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सहारनपुर

विपक्ष को झटका, नानौता चेयरपर्सन रुमाना खान ने समर्थकों के साथ ज्वाइन की भाजपा

रुमाना खान ने लखनऊ में अपने पति पूर्व चेयरमैन अफजाल खान के साथ भाजपा ज्वाइन की। इनके साथ तीन सभासद और समर्थक भी भाजपा में आ गए।

सहारनपुरFeb 08, 2024 / 08:30 am

Shivmani Tyagi

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फाइल फोटो

सहारनपुर के नानौता नगर पंचायत की चेयरपर्सन रुमाना खान ने बुधवार को भाजपा ज्वाइन कर ली।लखनऊ में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम ने रुमाना को समर्थकों के साथ पार्टी में शामिल कराया। इस मौके पर रुमाना के पति पूर्व चेयरमैन अफजाल खान भी समर्थकों के साथ भाजपाई हो गए।
ननौता नगर पंचायत चेयरपर्सन रुमाना खान ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और एतिहासिक जीत हांसिल की थी। इसके बाद से ही कहा जा रहा था कि वे कोई राजनीतिक पार्टी ज्वाइन करेंगी। कई दिनों से रुमाना के भाजपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जा रहे थे। इनके साथ पूर्व चेयरमैन अफजाल खान अपने तीन सभासदों व साथियों के साथ बुधवार को लखनऊ पहुंचे और भाजपाई हो गए। लखनऊ में भाजपा पार्टी के मुख्यालय पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इन्हे पार्टी में शामिल कराया।
रुमाना खान ने निकाय चुनाव में बसपा प्रत्याशी निशात फात्मा को मात दी थी। इस जीत के बाद से ही चर्चाएं थी कि रुमाना खान किसी पार्टी को ज्वाइन करेंगी। जीत के बाद रुमाना खान ने बसपा सुप्रीमो मायावती से भी मुलाकात की थी। इसके बाद रुमाना बसपा में नहीं बल्कि भाजपा में शामिल हुई। इस ज्वाइनिंग के बाद उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में में सभी वर्गों का सम्मान है। उन्होंने कहा कि बढ़ते विकास और भाजपा में मुस्लिमों की भागीदारी को देखते हुए उन्होंने भी भाजपा ज्वाइन की है। लखनऊ में कार्यक्रम में रुमाना खान के साथ सभासद शाहिद खान उर्फ कालू, आमना सादिक सैफी, मौहम्मद फराज सिद्दीकी उर्फ शब्बू, पूर्व सभासद अफजल खान, पूर्व उप ब्लाक प्रमुख शमशेर खान, सलमान मलिक और अनीश कुरैशी समेत अन्य समर्थक मौजूद रहे।

रुमाना का राजनीतिक सफर
रुमाना के पति पूर्व चेयरमैन अफजाल खान 2006 में सबसे पहले नगर पंचायत के सभासद बने। इसके बाद इन्होंने बसपा ज्वाइन कर ली थी। बसपा को छोड़कर अफजाल खान ने कांग्रेस के टिकट पर 2012 का चुनाव लड़ें और चेयरमैन बन गए लेकिन 2017 के निकाय चुनाव में कांग्रेस से लड़ते हुए हार गए। 2022 में इन्होंने कांग्रेस को छोड़ दिया और समाजवादी पार्टी के हो लिए। निकाय चुनाव में टिकट कटने की आशंका हुई तो फिर से बसपा में घर वापसी कर ली इसके बाद निकाय चुनाव में बसपा से भी टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय ही चुनाव मैदान में कूद पड़े रुमाना को चुनाव में उतार दिया और जीत हांसिल की।

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