गांव के खेतों में खड़ी गेहूं की फसल जलकर राख हो गई थी और पूरा गांव दाने-दाने के लिए मोहताज हो गया था। ग्रामीणों ने इसे शिव का क्रोध माना था, जिसके बाद से होलिका का दहन बंद हो गया था। बरसी और ढोला फतेहचंद पुर के ग्रामीणों के मुताबिक, उनके गांव की शादीशुदा बेटी को होलिका पूजन के लिए पास के गांव जाना पड़ता है।

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क्या कहते हैं ग्राम प्रधान पति
बरसी गांव की ग्राम प्रधान डोली के पति अनिरुद्ध का कहना है कि उन्होंने तो अपने जीवनकाल में कभी गांव में होलिका का दहन होते हुए देखा ही नहीं है। बुजुर्गों से उन्हें इतनी जानकारी मिली है कि कभी दशकों पहले जब गांव में होलिका का दहन किया गया था तो पूरी फसल बर्बाद हो गई थी। तभी से यह माना जाता है कि होलिका का दहन होने से गांव में बसने वाले भोले बाबा को कष्ट होता है।