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सेटेलाइट के बाद अब ड्रोन से बन रही है जमीनों की कुंडली, रिकॉर्ड होगा दुरुस्त

डेटा की विकृतियों का पता लगाने हो रहा ड्रोन सर्वेक्षण, पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जिले को चुना गया

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सतना

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Hitendra Sharma

Jan 28, 2022

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सतना. प्रदेश में भू-अभिलेख विभाग बड़ी तेजी से डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रहा है। इस कड़ी में विभाग ने सेटेलाइट इमेज के जरिये तैयार नक्शों का सत्यापन ड्रोन सर्वे द्वारा किया जा रहा है। इस सर्वे के बाद यह देखा जाएगा कि सेटेलाइट इमेज से जो नक्शे बने हैं उनकी एक्यूरेसी कितनी है। यह काम जिले के रामनगर तहसील के 12 गांवों में शुरू कर दिया गया है।

मध्य प्रदेश में जमीनों के मूल नक्से सेटेलाइट इमेट या विमान द्वारा ली गई इमेज के आधार पर तैयार किये जाते हैं। लेकिन पाया गया है कि उपग्रह या विमान द्वारा प्राप्त छवि एक व्यवस्थित सेंसर से लिये जाने के बाद भी ज्यामितीय त्रुटियां आ ही जाती है। इसकी वजह सेंसर की ऊचाई और कोण मुख्य होता है।

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इस वजह से कई बाद ली गई इमेज में 600 मीटर तक का भू-भाग विस्थापन हो जाता है। लिहाजा भू- अभिलेख विभाग मैप आईटी के जरिये पायलट प्रोजेक्ट के तहत इमेज की एक्युरेसी का परीक्षण करने का काम प्रारंभ करने जा रहा है। इसके लिये पायलट प्रोजेक्ट के तहत सतना जिले के 12 गांवों का चयन किया गया है। सर्वे के बाद इसाक अध्ययन कर अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा।

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इन गांवों में हो रहा ड्रोन सर्वे
सतना जिले के 12 गांवों के 3838 हैक्टेयर रकवे का ड्रोन सर्वे किया जा रहा है। इनमें केमार, झिन्ना, बेला, झिरिया वाजपेयिन, झिरिया कोठार, झिरिया कोपरिहान, मढ़ा, भड़री लिलजी, भड़री कोठार, केसौरा, पगरा और पैपखरा शामिल है। कार्य सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित एवं स्थापित कंट्रोल नेटवर्क के साथ किया जा रहा है |

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