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बच्चों को मोबाइल-टीवी से रखें दूर, कमजोर हो रहीं आंखें, जानिए क्या कहा विशेषज्ञों ने…

राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत 632 विद्यालय के छात्रों की जांची गई आंख

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Unsuccessful students do not panic, 'do not stop'

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सतना. डिजिटल मीडिया के बढ़ते उपयोग व तेजी से बदलती जीवनशैली से बच्चों की सेहत प्रभावित हो रही है। आंखों की रोशनी कमजोर पड़ रही है। इसका खुलासा हाल में राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत कराई गई जांच से हुआ है। इसमें करीब ७ फीसदी बच्चों की आंखें कमजोर मिली हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण त्रिवेदी ने बताया कि जिले में इसकी मुख्य वजह मोबाइल, टीवी, कम्प्यूटर का अत्याधिक उपयोग है। लोगों की बदलती जीवन शैली के कारण खेलकूद के तौर-तरीकों में भी बदलाव आ गया है। बच्चे ज्यादा समय मोबाइल, कम्प्यूटर, टीवी, लैपटॉप में बिता रहे हैं। इसके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं।

समय निर्धारित करें
डॉ. त्रिवेदी ने अभिभावकों को सलाह दी कि बच्चों पर नजर रखें। मोबाइल, कम्प्यूटर, टीवी, लैपटॉप के उपयोग का समय निर्धारित करें। एक बार दृष्टिदोष सामने आने पर चिकित्सक से परामर्श लेते रहें। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही खतरनाक हो सकती है।

चश्मा वितरण का दावा
राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत जिले के ६३२ सरकारी विद्यालयों में पढ़ रहे १ लाख ६ हजार ५२८ बच्चों के नेत्रों की जांच की गई। इनमें से ७७३७ बच्चोंं की आंखों में नेत्र रोग विभाग के अमले ने कमजोरी पाई। कमजोर आंख वाले सभी बच्चों को चश्मा वितरण का दावा किया जा रहा है। सीएमएचओ डॉ विजय कुमार आरख ने बताया कि जिले के सरकारी विद्यालयों में राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत अप्रेल २०१८ से मार्च २०१९ तक अभियान चलाया गया। जिले के ६३२ विद्यालयों के सात हजार से अधिक बच्चों की दृश्यता कमजोर मिली।

नेत्र परीक्षण के बाद बांटे चश्मा और दवाइयां
नेत्र रोग विभाग ने बच्चों की आंखों की कमजोरी को गंभीरता से लिया है। दृष्टिदोष पाए गए सात हजार से अधिक बच्चों को चश्मे का नंबर दिया गया है। सभी बच्चों को नि:शुल्क चश्मा और दवाइयां भी दी गई हैं। जिन बच्चों में दृष्टिदोष पाया गया है उनके स्वास्थ्य की लगातार निगरानी की जा रही है। हर छह माह में बच्चों के नेत्रों का परीक्षण किया जा रहा है। अभिभावकों को भी निर्धारित समय पर बच्चों की आंखों की जांच कराने परामर्श दिया गया है।

मैहर और अमरपाटन डेंजर जोन में
मैहर और अमरपाटन विकासखंड में सबसे ज्यादा ८०० से अधिक बच्चों की आंखें कमजोर पाई गई हैं। दूसरे नंबर पर उचेहरा रामनगर क्षेत्र में भी बच्चों में दृष्टिदोष मिला। नेत्र रोग विभाग की यह रिपोर्ट चौंकाने वाली है। रिपोर्ट बता रही कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों की जीवन शैली तेजी से बदल रही है। इसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।

दिनचर्या का विशेष ख्याल रखें
बच्चों की दिनचर्या का विशेष ख्याल रखें। टीवी, वीडियो, मोबाइल गेम से दूर रखें।
डॉ. अरुण त्रिवेदी, नेत्र रोग विशेषज्ञ