Sambhal News: यूपी के संभल जिले के गांव निवासी अधिवक्ता की सांड के हमले में गंभीर रूप से घायल होने के बाद इलाज के दौरान मौत हो गई।
Lawyer injured in bull attack dies in sambhal: संभल जिले के पचाक गांव निवासी अधिवक्ता धर्मेश कुमार की सांड के हमले में गंभीर रूप से घायल होने के बाद बरेली के अस्पताल में मौत हो गई। धर्मेश कुमार बदायूं जिला न्यायालय से काम निपटाकर घर लौट रहे थे, तभी रास्ते में एक उग्र सांड ने उन पर हमला कर दिया। यह हादसा कोतवाली बिसौली क्षेत्र के ग्राम भटपुरा में हुआ। घटना के बाद घायल अधिवक्ता को गंभीर हालत में पहले सीएचसी बिसौली लाया गया और फिर वहां से बरेली के रुहेलखंड अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां गुरुवार सुबह उनकी मौत हो गई।
धर्मेश की पत्नी वर्षा देवी ने बताया कि 9 जुलाई को उनके पति न्यायिक कार्य के सिलसिले में जिला न्यायालय बदायूं गए थे। शाम करीब 7:30 बजे जब वह बाइक से घर लौट रहे थे, तभी ग्राम भटपुरा के पास सड़क पर खड़े सांड ने उन पर अचानक हमला कर दिया। सांड की टक्कर से वह सड़क पर गिर पड़े और उन्हें गंभीर चोटें आईं।
पुलिस को राहगीरों द्वारा हादसे की सूचना दी गई, जिसके बाद पुलिस ने परिजनों को जानकारी दी। परिजन मौके पर पहुंचे और उन्हें बिसौली सीएचसी ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें हालत गंभीर देख बरेली रेफर कर दिया।
रुहेलखंड अस्पताल में धर्मेश कुमार का इलाज जारी था, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। गुरुवार सुबह करीब 9:15 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया। जैसे ही यह दुखद खबर उनके गांव पहुंची, पूरे गांव में मातम पसर गया। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। गांव के लोग भी इस दर्दनाक हादसे से स्तब्ध हैं।
धर्मेश कुमार अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। उनके परिवार में पत्नी वर्षा देवी के अलावा चार छोटे-छोटे बच्चे हैं - सात वर्षीय अमृता, पांच वर्षीय अदिति, तीन वर्षीय आरव और मात्र तीन माह की बेटी अन्वी। पिता की असामयिक मौत से इन मासूम बच्चों के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया है। इस हादसे को लेकर परिजनों में जहां गहरा शोक है, वहीं स्थानीय ग्रामीणों में भी नगर प्रशासन और पशुपालन विभाग के खिलाफ नाराजगी है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि आवारा पशुओं पर लगाम नहीं लगाई जा रही, जिससे ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
गांव के लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि आवारा सांडों को जल्द से जल्द पकड़कर गोशालाओं में भेजा जाए। यदि समय रहते ऐसी घटनाओं को रोका नहीं गया, तो और भी निर्दोष लोगों की जान जा सकती है।