उन्होंने दलित, बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और दलितों के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान भी देशभर में चलाया था। इस दौरान श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री एवं भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार थे। उनका निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था। यहां MP.PATRIKA.COM डॉ. आंबेडकर पर बने गाने जो विर्दभ यानी नागपुर क्षेत्र प्रचलित है उनको बता रहा है। जो पहले मध्य भारत प्रांत का हिस्सा था।
ये है पांच फेवरेट गाने
1. ‘दीवानी भीम की दीवानी ‘: यह गाना मराठी में गाया गया है। सिंगर का नाम ‘नागपुर की नागिन’ है। इसको मराठी में, ‘नागपुरची नागिन ‘। यह महिला कभी कार और कभी स्कूटी पर सवार है और कहती है कि ‘मुझे ना दादागिरी चाहिए, ना गांधीगिरी। मुझे तो अंबेडकरी चाहिए ‘।
2. ‘गांधी का जीवनदाता मेरा भीमराव ‘: यह गाना भी मराठी में है। इस गाने में हरी साड़ी में बैठी महिला कहती है ‘1000 और 500 के नोटों पर तेरा गांधी है, पर गांधी का जीवनदाता मेरा भीमराव है ‘।
3. ‘भीम के लख्ते जिगर, आधे इधर, आधे उधर ‘: सिंगर गाते हुए कहता है कि ‘भीम के लख्ते जिगर, आधे इधर, आधे उधर ‘ और चार मिनट तक सिर्फ यही कहते रहते हैं।
4. ‘ए ‘ फॉर अंबेडकर, ‘बी ‘ फॉर भीमराव: ये अंबेडकर की एबीसीडी है। अंग्रेजी अल्फाबेट्स में बहुजन चेतना के शब्द हैं। यहां ‘सी फॉर कास्ट बुद्धिस्ट ‘, ‘डी फॉर डॉक्टर बनकर ‘ और ‘ई फॉर इंग्लिश बोलें ‘ है।
5. भीमकन्या: इसे भी ‘नागपुर की नागिन ‘ ने गाया है। वह बाइक पर सवार हैं। गुंडों को नदी किनारे मारती हैं और फिर दलित महिलाओं को भीमकन्या बनने को प्रेरित करती है।