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100 वर्ष बाद भी संघ अपने लक्ष्य को नहीं पा सका: मोहन भागवत

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विस्तारकों और प्रचारकों के वर्ग को किया संबोधित

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mohan bhagwat

सतना। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि संघ के 100 साल पूरे हो गए हैं। लेकिन इस शताब्दी वर्ष में भ्रांतियों में नहीं रहें, हम कोई उत्सव नहीं मना रहे हैं। हम इन 100 सालों का आंकलन कर रहे हैं। हमारा जो लक्ष्य था, उस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाए हैं। यह बातें संघ प्रमुख ने सरस्वती विद्यापीठ में संघ के शताब्दी वर्ष में निकले विस्तारकों और प्रचारकों के वर्ग को संबोधित करते हुए कहीं। इसके पहले उन्होंने विस्तारकों और प्रचारकों से प्रश्नोत्तरी की। न केवल उनसे सवाल किए बल्कि उनके सवालों का जवाब भी दिया। संघ प्रमुख ने कहा कि आप सभी इस संकल्प के साथ निकलें कि जो लक्ष्य है उसे पूरा करेंगे। उस लक्ष्य को प्राप्त करने के नजदीक हैं। लक्ष्य से संघ प्रमुख का आशय था कि हर गांव में संघ की शाखा हो और घर में स्वयं सेवक हो। संघ प्रमुख ने कहा कि इसी लक्ष्य लेकर आप सभी को विस्तार करने जाना है।

जुड़ने से पहले करें आंकलन

संघ प्रमुख ने कहा कि संघ विस्तार के लिए समाज के जिस व्यक्ति से जुड़े तो पहले उसका आंकलन करें। उसकी बौध्दिक स्थिति, आर्थिक स्थिति, सामाजिक स्थिति का आकलन करें। इसके बाद जब उससे मिले तो यह प्रतीत कराएं कि आप उससे अधिक सक्षम हैं। जब उससे मुलाकात कीजिए तो उससे संघ में शामिल करने की बात मत करिए। आप अपनी छाप छोडिये। लगातार मुलाकात कीजिए। तबतक मिलिए जब तक की वो संघ को पसंद करने लगे। हमें लोगों को संघ की विचारधारा से जोड़ना है।

शाखाएं स्वयं लगाएं

संघ प्रमुख ने कहा कि आप लोग जाइए तो स्वयं शाखाएं लगाएं। ऊपर से कोई आकर शाखा लगवाएं इसका इंतजार नहीं करें। लोगों को जोड़ें और संघ की शाखाएं लगाना शुरू करें।

संघ ने चुनौतियों से पार पाना सीख लिया है

संघ प्रमुख ने अपने उद्बोधन में कहा कि संघ ने इन 100 वर्षों में चुनौतियों का सामना करना व चुनौतियों से पार पाना भली भांति सीख लिया है। संघ विचारों को लेकर आगे बढ़ा है लेकिन समाज में ऐसा संदेश प्रचारित हुआ कि विचारों की लड़ाई लड़ रहा है जबकि यह सही नहीं है। चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं, बदली जरूर हैं। इस 1 वर्ष में आगे आने वाली नई चुनौतियों को अंगीकार कर आगे बढ़ेंगे। आगे आने वाले 20 साल अनुकूल समय है। गांव-गांव बस्ती-बस्ती तक संघ विचार पहुंचाना है।

किए सवाल-जवाब

वर्ग के प्रारंभ में संघ प्रमुख भागवत ने विस्तारकों और प्रचारकों से सवाल जवाब भी किए। उन्होंने पूछा कि आप विस्तारक बनने जा रहे हैं। कोई क्या सवाल कर सकता है और क्या जवाब देंगे? संघ क्या है, किसलिए मिलने आए हैं? जैसे सवालों के जवाब संघ प्रमुख ने समझाए। इस दौरान विस्तारकों की ओर से यह भी सवाल आया कि समाज के लोग पूछते हैं कि आप लोग हिन्दुत्व की बात करते हैं, लेकिन खुल कर क्यों नहीं आते हैं?

संघ नहीं होता तो क्या बजरंग दल होता

प्रश्नोत्तरी के दौरान सिवनी के एक कार्यकर्ता ने सवाल किया कि मुझसे बजरंग दल के एक पदाधिकारी ने कहा कि आप बजरंग दल में रहो, संघ में नहीं। वह लोग सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं बोलते हैं, क्या यह सही है? इस पर भागवत ने जवाब दिया कि उस पदाधिकारी से पूछना कि संघ नहीं होता तो क्या बजरंग दल होता।

मैहर में किए मां शारदा के दर्शन

संघ प्रमुख मोहन भागवत नागपुर से चलकर सुबह तय समय से एक घंटे विलंब से लगभग 6.56 बजे मैहर रेलवे स्टेशन पहुंचे। यहां से वे सीधे सख्त सुरक्षा घेरे में बोस कॉलोनी स्थित संघ कार्यालय शारदा निकेतन पहुंचे। स्नान ध्यान के बाद वे मां शारदा के दर्शन को त्रिकूट पर्वत पहुंचे। यहां मां शारदा के दर्शन पूजन किए। सुरक्षा मानकों के तहत भागवत के दर्शन के दौरान मंदिर परिसर को पूरी तरह खाली करवा लिया गया था।

स्थानीय व्यंजनों का चखा स्वाद

मां शारदा के दर्शन के बाद भागवत कार द्वारा सतना जिले की उचेहरा तहसील स्थित पतौरा गांव पहुंचे। यहां संघ के प्रांत प्रचारक बृजकांत चतुर्वेदी का घर है। यहां उन्होंने चतुर्वेदी के घर पर बने स्थानीय व्यंजन बरा-मुगौरा और रसाज की कढ़ी का स्वाद लिया। उनके साथ परिवार के अन्य सदस्यों सहित साथ में चल रहे संघ कार्यकर्ता और प्रांच प्रचारक ने भी भोजन किया। इस दौरान गांव की पूरी गली को सील कर दिया गया था। किसी को आने जाने की अनुमति नहीं थी।

विस्तारकों के वर्ग को संबोधन

भोजन उपरांत मोहन भागवत कार द्वारा सतना शहर के लिए रवाना हुए। पतौरा से वे सीधे सरस्वती विद्यापीठ पहुंचे। इनके काफिले के आगे जैमर युक्त वाहन चल रहा था। भागवत के काफिले के आगे का यातायात आधे घंटे पहले रोक दिया गया था। सरस्वती विद्यापीठ में आरक्षित कक्ष में उन्होंने विश्राम किया। इसके बाद 5 बजे से संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर निकले विस्तारक और प्रचारकों के वर्ग को संबोधित किया।