
Satna central jail
सतना. केंद्रीय जेल में मनमानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही। आलम यह है कि डीआइजी जेल व डीजी स्तर के अधिकारियों को लेकर भी अधिकारियों में भय नहीं है। केंद्रीय जेल सतना के अधिकारी मानकर चल रहे हैं कि वे वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान भटकाकर व अपने खिलाफ बयान देने वाले बंदियों व जेलकर्मियों पर दबाव बनाकर अपनी गर्दन बचा लेंगे। ऐसा ही मामला कैदियों के अन्यत्र जेल में शिफ्ट करने से जुड़ा हुआ है। केंद्रीय जेल के आधा दर्जन कैदियों को अन्यत्र जेल में शिफ्ट करने का प्रस्ताव भोपाल मुख्यालय को १४ जून को भेजा गया है। प्रथम दृष्ट्या केंद्रीय जेल सतना के अधिकारियों द्वारा उठाया गया सामान्य कदम लगता है पर इस तरह से जेलर द्वारा अपनी गर्दन बचाने के लिए दूसरा ही खेल किया गया है। यह पत्र जेल अधीक्षक एनपी सिंह की अनुपस्थिति में जेलर बद्री विशाल शुक्ला द्वारा भेजा गया है। जेलर वहीं व्यक्ति हैं जिनके खिलाफ जांच करने गोपाल ताम्रकार डीआइजी जेल जबलपुर 13 जून को सतना आए थे।
बंद कमरे में बयान
जांच के दौरान डीआइजी ने स्थानीय जेलकर्मियों व बंदियों से बंद कमरे में बयान लिए। मौके पर कथन लेखन का काम भी किया गया। उसके बाद वे जबलपुर रवाना हो गए। उनके जाने के दूसरे दिन जेल अधीक्षक को डीजी जेल ने भोपाल मुख्यालय तलब कर लिया। दूसरी ओर जेलर ने प्रभारी जेल अधीक्षक के रूप में बंदियों के अन्यत्र शिफ्ट करने का पत्र भोपाल मुख्यालय भेज दिया। इसमें उन कैदियों को निशाना बनाया गया जिन्होंने जेलर के खिलाफ बयान दे रखे हैं या फिर उनके खिलाफ शिकायत कर रखी है।
इन कैदियों के नाम का प्रस्ताव
सतना केंद्रीय जेल से 14 जून को भेजे गए पत्र में 7 कैदियों के नाम का उल्लेख है। इसमें सबसे पहले कैदी मंगल सिंह पिता हल्के सिंह का नाम है। इसने डीआइजी के सामने जेलर पर कई गंभीर आरोप लगाए और बयान दर्ज कराए हैं। सतीश पिता गिरिजा पटेल ने भी डीआइजी के समक्ष बयान दर्ज कराए हैं। कैदी रामलखन पिता रघुवर, ज्ञानेश्वर पिता रामस्वरूप, अरविंद सिंह पिता आत्माराम, बिहारी पटेल पिता वृंदावन के नाम का प्रस्ताव भेजा गया। इन सभी ने विगत छह माह के दौरान जेल की समस्याओं को लेकर शिकायत कर रखी है। इसी तरह विचाराधीन बंदी जीतेंद्र पिता सवाईलाल सिंह के नाम का प्रस्ताव भी भेजा गया है।
दबाव बनाने का खेल
इस पत्र के बाद जेल विभाग में चर्चा है कि अधिकारी जांच से बौखलाएं हुए हैं। कैदी व जेलकर्मी अपने बयान बदल दें लिहाजा दबाव का खेल खेला जा रहा। जेल अधीक्षक की अनुपस्थिति में जेलकर्मियों के ट्रांसफर व बंदियों के अन्यत्र शिफ्ट करने का प्रस्ताव भेजा गया है। जो गंभीर सवाल खड़ा करता है।
डीजी-डीआइजी पर भी सवाल
केंद्रीय जेल में डेढ़ माह के दौरान तीन कैदियों की मौत हो चुकी है। इनमें दो कैदियों ने आत्महत्या की, जो सुरक्षा मापदंडों पर गंभीर सवाल था। एक कैदी को जेलर ने दो दिन के लिए रिहा कर दिया, कोर्ट में गलती स्वीकार की। जेलर के निजी निवास पर कैदियों को भेजा गया, जो रहवासी क्षेत्र में था। कैदियों व बंदियों ने शिकायतें कीं। ऐसी तमाम गंभीर लापरवाही केंद्रीय जेल सतना में हो चुकी हंै। उसके बाद भी डीजी संजय चौधरी व डीआइजी गोपाल ताम्रकार चुप्पी साधे हुए हैं। आलम यह रहा कि तीन कैदियों की मौत के बाद जांच शुरू हुई। ऐसी लेटलतीफी के चलते वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। जेल विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि अभी तक व्यवस्था में बदलाव हो जाना चाहिए था। जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर बड़ी कार्रवाई तक हो जानी चाहिए। लेकिन, अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।
Published on:
17 Jun 2019 09:06 am
बड़ी खबरें
View Allसतना
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
