
Dear ... Safety bumper can get you in trouble
मध्यप्रदेश शासन द्वारा आवंटित और शासन द्वारा किराए पर लिए गए चार पहिया वाहनों में सवारी करने वाले अफसर और कर्मचारी यात्रा के दौरान कितना सुरक्षित हैं? आए दिन होने वाली सड़क दुघर्टनाओं के मद्देनजर यह एक गंभीर चिंतनीय प्रश्न है। इसका जवाब तलाशने पत्रिका ने जब खोजबीन शुरू की तो पता चला कि अधिकांश वाहन यहां सरकारी विभागों में ऐसे दौड़ रहे हैं जिनमें सुरक्षा के लिहाज से घोर लापरवाही बरती जा रही है और यही लापरवाही कभी भी बड़े नुकसान की साबित हो सकती है।
सतना. बदलते जमाने में तमाम नई तकनीकी से लैस वाहन बाजार में आ चुके हैं। एबीएस और एयर बैग जैसी सुविधाएं वाहन निर्माताओं द्वारा वाहनों में सुरक्षा के लिहाज से मुहैया कराई जा रही हैं ताकि सड़क दुघर्टनाओं में मृत्यु और अपंगता के बढ़ते आंकड़ों को नियंत्रित भी किया जा सके, मगर देखने में आ रहा है कि सरकारी विभागों में जो गाडिय़ां दौड़ रही हैं उनमें या तो कुछ पुराने मॉडल की होने से अत्याधुनिक सुविधाओं से वंचित हैं या अत्याधुनिक तकनीक से लैस होते हुए भी उन वाहनों में लापरवाही बरती जा रही है।सुरक्षा के लिहाज से कार में एयर बैग का होना बहुत जरूरी है। आपात स्थिति में यह खुलकर कार सवार यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करते हैं, हालांकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि कार में एयर बैग की संख्या कितनी है।
दरअसल कुछ कारों में यह केवल ड्राइवर सुरक्षा के लिहाज से लगा होता है जबकि कुछ लग्जरी कारों में इनकी संख्या 6 से 8 तक होती है। कार में इन्हें डैशबोर्ड, रूफ, स्टेरिंग या अन्य किसी भी महत्वपूर्ण हिस्से में लगाया जाता है। कार एक्सपर्ट बताते हैं कि जब कार की स्पीड 20 से 25 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा होती है उस वक्त एयर बैग सिस्टम एक्टिव हो जाता है। दुघर्टना के समय कार जब तेजी से किसी चीज से टकराती है तब यह खुलकर यात्रियों को सुरक्षा कवर देता है हालांकि यह जरूरी है कि यात्री यात्रा के समय सीट बेल्ट का उपयोग अवश्य करें। यहां बात हम सरकारी विभाग के वाहनों की करें तो बहुत से वाहन ऐसे हैं जिनमें सीट बेल्ट ही नहीं है। कुछ वाहन ऐसे हैं जिनमें सीट बेल्ट के साथ एयर बैग की भी सुविधा है मगर इसको लेकर विभागीय लोग गंभीर नहीं हैं। दरअसल जिन वाहनों में एयर बैग लगा है उनमें कुछ ऐसे भी हैं जिनके अग्रभाग में स्टील या लोहे के बड़े-बड़े सेफ्टी गार्ड या बुुल गार्ड लगा दिए गए हैं। सेफ्टी गार्ड शो के लिए लगाए गए हैं या वाकई सुरक्षा के लिहाज से इन्हें गाडिय़ों में लगाया गया है? यह बात समझ से परे है क्योंकि जानकारों का कहना है कि जब तेज रफ्तार में वाहन किसी चीज से टकराएगा तो इन सेफ्टी गार्ड की वजह से एयर बैग को खुलने में अड़चन आएगी। वक्त पर एयर बैग नहीं खुलने से कार सवार यात्रियों को खतरा हो सकता है। दूसरे सरल शब्दों में कहें तो जब गाड़ी में सुरक्षा के लिहाज से एयर बैग लगाया गया है तो सुरक्षा के नाम पर गाड़ी के आगे सेफ्टी गार्ड लगाने की जरूरत नहीं है क्योंकि ऐन वक्त पर यही सेफ्टी गार्ड यात्रियों के लिए मुसीबत बन सकता है।
नेता-अफसर ही नहीं करते पालन
वाहनों और खुद की सुरक्षा के नाम पर फोर व्हीलर में बंपर गार्ड लगाने वालों को न तो नियमों की जानकारी है और न ही अपने जान की परवाह। हादसे के वक्त ये सुरक्षा गार्ड अधिक जानलेवा हो जाते हैं। यही वजह है कि केन्द्रीय सड़क और परिवहन मंत्रायलय ने वाहनों में बंपर गार्ड के इस्तेमाल पर पाबंदी के निर्देश दिए हैं। लेकिन इन आदेशों का पालन अधिकारी और जनप्रतिनिधि ही नहीं कर पा रहे।
ऐसे काम करता है एअर बैग
एयर बैग को इस हिसाब से लगाया जाता है कि वाहन में कितना झटका लगने पर वो खुलेगा। लेकिन बंपर गार्ड लगने की वजह से वाहन के तय स्थल पर झटका नहीं लग पाता है। इस स्थिति में हादसे के समय एयर बैग या तो खुलता नहीं है या फिर विलंब से खुलता है। नतीजा वाहन में बैठै लोगों को गंभीर चोट लग जाती है या फिर उनकी मौत तक हो जाती है। दुघर्टनाओं के अध्ययन के बाद केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने सुरक्षा गाइड लाइन जारी की। लेकिन जागरूकता के अभाव में वाहन स्वामी इसकी अनदेखी कर रहे हैं।
1988 की धारा 52 का उल्लंघन
वाहन में बंपर लगाने को वाहन कानून 1988 की धारा 52 का उल्लंघन माना गया है। केंद्र सरकार ने यह भी आदेश दिया है कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 190 और 191 के तहत वाहनों पर बंपर गार्ड या बुल गार्ड लगाने पर दंड भी लगाया जाएगा। लेकिन जिले में यह शासनादेश हवा हवाई साबित हो रहा है। बड़ी तादाद में अफसरों, जनप्रतिनिधियों के फोर व्हीलर वाहन बंपर गार्ड के साथ सड़कों पर दौड़ रहे हैं। देखने में आया है कि फोर व्हीलर का लुक चेंज करने और टशन में भी वाहनों में बंपर गार्ड लगाते हैं।
वर्जन...
चौपहिया वाहन में बुल गार्ड या बम्पर गार्ड लगाना उचित नहीं है। इन सेफ्टी गार्ड लगी गाडि़यों से जब टक्कर होती है तो सामने वाले व्यक्ति को सामान्य से ज्यादा चोट लग जाती है। दूसरी ओर कई बार सेफ्टी गार्ड के कारण गाड़ी के एयर बैग नहीं खुल पाते जिससे चौपहिया वाहन सवार लोगों की जान जोखिम में पड़ जाती है। टीएल बैठक में इस मामले को रखा जाएगा ताकि सरकारी अमला इस ओर सजग हो।
- सुनील शुक्ला, अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, सतना
Published on:
13 Feb 2020 12:23 pm
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