
Smart City
सतना। केन्द्र सरकार ने शहरों का तेजी से विकास करने स्मार्ट सिटी का कॉन्सेप्ट तैयार किया। प्रदेश के सात शहरों को स्मार्ट सिटी योजना के तहत विकसित करने के लिए चिह्नित किया गया है। इसमें रीवा का भी नाम आया था, लेकिन आखिरी दौर में सतना का नाम तय हो गया और रीवा पिछड़ गया। राज्य सरकार पर दबाव बना तो उसने मिनी स्मार्ट सिटी योजना लांच कर दी और कहा कि सारी सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। रीवा का भी इसमें नाम था लेकिन अब तक कोई फाइल आगे नहीं बढ़ी है। सरकार ने भी आगे कदम नहीं बढ़ाया और न ही नगरीय निकायों से कोई खाका तैयार हुआ है।
पूर्व में सत्ता में रहे नेताओं ने वादे किए थे कि रीवा को नंबर वन सिटी बनाएंगे, हालात यह हैं कि सड़क, नाली और पानी तक की व्यवस्था उपलब्ध कराने में पसीने छूट रहे हैं। रीवा के स्मार्ट सिटी की दौड़ से बाहर होने के बाद सरकार ने मिनी स्मार्ट सिटी की योजना घोषित की थी। इसके तहत निगम ने जानकारी मंगाई गई। पूर्व में स्मार्ट सिटी के लिए मूलभूत संरचना की जो फाइल भेजी गई थी, वही फाइल फिर से राज्य सरकार के पास भेज दी गई। इसके बाद से अब तक कोई पत्रचाार नहीं हुआ है।
सरकार बदली तो योजना पर भी संकट
प्रदेश में सरकार बदलने से जिस तरह से योजनाओं पर संकट मंडराने लगा है, उसी में मिनी स्मार्ट सिटी का भी कॉन्सेप्ट शामिल है। नगरीय प्रशासन मंत्री ने पदभार ग्रहण करते ही कहा है कि पूर्व से चली आ रही योजनाओं की समीक्षा होगी और जो योजनाएं कारगर साबित नहीं हुई हैं उन्हें बंद किया जाएगा। मिनी स्मार्ट सिटी का भाजपा सरकार ने जमकर प्रचार किया था, इसलिए इसके भविष्य पर संकट मंडरा रहा है।
रीवा सहित 12 शहरों में करना था चयन
मिनी स्मार्ट सिटी योजना के तहत एक लाख की आबादी से अधिक के शहरों को शामिल करने की योजना है। जिसमें शुरुआती दौर में 12 शहरों के लिए राज्य सरकार ने योजना लागू की थी। इसमें शर्त थी कि स्मार्ट सिटी में चयनित शहर शामिल नहीं होंगे। प्रतिस्पर्धा के बाद शहरों में काम की प्राथमिकता तय करने के लिए कहा गया था। जिसमें रीवा, कटनी, सिंगरौली, देवास, रतलाम, बुरहानपुर, खंडवा, भिंड, छिंदवाड़ा, गुना, शिवपुरी, विदिशा, छतरपुर, दमोह, मंदसौर, नीमच, पीथमपुर, होशंगाबाद, इटारसी, सीहोर, बैतूल, सिवनी, दतिया व नागदा के बीच प्रतिस्पर्धा करानी थी।
मैहर-अमरकंटक का भी काम अटका
मिनी स्मार्ट सिटी के लिए अमरकंटक, मैहर और ओरछा का चयन पहले ही कर लिया गया है। अभी 9 शहरों का नाम और शामिल किया जाना है। अब निर्धारित मापदंडों के अनुरूप प्रतिस्पर्धा होगी और जो खरा उतरेगा उसे विकास के लिए अतिरिक्त राशि दी जाएगी। बीते साल मुख्यमंत्री ने सीधी को भी शामिल करने की घोषणा कर दी थी, उस पर भी कार्रवाई नहीं हुई है। मैहर और अमरकंटक के लिए अधिकारियों की नियुक्ति तो की गईहै लेकिन काम अभी नजर नहीं आ रहा है।
चयन के ये हैं मापदंड और हालात
1- इ-गवर्नेंस
नागरिकों को दी जाने वाली सुविधाएं नगर निगम की किस स्तर की हैं, इस पर दूसरे शहरों से मुकाबला होगा।
हालात- अभी शहर सरकार की ओर से तैयारी की जा रही है, कम्प्यूटर ऑपरेटर जो काम कर रहे हैं वह सीपीसीटी तक पास नहीं हैं। नगर निगम खुद की वेबसाइट तक नहीं चला पा रहा है।
2- अपशिष्ट प्रबंधन
शहर में अपशिष्ट प्रबंधन की स्थिति ही स्वच्छता का मानक तय करती है। पेयजल भी आवश्यक सेवा में है। इन व्यवस्थाओं का परीक्षण होगा।
हालात- अपशिष्ट प्रबंधन के लिए पहले कोष्टा में कचरे से खाद बनाने का संयंत्र लगाया गया था। कारगर साबित नहीं हुआ तो अब तीन जिलों का कलस्टर प्रोजेक्ट पहडिय़ा गांव में लगाया जा रहा है।
3- समस्या सरलीकरण
शहर की दी जाने वाली मूलभूत सुविधाओं और आने वाली शिकायतों का निराकरण किस तरह निगम करता है, इस पर भी फोकस होगा।
हालात- निगम कार्यालय में कोई ऐसा अलग से सेल नहीं बनाया गया है जो लोगों की समस्याएं सुनकर निदान करे। टैक्स की समस्या को लेकर वार्डों में शिविर जरूर लगाए जाते हैं।
4- नई पहल
शहर के लोगों के सुझाव पर समस्या समाधान के लिए निकाय किस तरह से पहल कर रही है। आम लोगों की क्या प्रतिक्रिया है।
हालात- तीन साल पहले शहर के लोगों के सुझाव पर कई कार्य हुए थे। महिलाओं, बुजुर्गों की सुविधा पर फोकस था। डोरटूडोर कचरा कलेक्शन शुरू हुआ। सुझाव पर शहर में जोन व्यवस्था बनाई गई है।
5- प्रोजेक्ट क्रियान्वयन
केन्द्र और राज्य सरकार की मदद से शहर में चल रहे बड़े प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन की स्थिति की भी समीक्षा होगी।
हालात- अमृत के तहत सीवरेज, पेयजल, पार्क, सिटी बस सेवा आदि की तैयारी चल रही है। स्वच्छता के लिए 158 करोड़ का कलस्टर प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है। 21 करोड़ का स्ट्रीट लाइट प्राजेक्ट भी शुरू।
Published on:
02 Jan 2019 11:51 am
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