इस फतवे पर क्षेत्रीय विधायक कुँवर बृजेश सिंह ने कहा कि देश फतवों से नहीं, संविधान से चलता है। संविधान के नियमों से चलता है। देश के अंदर इस तरह से कोई भी फतवा मायने नही रखता। देश में अभिनय करना और किस रूप में करना है ये उस कलाकार की स्वतंत्र है जो उनका अभिव्यक्ति का अधिकार है।
वहीं, देवबन्दी आलिम मुफ्ती अहमद गोड ने कहा है कि मैंने यह फिल्म तो देखी नही है कि उस फिल्म में इस्लाम से खारिज करने वाली बात है या नहीं। अगर उलेमा ने कोई फैसला लिया है तो इस बारे में क्या तहकीक की गई। इसकी भी पूरी तफ्सील नहीं है। रही बात परदे की और पर्दे को इंकार करने की तो ये बहुत ही आपत्ति जनक बात है। अगर कोई शरीयत के खिलाफ बोलता है चाहे वह कोई भी हो तो यह गुनाह की बात है। पर्दे के अंदर भी कई चीजे हैं। कोई स्कार्फ पहनकर पर्दा करता है। कोई किसी ओर तरिके से। हमारे देवबन्दी मसलक में पुरा चहरा ढककर पर्दा करना है। अगर कोई पर्दे को मना करता है तो वो गुनहगार तो है।