जानकारी के अनुसार, बिरसिंहपुर क्षेत्र के सेलहा और बिजहरी गांव के 12 आदिवासी मजदूरों को मेहुती निवासी ठेकेदार विनोद पंडित अपने साथ काम दिलाने के नाम पर मुम्बई लेकर गया था। वहां काम न दिलाकर वापी के आगे दमन में एक दवा कारखाने में काम दिलवाया। यहां मजदूरों ने 17 सितंबर से काम किया। इस बीच मजदूरों की तबीयत खराब होने पर भी उनसे जबरिया काम लिया जाता रहा। यहां से खाली हाथ गए मजदूरों ने अपने जरूरतों के लिए जब पैसे की मांग की तो मजदूरी न देकर मारपीट की जाने लगी। इस पर किसी तरह मौका देखकर एक ही परिवार के 7 मजदूर वहां से भाग निकले। इनके पास पैसे भी नहीं थी।
किसी तरह मुंबई से ट्रेन से छिपते छिपाते ये लोग सतना पहुंचे। भूखे पेट यहां तक की यात्रा करने के दौरान दो मजदूरों की तबीयत बिगड़ गई और एक बच्चे की भी हालत खराब हो गई। इनमें से संजय आदिवासी पिता सुग्रीव (28), बेबी आदिवासी पति संजय आदिवासी दोनों निवासी बिजहरी को बिरसिंहपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इनके एक साल के बच्चे की भी तबियत खराब है उसका भी इलाज किया जा रहा है।
लल्ली कोल पिता मुलुआ कोल, छोटू कोल पिता मुलुआ कोल, भैया कोल पिता मुलुआ कोल, शुभम कोल पिता रामनरेश, रत्नी कोल पति लल्ली कोल, संजय पिता सुग्रीव और बेबी पति संजय मुंबई गए थे। जो लौट कर वापस आ गए हैं। इन्होंने बताया कि तीन दिन से इन्हें खाना पीना नहीं मिली है और खाली पेट किसी तरह से भाग कर आए हैं।