scriptExclusive: यह परिवार खुद काे बताता है रावण का वंशज, दशहरे पर की रावण की पूजा, देखें वीडियाे | Meet the descendant family of Ravana on Dussehra | Patrika News

Exclusive: यह परिवार खुद काे बताता है रावण का वंशज, दशहरे पर की रावण की पूजा, देखें वीडियाे

locationसहारनपुरPublished: Oct 08, 2019 05:44:16 pm

Submitted by:

shivmani tyagi

Highlights

आज तक इस परिवार के सदस्याें ने नहीं देखा लंकापति का दहन
दशहरे पर सुबह करते हैं लंकापति की पूजा, शाम काे रहते हैं घर
रावण राक्षक थे ? जानिए इस सवाल पर क्या बाेला यह परिवार

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रावण

सहारनपुर। विजया दशमी पर आज हम आपकी मुलाकात एक ऐसे उद्यमी परिवार से कराने जा रहे हैं जाे खुद काे रावण (लंकापति) का वंशज बताता है। यह परिवार खुद काे सिर्फ रावण का वंशज ही नहीं बताता बल्कि रावण की पूजा भी करता है।
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(विजयादशमी) दशहरे पर मंगलवार काे सुबह इस परिवार ने रावण का प्रतीमात्कमक चित्र बनाकर पूजा की और शाम काे जब लंकापति के पुतले का दहन हाेगा ताे यह परिवार अपने घर से बाहर नहीं निकलेगा। इस परिवार के सदस्याें का कहना है कि इनसे रावण का पुतला दहन हाेते हुए नहीं देखा जाता। हम बात कर रहे हैं राजपूत समाज से ताल्लुक रखने वाले विश्वजीत पुंडीर के परिवार की।
चर्च कंपाउंड कालाेनी में रहने वाले विश्वजीत पुंडीर सहारनपुर के जाने-माने व्यक्ति हैं। इनके कई सिनेमाघर हैं और रियल स्टेट का भी बिजनेस है। विश्वजीत पुंडीर कहते हैं कि वह लंकापति के वंशज हैं और उनसे लंकापति का दहन नहीं देखा जाता है। यह अलग बात है कि वह भगवान श्री राम में भी आस्था रखते हैं लेकिन साथ ही रावण काे भी बुरा नहीं मानते हैं।
जब विश्वजीत सिंह पुंडीर से रावण के बारे में चर्चा की जाती है ताे वह उनकी अच्छाईयाें काे गिनाते नहीं थकते। उनका कहना है कि रावण बेहद विद्वान थे। उस समय उनके पास पुष्पक विमान था। विश्वजीत पुंडीर यहां बापू का भी उदाहरण देते हैं और कहते हैं कि महात्मा गांधी ने भी कहा है कि पाप से घृणा करें पापी से नहीं।
इस तरह से अपनी बात कहते हुए वह कहते हैं जाे लाेग रावण से घृणा करते हैं उन्हे रावण से नहीं बल्कि रावण के बुरे कार्याें से घृणा करनी चाहिए। अपने जीवन में लंकापति की अच्छाईयाें काे अपनाते हुए उनके बुरे कर्माें से दूर रहना चाहिए। एक सवाल के जवाब में विश्वजीत कहते हैं कि रावण राक्षक नहीं थे। वह क हते हैं कि राक्षक काेई वर्ण नहीं है यह लंका के लाेगाें का पहनावा था जिसे राक्षक मान लिया गया है। विश्वजीत कहते हैं कि वह रावण काे मनुष्य के रूप में ही देखते हैं।
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