24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

यहां होती है डकैत की पूजा, माता, पिता, पत्नी की प्रतिमा स्थापित

मंदिर में 1 फरवरी से 15 फरवरी तक विधिवत पूजन अर्चन कर मूर्ति स्थापित की गई, जिसमें देश के जाने माने कलाकार और नेता-अभिनेता, संत-महात्मा शामिल हुए। 

2 min read
Google source verification

image

Nitesh Tripathi

Feb 21, 2016


सुरेश मिश्रा @ सतना।
मप्र और उप्र में दशकों तक आतंक का पर्याय रह चुके ददुआ की कबरहा गांव में माता, पिता और पत्नी की प्रतिमा स्थापित की गई है। मंदिर का निर्माण ददुआ के पुत्र बालकुमार पटेल ने स्थानीय लोगों की मदद से करवाया है। मंदिर में 1 फरवरी से 15 फरवरी तक विधिवत पूजन अर्चन कर मूर्ति स्थापित की गई, जिसमें देश के जाने माने कलाकार और नेता-अभिनेता, संत-महात्मा शामिल हुए। बता दें कि ददुआ का ननिहाल, मौसियाना, बेटा-बेटी की ससुराल समेत कई रिश्तेदारियो में ददुआ का आना जाना होता रहता था। क्षेत्र में जुड़ाव होने के कारण पैतृक गांव देवकली की बजाए कबरहा गांव में मंदिर बनवाने का निर्णय लिया गया था।

आजाद भारत में ददुआ का जन्म
बताया गया कि शिवकुमार पटेल पिता रामप्यारे पटेल ग्राम देवकली जिला बांंदा का 1955 में जन्म हुआ था। बताते हैं कि ददुआ के पिता गांव के उस समय लंबरदार हुआ करते थे। शिवकुमार पटेल से ददुआ बनाने में जमीनी विवाद का कारण बताया जा रहा है। बताते हंै जब ददुआ महज 15-16 वर्ष की उम्र का था तभी एक जमीन के टुकड़े के विवाद की वजह से उसे घर छोडऩा पड़ा था।

मौसी के आंगन में बीता बचपन
खखरेडू थाने के सोथरापुर में ननिहाल और कबहरा गांव में मौसी के यहां पठकनपुर का पुरवा गांव में बचपन के कई वर्ष दस्यु ददुआ ने गुजारे। मां कृष्णा देवी की मौसी सोनारी गांव में ब्याही थी। जहां मौसी पुत्र धर्म सिंह उर्फ साधू बाबा ने ददुआ को अपराध की दुनिया से रूबरू कराया और पाठा की ओर ले गया।

1977 से अपराध की शुरुआत
गौरतलब है नामी गिरामी गिरोह चलाने वाले जनार्दन पटेल उर्फ गया बाबा और सूरजभान गैंग के संपर्क में आकर शिवकुमार पटेल दस्यु बना। ददुआ ने वर्ष 1977 में जनार्दन पटेल गिरोह के साथ ग्राम जवाहिली में चार लोगों की हत्या की। इसके बाद जंगल में रहकर अपराधिक घटनाओं का अंजाम देने के साथ ही क्षेत्र की रिश्तेदारियों में आकर संरक्षण प्राप्त करता था।

1984 में पहली रिपोर्ट दर्ज
वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो वर्ष 1984 में पुलिस ने ददुआ का गैंग रिकार्ड में दर्ज किया। 19 जुलाई 1986 को रामू का पुरवा बांदा चित्रकूट में 9 व्यक्तियों को एक साथ लाइन में खड़ा कर गोली मारकर मौत के घाट उतारने की घटना को अंजाम दिया। 24 नवंबर 1990 को कर्वी, चित्रकूट में पेट्रोल पंप मालिक को पकड़कर हत्या ने सियासी हल्के में तूफान खड़ा किया। वर्ष 1992 में 15 और 16 जनवरी की रात घटईपुर में अपनी मां से मिलने आए दस्यु ददुआ व उसके गिरोह को पुलिस ने घेर लिया, लेकिन ददुआ गिरोह पुलिस को चकमा देकर सकुशल निकल गया।

2003 में रखी गई थी नींव
वर्ष 2003 में कबरहा गांव में हनुमान मंदिर की नींव रखी थी जिसके बाद काफी विरोध हुआ था। अपनी जान को खतरा देखते हुए ददुआ जंगलों की ओर रुख कर गया। सियासी गलियारों व पुलिस की आंख की किरकिरी बने ददुआ को 2007 में टिकुरा मानिकपुर, चित्रकूट के जगलों में अपने 9 साथियों समेत एसटीएफ के जवानों ने मौत के घाट उतार दिया था। यही कारण है कि बांदा और फतेहपुर का क्षेत्र ददुआ के आतंक से अछूता था, यही कारण है कि आज इन क्षेत्रों में ददुआ को भगवान का रूप मान कर लोग पूजा कर रहे हैं।

ये भी पढ़ें

image