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सहारनपुर प्रकरणः ताे अब रामनगर गांव के पास भी नहीं रहना चाहते लाेग, बिकने घर

सहारनपुर के रामनगर गांव के पास अब खुद काे सुरक्षित नहीं समझ रहे लाेग बिकने लगी प्राेपर्टियां

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सहारनपुर। 9 मई की घटना के बाद सहारनपुर का रामनगर गांव आैर मल्हीपुर राेड समाज की नजराें में भी संवेदनशील श्रेणी में आ गया है। दाे साल में यहां एक ही तारीख काे हुई दाे घटनाआें ने रामनगर गांव आैर मल्हीपुर राेड काे लेकर लाेगाें की साेच बदल दी है। हालात यह हैं कि अब रामनगर गांव के आस-पास भी लाेग रहना नहीं चाहते। पिछले वर्ष 9 मई काे भीम आर्मी ने रामगनर गांव में इकट्ठा हाेकर मल्हीपुर राेड पर वाहनाें काे आग लगा दी थी। पुलिस चाैकी फूंक दी थी आैर जमकर तांडव किया था। इस घटना के बाद कई महीनाें तक लाेग मल्हीपुर राेड काे संवेदनशील मानते रहे आैर यहां प्राेपर्टी में काफी डाऊन आया। पिछले वर्ष हुई घटना के बाद कई महीनाें तक काेई खरीददार मल्हीपुर राेड की आेर नहीं पहुंचा उल्टे पिछले वर्ष 9 मई की घटना के बाद मल्हीपुर राेड के आस-पास की प्राेपर्टियां लाेगाें ने बेचने के लिए निकाल दी थी लेकिन यहां खरीददार भी नहीं मिल रहे थे। इसके बाद कुछ हालात बदले आैर पिछले कुछ महीनाें में यहां प्राेपर्टी सस्ती हाेने के बाद कुछ इनवेस्टर ने हाैंसला दिखाते हुए मैरिज हॉल आैर पेट्राेल पंप बनाए। इन दाे इनवेस्टर के बाद यहां उम्मीद जग रही थी कि मल्हीपुर राेड की आेर शहर का विकास हाेगा आैर यहां बनाई गई कालाेनियां विकसित हाेंगी लेकिन इसके बाद भी उम्मीद के मुताबिक खरीददार इस राेड की आेर नहीं बढ़े। अभी इनवेस्टर यहां यहां उम्मीद लगाए ही बैठे थे कि अब 9 मई काे एक बार फिर से हुई इस घटना ने इनवेस्टर काे तगड़ा झटका दे दिया। अब यहां एक बार फिर हालात बिगड़ गए हैं आैर फिर से खरीददाराें ने मल्हीपुर राेड की आेर से मुंह माेड़ लिया है। शहर की यह अकेली एेसी राेड है जिस पर आबादी आैर बसावट नहीं हाे पा रही। सनसिटी के नाम से यहां कई वर्ष पहले एक कालाेनी बनाई गई थी लेकिन एक दशक के बाद भी इस कालाेनी में बसावट पूरी नहीं हाे सकी है। लक्ष्य विहार कालाेनी रामनगर से बिल्कुल सटी हुई कालाेनी है इस कालाेनी में भी पिछले एक दशक में कुछ परिवार रहने के लिए आए लेकिन अब ये परिवार भी यहां रहना नहीं चाहते आैर इन्हाेंने भी अपने मकान बिक्री के लिए निकाल दिए हैं। रामनगर गांव के पास बनी करीब एक दर्जन कालाेनियां एेसी हैं जिनमें एक दशक के बाद भी इक्का दुक्का परिवार ही रहने के लिए हिम्मत जुटा पाए हैं आैर इस घटना के बाद उन्हाेंने भी अपना मन रामनगर गांव से दूर रहने का बना लिया है। यही कारण है कि यहां अब प्राेपर्टियां बिकने लगी हैं लेकिन काेई खरीददार नहीं है। रामनगर गांव के आस-पास की दर्जनभर कालाेनियाें में कमीशन पर प्राेपर्टी का काम करने वाले एक प्राेपर्टी डीलर ने अपनी पहचान छिपाए रखने की शर्त पर बताया है कि 9 मई की इस घटना के बाद तीन बड़े साैदे वापस हाे गए हैं आैर पैसा बयाने के रूप में आया था अब खरीददार उसे भी वापस मांग रहे हैं।