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एमरजेंसी ब्रेक लगाने से तुरंत नहीं रुकती ट्रेन, जानिए कैसे काम करता है ट्रेन का ब्रेकिंग सिस्टम

ट्रेन में अलग से काेई एमरजेंसी ब्रेक नहीं हाेते एक्सपर्ट के मुताबिक प्रेशर वॉल्व काे अधिक डाऊन कर देना ही एमरजेंसी ब्रेक कहलाता है।

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सहारनपुर।

अमृतसर में हुई रेल दुर्घटना के बाद यह कहा जा रहा है कि अगर पायलट (ट्रेन चालक) एमरजेंसी ब्रेक लगा देता ताे हाद्सा टल सकता था लेकिन इस तरह के कयास लगाने से पहले यह जान लेना बेहद जरूरी है कि ट्रेन में एमरजेंसी ब्रेक हाेते ही नहीं ! दरअसल ब्रेक वॉल्व काे ही तेजी के साथ डाऊन कर देना एमरजेंसी ब्रेक कहलाता है। जाे लाेग यह मानते हैं कि एमरजेंसी ब्रेक लगाने से ट्रेन तुरंत रुक जाती है ताे उन्हे यह भी जान लेना चाहिए कि रेलवे के ही स्टैंडर्ड मानकाें के अनुसार एमरजेंसी ब्रेक लगाने पर भी एक मेल पैसेंजर ट्रेन काे रुकने में करीब 750 मीटर का समय लगता है। यानि अगर रफ्तार पर दाैड़ रही ट्रेन में एमरजेंसी ब्रेक लगा दिए जाएं ताे रुकते-रुकते भी वह करीब 750 मीटर की दूरी तय कर लेती है। यही कारण है कि काेहरे में ट्रेनाें की रफ्तार काे 30 से 40 किलाेमीटर प्रतिघंटा कर दिया जाता है क्याेकि काेहरे में पायलट आगे सिर्फ कुछ मीटर तक ही देख पाता। एेसे में कम रफ्तार पर दाैड़ रही ट्रेन काे एमरजेंसी ब्रेक लगाकर राेका जा सकता है लेकिन रफ्तार पर दाैड़ रही ट्रेन काे एमरजेंसी ब्रेक लगाकर तुरंत राेकना मुश्किल हाेता है इतना ही नहीं एमरजेंसी ब्रेक लगाने से खतरा आैर बढ़ सकता है, एमरजेंसी ब्रेक लगाने से अप्रत्याशित दुर्घटना हाेने की आशंका भी प्रबल हाे जाती है।

यह खतरें बढ़ जाते हैं एमरजेंसी ब्रेक लगाने से

यात्रियाें काे लग सकती है चाेट

यदि किसी रफ्तार पर दाैड़ती ट्रेन में अचानक एमरजेंसी ब्रेक लगा दिए जाए ताे ट्रेन की प्रत्येक बाेगी में सवार यात्रियाें काे तगड़ा झटका लगता है। इस झटके से नीचे आैर ऊपर की बर्थ पर सवार यात्री गिरकर गंभीर रूप से घायल भी हाे सकते हैं।

ब्रेक पैड में लग सकती है आग

एमरजेंसी ब्रेक लगाने से ट्रेन के ब्रेक पैड में आग लग सकती है। घर्षण की वजह से ब्रेक पैड पहिए पर चिपककर ट्रेन के चक्के काे पूरी तरह से जाम कर सकते हैं एेसे में दाेबारा ट्रेन के चलने में भी परेशानी हाे सकती है।

डिरेल हाेने का भी बना रहता है खतरा

ट्रेन की ब्रेक प्रणाली सड़क मार्ग पर दाैड़ने वाले वाहनाें से बिल्कुल अलग हाेती है। दरअसल ट्रेन के इंजिन में बैठा पायलट ट्रेन की प्रत्येक बाेगी के पहियाें पर ब्रेक लगाता है। एेसे में अगर रफ्तार दाैड़ रही ट्रेन में अचानक एमरजेंसी ब्रेक लगा दिए जाए ताे ट्रेन के डीरेल हाेने का खतरा भी बढ़ जाता है। अगर उस समय ट्रेन सीधे ट्रैक पर ना हाे आैर ट्रैक में घुमाव हाे ताे यह खतरा आैर अधिक हाे जाता है आैर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ट्रेन पटरी से उतर भी सकती है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

अपना नाम छिपाए रखने की शर्त पर सहारनपुर लाेकाे स्टाफ के सीनियर इंजीनियर ने बताया कि ट्रेन में अलग से काेई एमरजेंसी ब्रेक नहीं हाेते। ट्रेन का ब्रेक सिस्टम एयर प्रेशर ( वायु दबाव) पर काम करता है। पायलट के केबिन में प्रेशर वॉल्व हाेती है। इस वॉल्व से प्रेशर काे कम किया जाता है। प्रेशर कम करने की करीब 6 अलग-अलग स्टेज हाेती है आैर इसमें अंतिम स्टेज काे जहां सारे प्रेशर काे खत्म कर दिया जाता है उसे ही एमरजेंसी ब्रेक कहते हैं।

क्या कहते हैं डीआरएम

अंबाला डिवीजन के मंडलीय रेल प्रबंधक दिनेश चंद्र शर्मा का कहना है कि ट्रेन के पायलट काे किन हालाताें में कितने ब्रेक लगाने चाहिए यह सभी पायलट काे पता रहता है। सभी काे ट्रेनिंग दी जाती है। समय-समय पर अपडेट ट्रेनिंग भी पायलट लेते हैं लेकिन बड़ा मुद्दा यह है कि ट्रेन की पटरी ट्रेन के चलने के लिए है, जब तक लाेगाें काे यह बात अच्छी तरह से समझ नहीं आएगी तब तक दुर्घटनाआें की आशंकाएं बनी रहेंगी।