
HIV Blood Transfusion Case Big Update (फोटो: पत्रिका/FB)
HIV Blood Transfusion Case Satna: जिला अस्पताल के रक्त कोष से संक्रमित रक्त चढ़ाने के कारण छह बच्चों के एचआइवी पॉजिटिव होने का मामला अब स्वास्थ्य मंत्रालय तक पहुंच गया है। 'पत्रिका' के खुलासे के बाद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अधीन केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की दो सदस्यीय टीम बुधवार को सतना पहुंची। यह ब्लड बैंकों की शीर्ष नियंत्रण संस्था है। वरिष्ठ वैज्ञानिक सचिन कापसे और महेश ने जिला अस्पताल स्थित ब्लड बैंक की जांच की।
तकनीकी सहयोग के लिए रीवा मेडिकल कॉलेज से पैथालॉजिस्ट लोकेश त्रिपाठी और राज्य शासन की ओर से ड्रग इंस्पेक्टर प्रियंका चौबे को बुलाया गया। राज्य सरकार की जांच टीम समन्वय की प्रक्रिया में है। टीम अध्यक्ष, क्षेत्रीय संचालक रीवा डॉ. सत्या अवधिया ने बताया कि एक-दो दिन में टीम सतना पहुंचेगी। बुधवार दोपहर बाद सीडीएससीओ की टीम ने ब्लड बैंक में सामान्य जानकारी ली। इसके बाद दस्तावेजी जांच शुरू की।
ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. देवेंद्र पटेल और पैथालॉजिस्ट रामभाई त्रिपाठी ने दस्तावेज उपलब्ध कराए। सूत्रों के अनुसार टीम ने क्लिया मशीन से 2024 से अब तक की गई सभी जांचों का विवरण मांगा है। इसकी तकनीकी समीक्षा की जाएगी। रैगांव की पूर्व विधायक कल्पना वर्मा के नेतृत्व में महिला कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल भी ब्लड बैंक पहुंचा।
जानकारी के अनुसार टीम ने ब्लड बैंक की स्थापना, लाइसेंस, डोनर रजिस्टर, जांच प्रक्रिया और बच्चों में एचआइवी संक्रमण की जांच पद्धति की समीक्षा की। देखा जा रहा है कि किन बच्चों की किस प्रकार से जांच की गई। यह जांच का विषय है कि संक्रमित रक्त किन डोनर से आया। पहचान क्यों नहीं हो सकी। जांच में यह स्पष्ट होने की संभावना है कि तय नियमों का पालन किया गया या नहीं।
प्रदेश के कई जिलों में ब्लड बैंक संचालन में गंभीर लापरवाही सामने आ रही है। छिंदवाड़ा जिला अस्पताल में रक्त संग्रह से पहले अनिवार्य जांच नहीं की जा रही। रक्त लेने के बाद ही एचआइवी, हेपेटाइटिस बी-सी, सिफलिस, मलेरिया सहित अन्य टेस्ट किए जा रहे हैं। यही स्थिति बालाघाट की है, जहां डेढ़ घंटे बाद जांच होती है। भिंड में शिविरों के दौरान सिर्फ ब्लड ग्रुप, हीमोग्लोबिन जांच कर औपचारिकता निभाई जा रही है, जटिल जांचें बाद में मरीज को रक्त देने से पहले की जाती हैं।
एमपी के कुछ जिलों में ब्लड बैंक की व्यवस्था बेहतर है। ग्वालियर के जेएएच ब्लड बैंक में रक्तदान से पहले काउंसिलिंग अनिवार्य है। डोनर की मेडिकल हिस्ट्री, पूर्व रक्तदान, बीमारियों और अन्य जोखिमों की जानकारी लेने के बाद ही रक्त संग्रह किया जाता है। इंदौर के एमवाय अस्पताल का ब्लड बैंक प्रदेश का सबसे उन्नत और व्यस्त केंद्र है। सालाना करीब 45 हजार यूनिट रक्त का आधुनिक तकनीक से परीक्षण होता है। सीहोर में स्थानीय जांच के बाद ब्लड सैंपल एनएटी टेस्टिंग के लिए भोपाल भेजा जाता है।
संक्रमित रक्त न चढ़े, इसकी प्राथमिक जिम्मेदारी थी। मामला सामने आने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करना और संक्रमित डोनरों की पहचान कर अन्य ब्लड बैंकों से समन्वय करना आवश्यक था, जो नहीं किया गया।
थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की स्क्रीनिंग रिपोर्ट तैयार कर ब्लड बैंक प्रभारी और वरिष्ठ कार्यालय को अवगत कराना था। उन्होंने जानकारी ब्लड बैंक प्रभारी को दी, लेकिन वरिष्ठ कार्यालय को सूचित नहीं किया।
प्रभावित परिवारों की समुचित काउंसिलिंग और इलाज से जुड़ी समस्याओं का समाधान कराना काउंसलर नीरज सिंह की जिम्मेदारी थी। एक बच्ची को दवा शुरू होने के बाद समस्या आने पर उचित परामर्श नहीं दिया गया।
Published on:
18 Dec 2025 10:25 am
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