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मोती माला के बहाने लाखों की ठगी करने वालों के खिलाफ केस दर्ज

आरोपियों की तलाश में दबिश दे रही पुलिस टीमें, आर्टिफिशियल गैलरी के नाम से सामने आया था फर्जीवाड़ा

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Case filed against those who cheated under the pretext of Moti Mala

Case filed against those who cheated under the pretext of Moti Mala

सतना. आर्टिफिशियल गैलरी के नाम से मोती की माला बनाने के कारोबार में सैकड़ों लोगों की बड़ी रकम लेकर फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। शनिवार को सिविल लाइन थाना पुलिस ने आइपीसी की धारा 420, 34 के तहत कायमी करते हुए आरोपियों की तलाश में दबिश देना शुरू कर दिया है।
टीआइ अर्चना द्विवेदी ने बताया, पीडि़तों की शिकायत के बाद उनके बयान दर्ज करते हुए आरोपी राजेश तिवारी, राहुल जायसवाल, आदितय समेत अन्य के खिलाफ अपराध क्रमांक 11/2020 में धारा 420, 34 के तहत कायमी कर ली गई है।
यह है मामला
सिविल लाइन थाना क्षेत्र की मंदाकिनी विहार कॉलोनी गढय़िा टोला में दलजीत सिंह के मकान एमआइजी 25 में आर्टिफिशियल गैलरी नाम की कंपनी का ऑफिस था। जब दफ्तर में ताला लगा मिला और यहां कारोबार करने वाले भी अपने घरों में नहीं मिले तो लोगों को संदेह हुआ कि कंपनी सबका पैसा लेकर भाग गई है और तब मामला थाने पहुंचा। यह कंपनी लोगों से पैसा लेती थी और उसके बदले उन्हें माला बनाने के लिए मोती देती थी। सौ मोतियों से एक माला तैयार होती थी। इस एक माला पर 10 रुपए बनवाई दी जाती थी। एक रुपए प्रति मोती के हिसाब से मोती दिया जाता था। यानी एक हजार रुपए में एक हजार मोती मिलते थे। एक हजार मोतियों से 10 मालाएं तैयार होती थी। 10 मालाओं पर 10 रुपए प्रत्येक की दर से सौ रुपए की आमदनी होती थी। इस फार्मूले पर काम करते हुए सबसे पहले कंपनी ने आम आवाम के बीच अपना विश्वास जमाया। जब कंपनी से लोग जुडऩे लगे तब कंपनी ने एक दूसरे को जोडऩे वाला फंडा इस्तेमाल किया। नेटवर्क मार्केटिंग की तर्ज पर कंपनी ने अपने ग्राहकों और निवेशकों की लंबी चैन तैयार कर ली। निवेशकों ने न्यूनतम एक हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए और इससे अधिक तक की रकम जमा की थी।
मालिक के साथ सब गायब
आर्टिफिशियल गैलरी नाम की कंपनी के खिलाफ ठगी की शिकायत लेकर सिविल लाइन थाने पहुंची भीड़ ने बताया था कि यहां ऑफिस में महिला पुरुष मिलाकर लगभग डेढ़ दर्जन कर्मचारी काम करते थे। निधि और काजल मैडम सहित कई अन्य कर्मचारी यहां काम करते थे। इन कर्मचारियों के मुखिया का नाम राजेश तिवारी था। अब राजेश समेत यहां काम करने वाले किसी भी व्यक्ति का पता नहीं है कि वह सब कहां चले गए।