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भ्रामक जानकारी से सावधान! ‘नहीं हो रही है 1978 के दंगे में कोई जांच’, एसपी संभल ने क्या कहा?

उत्तर प्रदेश के संभल में 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगे की यादें एक बार फिर ताजा हो गई हैं। इस दंगे में शाही जामा मस्जिद के मौलवी की हत्या के बाद हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें 180 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। मामले में चल रही भ्रामक खबरों पर एसपी संभल ने बयान दिया है।

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sambhal riots 1978

हाल ही में खबर आई कि 1978 के दंगे की फाइल फिर से खोली जा रही है। इस पर संभल के एसपी केके बिश्नोई ने बयान जारी कर स्पष्ट किया कि दंगे की कोई नई जांच नहीं हो रही है।

भ्रामक जानकारी पर एसपी संभल ने क्या कहा

एसपी संभल ने केके बिश्नोई कहा कि यह भ्रामक है कि पुलिस इस मामले को दोबारा जांच रही है। उन्होंने बताया कि बीजेपी के एक एमएलसी ने 1978 के दंगे से जुड़ी जानकारी मांगी थी, जिसे एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध करा दिया जाएगा। बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में 1978 के दंगे का जिक्र करते हुए सवाल उठाया था कि दंगा पीड़ितों को उस समय न्याय क्यों नहीं मिला।

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सीएम योगी के बयान पर लग रहे कयास

इस बयान के बाद कयास लगाए जाने लगे कि दंगे की फाइल दोबारा खोली जा सकती है। इसके बाद विधान परिषद के सदस्य श्रीचंद शर्मा ने भी इस मामले से जुड़ी रिपोर्ट मांगी थी। बताया जा रहा है कि इससे संबंधित कुछ दस्तावेज अधिकारियों ने संभल प्रशासन से मंगवाए हैं। दरअसल 1978 के दंगे के बाद मामला कोर्ट में पहुंचा था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उस समय लगभग 80 आरोपियों पर मुकदमा चला लेकिन सभी को एडीजे सेकेंड की कोर्ट ने बरी कर दिया। इसके बाद तत्कालीन सरकार ने मामले की पैरवी नहीं की जिससे यह फाइल बंद कर दी गई।

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क्या है मौजूदा हालात

हाल ही में 46 साल बाद संभल के कार्तिकेय महादेव मंदिर का ताला खुला, तो कई दंगा पीड़ित दर्शन के लिए पहुंचे। इस दौरान उन्होंने अपनी आपबीती साझा की। पीड़ितों ने बताया कि उस समय उन्हें न्याय नहीं मिल पाया, और सरकार ने उनके साथ खड़े होने की बजाय मामले को दबा दिया।