
Collector has not given a proposal for postponement of revenue collect
सतना। खरीफ २०१७ में सूखे की स्थिति बनने पर राज्य सरकार ने किसानों को राहत देने सूखा प्रभावित किसानों के अल्प कालीन ऋण को मध्यकालीन ऋण में बदलने के निर्देश दिए थे। इसके लिए कलेक्टर को राजस्व वसूली स्थगन प्रस्ताव जारी करना था। शासन स्तर से २१ नवंबर २०१७ को पत्र भी कलेक्टर को दिया गया था लेकिन तीन माह बीतने के बाद भी यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। लिहाजा, अभी भी बैंकों द्वारा किसानों से ऋण वसूली जारी है।
हालांकि इस संबंध में बन रही विरोध की स्थिति को देखते हुए जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक ने कलेक्टर से वसूली स्थगन प्रमाण पत्र जारी करने की अपेक्षा की है। जानकारी के अनुसार खरीफ २०१७ में सूखे की स्थिति बनने पर बड़े पैमाने पर किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा था। इसके देखते हुए शासन ने किसान हित में सूखा प्रभावित किसानों के अल्पकालीन फसल ऋणों को नाबार्ड की नीति के अनुसार मध्यकालीन ऋण में बदलने के निर्देश दिए थे।
तो फिर नहीं होगी वसूली स्थगित
मामले में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक सीईओ ने कलेक्टर को पत्र लिख कर बताया है कि सूखे से प्रभावित किसानों के अल्पकालीन ऋण को मध्यकालीन ऋण में बदलने के लिए ऋण वसूली की निर्धारित तिथि २८ मार्च के पहले ऋण वसूली स्थगन प्रमाण पत्र जारी किया जाना जरूरी है। अन्यथा की स्थिति में सूखा प्रभावित किसानों का अल्पकालीन ऋण मध्यकालीन ऋण में परिवर्तित नहीं हो सकेगा। यह आदेश उन्ही क्षेत्रों में लागू होगा जहां फसलों को ३३ फीसदी से ज्यादा का नुकसान पहुंचा है।
यह है नाबार्ड के नियम
अल्पकालीन ऋण को मध्यकालीन ऋण में बदलने के लिए नाबार्ड के नियमानुसार सूखा प्रभावित गांवों का गांववार अनावारी प्रमाण-पत्र एवं राजस्व वसूली स्थगन प्रमाण पत्र आवश्यक होता है। राजस्व वसूली स्थगन प्रस्ताव कलेक्टर द्वारा जारी किया जाता है। लेकिन अभी तक कलेक्टर द्वारा राजस्व वसूली स्थगन के कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं। ऐसे में न तो जिले के बैंक और न ही सहकारी केन्द्रीय बैंकों द्वारा ऋण वसूली स्थगित की जा रही है।
Published on:
28 Mar 2018 06:05 pm
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