
सहारनपुर। भीम आर्मी नेता के भाई की संदिग्ध हालात में गोली लगने से हुई मौत की घटना का डीआईजी सहारनपुर शरद सचान ने मंगलवार को खुलासा कर दिया है। सहारनपुर पुलिस लाइन में पत्रकारों से वार्ता करते हुए डीआईजी ने बताया कि सचिन की किसी ने हत्या नहीं की थी, बल्कि सचिन अपने 7 दोस्तों के साथ एक मकान में बैठा हुआ था और यही पर तमंचा लोड करते हुए सचिन को गोली लग गई थी। यह गोली प्रवीण उर्फ मांडा पुत्र पूरण सिंह से चली थी। पुलिस ने प्रवीण को गिरफ्तार कर लिया है, जिसने अपने बयानों में पूरी घटना का खुलासा करते हुए बताया कि जिस वक्त मल्हीपुर रोड स्थित महाराणा प्रताप भवन में महाराणा प्रताप जयंती कार्यक्रम चल रहा था। उसी दौरान वह सब रामनगर में ही निहाल नाम के व्यक्ति के घर पर बैठे हुए थे और तमंचा चेक कर रहे थे। डीआईजी के मुताबिक प्रवीण ने पुलिस को दिए अपने बयानों में बताया है कि उसे मालूम नहीं था कि तमंचे में गोली है और इसी दौरान अचानक उससे गोली चल गई। गोली सचिन वालिया के मुंह पर लगी, जिससे उसकी मौत हो गई। इस घटना से वह घबरा गए थे़। पहले वह मौके से भाग गए। अफरा-तफरी मच गई , लेकिन बाद में सचिन को लेकर अस्पताल पहुंचे। चौका देने वाले इस खुलासे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिन लोगों ने एक्सीडेंट की इस घटना को हत्या बताते हुए गलत तहरीर दी। इस पूरी घटना को बदलने की कोशिश की और हंगामा करते हुए जातीय हिंसा भड़काने की कोशिश की। उन सभी के खिलाफ पुलिस अब क्या कार्रवाई करेगी ? इन सभी सवालों पर डीआईजी सहारनपुर शरद सचान ने कहा कि अभी इन्वेस्टीगेशन जारी है।
ऐसे हुई थी घटना
डीआईजी सहारनपुर शरद सचान के मुताबिक पूछताछ करने पर गिरफ्तार अभियुक्त प्रवीण ने पुलिस को बताया कि 9 मई को जब मल्हीपुर रोड स्थित महाराणा प्रताप भवन में महाराणा प्रताप जयंती समारोह चल रहा था उस दौरान वह राम नगर स्थित अपनी दुकान पर मौजूद था। इसी दौरान सचिन वालिया ने फोन करके उसे निहाल के घर पर बुलाया। वहां सचिन के साथ 6 लोग पहले से ही मौजूद थे। प्रवीण के मुताबिक जब वह निहाल के घर पर पहुंचा तो वहां पहले से ही सचिन वालिया समेत गुल्लू निवासी गलीरा, राहुल निवासी कोरी, शिवम निवासी नयागांव के अलावा नितिन और चंकी समेत निहाल मौजूद था। ये सभी लोग एक साथ बैठे हुए थे। प्रवीण ने बताया कि वहां एक तमंचा भी था जिसको सभी लोग बारी-बारी से देख रहे थे चेक कर रहे थे। प्रवीण के मुताबिक जब उसने तमंचे को चेक किया तो अचानक उससे ट्रिगर दब गया और तमंचे के ट्रिगर दबने से गोली चल गई। गोली सामने बैठे सचिन वालिया के मुंह पर लगी जिससे सचिन की मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक इस घटना के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई और सभी लोग बेहद घबरा गए। इधर-उधर भाग गए लेकिन कुछ ही देर बाद दोबारा सभी वापस लौटे और सचिन वालिया को अस्पताल ले जाने के लिए दौड़े लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई।
इसके बाद इस घटना को लेकर हंगामा हो गया और सचिन वालिया की मां कांति देवी की ओर से तहरीर दी गई जिसमें आरोप लगाया गया कि महाराणा प्रताप जयंती समारोह में मौजूद लोगों ने सचिन की गोली मारकर हत्या कर दी है। इस घटना के बाद सहारनपुर में एक बार फिर से माहौल खराब हो गया था और जातीय हिंसा भड़कने की आशंका प्रबल हो गई थी। इतना ही नहीं भीम आर्मी के पदाधिकारियों और मृतक सचिन वालिया के परिजनों के अलावा सहारनपुर जिला अस्पताल में इकट्ठा हुए हजारों दलित समाज के लोगों ने हंगामा करते हुए पुलिस के साथ हाथापाई कर दी थी और आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग करते हुए शव का पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया था। पुलिस घंटों की मशक्कत के बाद इन लोगों से शव लेकर उसे मोर्चरी में रखने में कामयाब हो सकी थी। उस दिन पूरे सहारनपुर में फोर्स तैनात कर दिया गया था। ऐसा लग रहा था कि एक बार फिर से सहारनपुर जातीय हिंसा की आग में जल सकता है और इसके लिए हंगामा कर रहे लोगों की ओर से पूरे प्रयास भी किए गए, लेकिन गनीमत रही कि कोई घटना नहीं हुई। इसी दौरान एक वीडियो सामने आया, जिसमें कुछ लोग गांव में खून के धब्बों को सड़क से धो रहे थे यानी सबूत मिटाने की कोशिश कर रहे थे। जैसे ही यह वीडियो सामने आया तो प्रथम दृष्टया यह पूरी घटना संदिग्ध लगने लगी। सहारनपुर एसएसपी बबलू कुमार ने घटना के कुछ ही देर बाद मीडिया में एक बयान दिया, उन्होंने बताया कि पूरी घटना अभी संदिग्ध लग रही है परिजनों की ओर से आई तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है लेकिन पूरे मामले की जांच की जा रही है।
Published on:
15 May 2018 09:22 pm
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