
वट वृक्ष
सहारनपुर। साेमवती अमावस्या या कह लीजिए बड़ मावस या वट अमावस्या अगर आप भी आज वट वृक्ष की टहनी ताेड़कर उसकी पूजा कर रहे हैं ताे यह खबर आपके लिए ही है। दरअसल आज के दिन वट वृक्ष की पूजा करने और वट वृक्ष लगाने का विशेष महत्व है जबकि हम वट वृक्ष की टहनियां ताेड़ने लगे हैं, वट वृक्ष काे आज के ही दिन नुकसान पहुंचाने लगे हैं। आईए जानते हैं सही पूजा विधि बता रहे हैं आचार्य पंडित राेहित वशिष्ठ।
साेमवती अमावस्या पर व्रत का भी विशेष महत्व है। यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को किया जाता है। इस व्रत को माताएं स्थानीय भाषा में "बड़ मावस" भी कहती हैं। इस बार खास बात यह है कि इसी अमावस्या को शनि जयंती भी मनाई जाती है। ज्येष्ठ मास की अमावस्या को ही भगवान सूर्य नारायण के पुत्र शनि देव का अवतार हुआ था।
सोमवार को होने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। सोमवती अमावस्या होने के कारण इस अमावस्या का महत्व और अधिक बढ़ गया है। इस दिन प्रातः काल स्नान दान आदि का एवं अपने पितरों के निमित्त तर्पण आदि करने का विशेष फल मिलता है।
साेमवार आज के दिन बड़ का पेड़ लगाने का बड़ा पुण्य है। इसलिए सौभाग्य की वृद्धि चाहने वाले व्यक्ति को अपने हाथ से उचित स्थान पर एक बड़ का पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। उस पेड़ की वर्षभर सेवा करनी चाहिए।
धर्म शास्त्रों में पूजनीय वृक्षों को नष्ट करने का बड़ा दोष बताया है।
सनातन धर्म में वृक्ष आदि के पूजन का अधिक फल कहा गया है । स्थानीय लोक रीति हो गई है कि बड़ मावस के दिन प्रातः काल ही हम वट वृक्ष के पत्तों को तोड़कर वृक्ष को नष्ट करने की कोशिश करते हैं। प्रकृति के संतुलन के लिए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि वृक्ष को नष्ट करने के बजाय नया पेड़ लगाना चाहि।
ऐसे करें वट वृक्ष की पूजा
वट वृक्ष के समीप जाकर सर्वप्रथम वटवृक्ष को प्रणाम करें , जल चढ़ाएं, अक्षत अर्पण करें , पुष्प अर्पण करें , दीपक जलाएं और सूत का धागा लेकर वृक्ष की 108 परिक्रमा करें।
इस दिन महिलाएं अपने घर की वृद्धि की भी पूजा करती हैं घर में सास ससुर को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लेने का भी बड़ा पुण्य कहा गया है। राजा सत्यवान और सावित्री का चरित्र भी अवश्य श्रवण करना चाहिए ऐसा करने से भी स्त्री के सौभाग्य में वृद्धि होती हैं।
Published on:
03 Jun 2019 10:44 am
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