एएसआई राजेंद्र वर्मा ने बताया कि वह सिटी कोतवाली में बतौर नाइट अफसर ड्यूटी पर थे। टीआई के आदेश पर एक घायल धर्मेंद्र सिंह के बयान और एमएलसी रिपोर्ट की जानकारी लेने शनिवार रात जिला अस्पताल पहुंचे थे। वार्ड में जब पता चला कि घायल रीवा चला गया तो वे पुलिस सहायता केंद्र में आकर बैठ गए। वहां पहले से मौजूद हवलदार सुशील ने बदसलूकी करना शुरू कर दिया। पहले तो सैनिक ज्ञानेंद्र चौबे को अपशब्द कहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप लगाए फिर एएसआई वर्मा से उलझ गया। एएसआई वर्मा का कहना है कि हवलदार खुद को चौकी का टीआई बताने लगा। समझाने पर भी नहीं माना।
बताते हैं कि हर रोज जिला अस्पताल में कुछ एम्बुलेंस और शव वाहन चालक शराब पीते हैं। इन्हीं के बीच हवलदार का उठना-बैठना होता है। चर्चा ऐसी है कि रात ड्यूटी में रोज पहुंचने वाला हवलदार सुशील नशे की हालत में रहता है और आए दिन वह किसी न किसी से बदसलूकी कर जाता है।
अपने वरिष्ठ अधिकारी से बदसलूकी करने वाला हवलदार सरनेम भी बदल लेता है। जो जैसा मिला उसी के जैसा सरनेम बताने लगता है। उसने अपनी नेम प्लेट में भी नाम सिर्फ सुशील लिखवाया है। पूर्व में रामनगर के एक आरोपी भाजपा नेता राम सुशील को मैहर से जिला अस्पताल लाने के लिए हवलदार अपना निजी वाहन उपयोग करने में चर्चा में राह चुका है।