17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दयाराम की देह से मेडिकल कॉलेज के छात्र जानेंगे गूढ़ रहस्य, मानव शरीर के हर अंग पर होगा शोध

देहदान: रीवा मेडिकल कॉलेज पहुंचा पार्थिव शरीर, दयाराम अब एनाटॉमी की किताब, विदाई में सुबक पड़ा सिंधी समाज

2 min read
Google source verification
dayaram kapadi Dadhichi Deh Dan at shyam shah medical college rewa

dayaram kapadi Dadhichi Deh Dan at shyam shah medical college rewa

सतना। देहदानी दयाराम कापड़ी की अंतिम यात्रा में सोमवार को सिंधी समाज उमड़ पड़ा था। आंखें नम थीं, परिचित सुबक रहे थे। पर सभी को इस बात का गर्व था कि दयाराम जाते जाते भी पूरे मानव समाज पर दया कर गए। सेवा संकल्प के शव वाहन से पाॢथव देह संत मोतीराम आश्रम पहुंचाई। इस मौके पर भतीजे गोपीचन्द्र कापड़ी ने कहा, चाचा तुम अमर हो गए। जीवित रहते तो सभी की सेवा की लेकिन दुनिया से जाने के बाद भी चिकित्सा जगत की नई पीढ़ी के लिए शरीर दान कर गए। देहदान करके हम सभी को सीख दी है। सोमवार की शाम चार बजे उनका पाॢथव शरीर रीवा मेडिकल कॉलेज में पहुंचा।

मेडिकल कॉलेज में एनाटॉमी के विभागाध्यक्ष डॉ. खानवलकर ने देहदान की कागजी औपचारिकता पूरी करवाई। इस दौरान दयाराम की पत्नी विद्यादेवी ने कहा, मृत्यु के बाद शरीर किसी के काम आ जाए, इसलिए देहदान का निर्णय लिया गया था। दयाराम ने पत्नी के साथ देहदान का संकल्प लिया था। रविवार को दयाराम का निधन हो गया। रीवा से मेडिकल टीम नहीं आने से परिजन ही सेवा संकल्प वाहन से पार्थिव शरीर दोपहर एक बजे लेकर रीवा रवाना हुए। मोतीराम आश्रम से सेवादार एवं कापड़ी के नजदीकी रिश्तेदार रीवा गए।

देहदानी के अब तक 19 फार्म भेजे गए
संत मोतीराम दधीची देहदान संस्था अभी तक 19 देहदानी के फार्म भरे जा चुके है। सेवादार प्रहलाद ने बताया, जब से लोगों को देहदान की सूचना मिली है, लोगों का संपर्क बढ़ रहा है। सभी की जिज्ञासा थी कि, अब अन्य संस्कार कैसे होंगे। प्रहलाद ने बताया, जैसे होते थे वैसे ही होंगे। अग्रि संस्कार छोड़कर। संस्कार घर परिवार में किए जा सकते है।

पत्नी ने भी भरा था फार्म
दयाराम ने पत्नी विद्यावती से चर्चा के बाद मार्च 2018 में संत मोतीराम दधीचि देहदान संस्था की प्रेरणा पर देहदान का संकल्प पत्र भरा था। उन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि कुछ ऐसा करो कि मरने के बाद भी दुनिया में उसका नाम रहे। इसलिए बिना सोचे विचारे उन्होंने देहदान का संकल्प पूरा किया।

आश्रम के सेवाभावी दयाराम ने देहदान कर के समाज को अच्छा संदेश दिया है। उनके देहदान से चिकित्सा जगत को लाभ मिलेगा। सर्वसमाज में संदेश जाएगा।
संत खिम्यादास, मोतीराम आश्रम

दयाराम ने देहदान कर सिंधी समाज को जगा दिया। हम उनके संकल्प और परिजनों को प्रणाम करते है। अन्य समाज को भी संदेश दिया है।
गोपी गेलानी, समाजसेवी

दयाराम परिवार को साधुवाद हैं। जिन्होंने उनकी अंतिम इच्छा पूरा करने में सहयोग किया। सिंधी समाज जागरुक हो गया है। नेत्रदान के साथ देहदान कर समाज का नाम ऊंचा किया है।
मनोहर डिगवानी, समाजसेवी