सुनने आैर पढ़ने में ये पंक्तियां मदर्स-डे पर आयाेजित हाेने वाले किसी नाटक की लगती हैं लेकिन वास्तव में यह एसएसपी आैर एक सिपाही के बीच छुट्टी काे लेकर हुए वास्तविक संवाद की कहानी है। यह घटना यूपी के सहारनपुर की है। राेजाना की तरह मगंलवार काे भी सहारनपुर एसएसपी बबलू कुमार पुलिस लाईन स्थित अपने कार्यालय में डेली वर्क निपटाने के साथ-साथ फरियादियाें काे सुन रहे थे। इसी बीच एक हरेंद्र त्यागी का नाम का एक सिपाही उनके कार्यालय में आता है। सिपाही के हाथ में छुट्टी की एक एप्लीकेशन थी आैर जिसे वह चाहते हुए भी एसएसपी के सामने रखने की हिम्मत नहीं जुटा रहा था। कारण भी था, दरअसल पिछले दिनाें ही हरेंद्र ने किसी जरूरी कार्य से छुट्टी ली थी। अब मां की तबियत खराब हाेने के कारण एक बार फिर से हरेंद्र काे छुट्टी काे जरूरत पड़ गई। एेसे में वह अपनी एप्लीकेशन में सिर्फ दाे दिन की छुट्टी लिखकर लाया था आैर इस दाे दिन की छुट्टी की एप्लीकेशन काे भी वह एसएसपी के समक्ष रखने से हिचकिचा रहा था। इसी बीच अचानक एसएसपी का ध्यान इस सिपाही पर पड़ा आैर एसएसपी बबलू कुमार खुद ही बाेल पड़े, अरे त्यागी अब क्या हुआ अब किसलिए तुम्हे छुट्टी चाहिए ? इस पर सिपाही कुछ नहीं बाेला ताे एसएसपी ने कहा कि क्या हाे गया ये मुंह क्याे लटका रखा है ? इस पर सिपाही ने खुद काे संभालते हुए कहा कि साहब मां की तबियत ठीक नहीं है। गांव से पता आया है मां काे दिखाने के लिए डॉक्टर के पास ले जाना है इसलिए आपसे दाे दिन की छुट्टी मांगने आया हूं। मां की तबियत ठीक नहीं है, यह सुनकर आईपीएस बबलू कुमार का भावुक हाे गए आैर सिपाही से बाेले कि बेटा मां की अच्छे से सेवा करना। मां के लिए सिर्फ दाे दिन बेहद कम हैं। मैं तुम्हे दाे नहीं पांच दिन की छुट्टी दे रहा हूं गांव जाकर अच्छे से मां की सेवा करना आैर किसी अच्छे डॉक्टर काे दिखाना। एसएसपी की यह बात सुनकर सिपाही की आंखे भी नम हाे गई।