Sambhal News: संभल से सपा सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क को राजकीय सम्मान के साथ आज बुधवार को सुपुर्द-ए-खाक किया गया।
Dr Shafiqur Rahman Barq Laid to Rest: डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क की पॉपुरैलिटी को देखते हुए प्रशासन ने चौधरी सराय चौराह से कब्रिस्तान से करीब 4 किमी तक रूट डायवर्ट कर दिया था। सिर्फ VIP वाहनों की एंट्री थी। बर्क के आखिरी दर्शन में 60 हजार से ज्यादा लोग जुटे। जब उनका जनाजा कब्रिस्तान के लिए रवाना हुआ, तो 4 किलोमीटर तक पैर रखने की जगह नहीं थी। महिलाएं-बच्चों ने छतों पर चढ़कर उनके अंतिम दर्शन किए।
मंगलवार को हुआ था निधन
94 साल के डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क (Dr Shafiqur Rahman Barq) का मंगलवार को निधन हुआ था। 20 दिन पहले किडनी में इन्फेक्शन बढ़ने के बाद उन्हें मुरादाबाद के निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था। मंगलवार सुबह 9 बजे उन्हें दिल का दौरा पड़ा। करीब 9.45 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को संभल के बैंक्वेट हॉल लाया गया।
अच्छा और अनुभवी नेता खो दिया- चंद्रशेखर आजाद
रात में पार्थिव शरीर को नहलाने के लिए घर ले गए थे। इसके बाद फिर से बैंक्वेट हॉल लेकर आए थे। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रेशखर आजाद और सपा नेता धर्मेंद्र यादव, एचटी हसन, पिंकी यादव और बर्क की ख़िलाफत करने वाले संभल विधायक इकबाल महमूद भी पहुंचे थे। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क (Dr Shafiqur Rahman Barq) इस क्षेत्र के नहीं, बल्कि देशभर की मजबूत आवाज थे। उनका जाना हम सबके लिए बहुत दुखदाई है। इस क्षति की पूर्ति नहीं हो सकती है। हमने एक अच्छा और अनुभवी नेता खो दिया।
धर्मेंद्र यादव ने कहा- बर्क साहब का जाना एक युग का अंत
धर्मेंद्र यादव ने कहा कि बर्क साहब का जाना एक युग का अंत है। डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क (Dr Shafiqur Rahman Barq) साहब अपने स्वभाव, तेवर, ईमानदारी, खुद्दारी, सच्चाई और इस उम्र में भी सक्रियता की एक मिशाल थे। जनता की बात को इतनी बेबाकी के साथ उठाने वाला कोई शख्स नहीं मिलेगा।
राजनीतिक करियर
डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क (Dr Shafiqur Rahman Barq) का जन्म 11 जुलाई 1930 को उत्तर प्रदेश के संभल में हुआ था। 1974 में उनका सियासी सफर शुरू हुआ। डॉ. बर्क पार्लियामेंट में सबसे बुजुर्ग सांसद थे। उन्हें यूपी में बड़े मुस्लिम नेता के रूप में जाना जाता था। वह 5 बार के सांसद और 4 बार विधायक रहे।
1974 में पहली बार विधायक बने
डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क (Dr Shafiqur Rahman Barq) 57 साल के सियासी सफर में वह अपने आक्रामक बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहे। उन्होंने सियासत में 1967 में कदम रखा। यही वह साल था, जब मुलायम सिंह यादव ने भी अपनी सियासी पारी की शुरुआत की थी। 1974 में डॉ. बर्क पहली बार विधानसभा चुनाव जीते थे। इसके बाद 1998, 1999, 2004, 2009 में चुनाव जीतकर सांसद बने थे।
मगर 2014 में भाजपा के सतपाल सैनी से करीब 5 हजार वोट से हार गए थे। हालांकि, 2019 में संभल लोकसभा सीट से 89 वर्ष की उम्र में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुने गए। उन्होंने BJP के परमेश्वर लाल सैनी को 1.74 लाख वोटों से हराया। उन्होंने अपने जीवन में 10 विधानसभा चुनाव लड़े, जिसमें 4 विधानसभा चुनाव जीते और 6 हार गए।
जब मुलायम के लिए संभल छोड़कर मुरादाबाद से लड़ा था चुनाव
डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क (Dr Shafiqur Rahman Barq) ने साल 1998 में संभल लोकसभा सीट से मुलायम सिंह यादव को चुनाव लड़ाया था, जबकि वह खुद मुरादाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे। मुलायम सिंह यादव को उस चुनाव में 3,76,828 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंदी डीपी यादव को 2,10,146 मत मिले थे। मुलायम सिंह यादव ने डीपी यादव को 1,66,682 मतों से हराकर रिकार्ड जीत हासिल की थी।
इसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव में डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क (Dr Shafiqur Rahman Barq) ने अपने प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी परमेश्वर लाल सैनी को 1,74,826 मतों से हराकर मुलायम सिंह यादव का रिकार्ड तोड़ दिया था।
2009 BSP के टिकट से जीते थे चुनाव
डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क (Dr Shafiqur Rahman Barq) 2009 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने थे। यह एकमात्र चुनाव था, जो उन्होंने बसपा के टिकट पर लड़ा था। वह 3 बार मुरादाबाद से सांसद रहे। जबकि 2 बार संभल से सांसद रहे। उनके पौत्र जियाउर्रहमान बर्क़ वर्तमान में मुरादाबाद की कुंदरकी विधान सभा सीट से विधायक हैं। डॉ. बर्क़ खुद संभल लोकसभा सीट से सांसद थे।