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एक समय था जब 90 रुपए के चिल्लर के बदले मिलते थे 100 रुपए के नोट, आज कोई नहीं लेता फ्री में

एक समय था जब 90 रुपए के चिल्लर के बदले मिलते थे 100 रुपए के नोट, आज कोई नहीं लेता फ्री में

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सतना

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Rajesh Sharma

Aug 07, 2018

Client and worried about the shopper coins

Client and worried about the shopper coins

सतना। एक समय था जब 90 रुपए के चिल्लर के बदले 100 रुपए का नोट मिला करता था। बीते कुछ दिनों में व्यापारी हो या ग्राहक सभी लोगों ने चिल्लर लेना बंद कर। आज शहर में चिल्लर न तो व्यापारी ले रहा और न ही बैंक। जो चिल्लर उपभोक्ता के पास है वह परेशान है। 25 पैसे का सिक्का इतिहास बन गया है। अठन्नी-50 पैसे के सिक्का के भी दिन लगभग चले गये है। अब एक से लेकर 10 रुपये तक का सिक्का बाजार में चलन में है। इसे बोलचाल की भाषा में लोग चिल्लर, सिक्का कहते हैं, यही चिल्लर बच्चों को बचत की आदत डालते थे।

बोलबाला था कभी चिल्लर का
चिल्लर के लिए कभी व्यापारी भिखारी के सामने हांथ फैलाया करते थे। चिल्लर की कमी के कारण दुकानदारी प्रभावित होने लगती थी, समय का फयदा उठा, चिल्लर की कालाबाजारी भी लोग करते थे, सौ रुपये के बदले 90 रुपये का चिल्लर देते थेण्, आज चिल्लर की हालत बदतर हो गयी है।

एक वर्ष में बैंकों ने एक से दस तक के सिक्के बांटे
नोटबंदी के बाद से सिक्कों का चलन तेजी से बढ़ा है, पिछले एक वर्ष में स्टेट बैंक की विभिन्न शाखाओं ने एवं पंजाब नेशनल बैंक की शाखाओं ने भी एक से लेकर 10 रुपये तक के सिक्के बाजार में बांटे है, हालात यह है कि आज ये सिक्के सभी स्तर के लोगों के लिए परेशानी का कारण बन गये हैं, व्यापारियों के पास बोरों में भर कर जमा हो गये हैं, तो लोगों के पॉकेट भारी करने लगे हैं, चिल्लर को वर्तमान समय में सभी दुत्कारने लगे हैं, बैंक, दुकानदार, बड़े व्यापारी और ग्राहक सभी चिल्लर को लेने से इनकार करने लगे हैं, ऐसे में परेशानी बढऩे लगी है।

बाजार में बहुत आ गये हैं सिक्के
बाजार में सिक्का बहुत आ गया है, हर कोई सिक्का दे रहा है, लेकिन, कोई ले नहीं रहा है, बैंक व किराना के बड़े आढ़तिया सिक्का ले नहीं रहे है, ऐसे में हमारे पास हजारों रुपये के सिक्के फं से है, सभी सिक्का की जगह नोट खोज रहे हैं, हमारा रुपया फं सा है, बहुत परेशानी हो रही है। पुरुषोत्तम शर्मा, किराना दुकानदार, पुरानी सब्जी मंडी रोड

सिक्का हमारे लिया बना आफत
कभी हम इसी सिक्के के लिए तरसते थे, इधर-उधर से सिक्के का बंदोबस्त किया जाता था, आज इतना सिक्का हो गया है कि परेशानी होने लगी है, व्यापारी सिक्का ले नहीं रहे हैं, ग्राहक सिक्का देख भड़क जा रहे हैं, हम इतने सिक्कों का क्या करेंगे। प्रशासन और बैंकों को जल्द ही इसका कोई उपाय निकालना होगा।
संजीव अग्रवाल , जनरल स्टोर, जयस्तम्भ चौक