सहारनपुर।
कश्मीर में सैनिकों पर पथराव करने के लिए युवा पीढ़ी को किस तरह से तैयार किया जाता है यह खुलासा कश्मीर में फंसे सहारनपुर के युवकों ने किया है। 4 महीने तक कश्मीर में रहे युवक अब सहारनपुर लौटे तो उन्होंने बताया कि वहां इन्हें पत्थर फेंकने के लिए मजबूर किया जाता था। खाना नहीं दिया जाता था और मना करने पर गंदगी तक साफ कराई जाती थी। सहारनपुर लौटे इन युवकों से अब खुफिया विभाग और सुरक्षा एजेंसियों के एक्सपर्ट बातचीत कर रहे हैं। इनसे जानकारी ली जा रही है कि 4 महीने तक वहां इन्हाेंने क्या क्या देखा और किस तरह से जो पत्थरबाज हैं वह युवाओं को पथराव करने के लिए मजबूर करते हैं। सेना पर पत्थर फेंकने के लिए उन्हें मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दी जाती है। सहारनपुर के ननोता थाना क्षेत्र के रहने वाले हसीब उर रहमान और नकुड़ थाना क्षेत्र के जुड्डी गांव के रहने वाले पंकज और बबलू ने प्राथमिक पूछताछ में यह बताया है कि जनवरी माह में वह टेलरिंग का काम करने के लिए कश्मीर गए थे उनके साथ बागपत के भी कुछ लड़के थे। इनमें तीन युवक सहारनपुर के थे और पांच युवक बागपत और बड़ोत के रहने वाले थे। बताया कि बागपत के गांव लोहारा सराय और गाजियाबाद जिले के लाेनी निवासी दो युवक इन्हें ₹20000 प्रतिमाह का वेतन दिलाए जाने के नाम पर कश्मीर लेकर गए थे 24 जनवरी 2018 को यह सभी पुलवामा स्थित इंडस्ट्रियल एरिया की एक फैक्ट्री में पहुंच गए और वहां पर इन्होंने काम शुरू कर दिया। एक युवक बबलू ने बताया कि पहले 2 माह तक इन्हें वेतन भी दिया गया लेकिन यह वेतन इन के सीधे बैंक खाते में भेजा गया इनको हैंड कैश नहीं दिया गया और इनके पास कश्मीर में कोई पैसा नहीं था। दो महीने बाद इनको टॉर्चर किया जाने लगा और इन्हें यह कहा जाने लगा कि टेलरिंग का काम अब बंद पड़ गया है। फैक्ट्री में ऑर्डर नहीं है काम नहीं आ रहा है ऐसे में अगर इनको पैसा चाहिए नौकरी चाहिए तो पत्थरबाजों के साथ जाना होगा और सेना पर पत्थर फेंकने होंगे। बबलू पंकज और हसीब उर रहमान का यह दावा है कि उन्होंने लाख प्रताड़ना ही सही लेकिन सेना के जवानों पर पत्थर फेंकने से साफ इंकार कर दिया गय। इसके लिए उन्हें भूखा भी रखा गया आैर इनसे गंदगी भी साफ कराई गई गाड़ियां भी धुलवाई गई लेकिन इन्होंने साफ इंकार कर दिया कि हम सेना के जवानों पर पत्थर नहीं फेकेंगे। इन तीनों युवकों ने जो कहानी बताई है उसके मुताबिक बेहद नाटकीय ढंग से यह लोग कश्मीर से वापस सहारनपुर पहुंचते हैं पुलिस अभी इनकी इस कहानी पर विश्वास कर कर चल रही है लेकिन इनसे अलग अलग पूछताछ की जा रही है और वहां क्या महाैल रहता था। इस बारे में जानकारी करने की कोशिश की जा रही है पुलिस अभी यह पता लगा रही है कि इनकी कहानी में कितनी सच्चाई है। सवाल यह है कि जब 2 महीने बाद ही इन को वेतन देना बंद कर दिया गया था तो फिर इतने दिनों तक यह लोग वहां कैसे रूके । पड़ताल यह भी की जा रही है कि कहीं इन्हाेंने भी सैनिकों पर पत्थर ताे नहीं बरसाए। सहारनपुर एसएसपी बबलू कुमार का कहना है कि मामला गंभीर है और इन युवकों से पूछताछ की जा रही है बागपत जिले के जिन लोगों का नाम सामने आया है उनसे भी पूछताछ की जाएगी उनका भी पता लगाया जा रहा है और इस पूरे मामले पर पैनी नजर रखी जा रही है इस घटना को इस घटना को लेकर कश्मीर पुलिस से संपर्क किया जाएगा।