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इस दिन 16 कलाओं से युक्त होता है ‘चंद्रमा’, देता है अश्वमेघ यज्ञ का फल

महादेव के आशीर्वाद से उन्हें अमावस्या से पूर्णिमा तक घटने व फिर पूर्ण रूप में आने का आशीर्वाद मिला।

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Abha Sen

Oct 26, 2015

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सतना। चांद की खूबसूरती से सभी वाकिफ हैं। कितनी ही सुंदर चीजों की तुलना चांद से की जाती है। चंद्रमा को लेकर कई फिल्मी गानें भी बन चुके हैं। लेकिन क्या आपको पता है वह कौन सा दिन है जब चंद्रमा 16 कलाओं के साथ दिखाई देता है। जी हां, शरद पूर्णिमा के अवसर पर ही चंद्रमा अपने पूर्ण और सबसे बड़े स्वरूप में नजर आता है।

चंद्रमा को उनके ससुर ने ही श्राप दिया था जिसकी वजह से जिसकी वजह से उनका सुंदर रूप बदल गया था। लेकिन महादेव के आशीर्वाद से उन्हें अमावस्या से पूर्णिमा तक घटने व फिर पूर्ण रूप में आने का आशीर्वाद मिला। इसी वजह से भी महादेव चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण करते हैं।
शरद पूर्णिमा पर अमृत की वर्षा होगी। ऐसा शुभ संयोग साल में एक ही बार आता है। इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होकर साल का सबसे बड़ा चंद्र होता है। इस दिन मां नर्मदा की आरती में शामिल होने मात्र से अश्वमेघ यज्ञ का पुण्य प्राप्त होता है।
पत्रिका परिवार द्वारा आयोजित महाआरती में शामिल होने के लिए लोगों का उत्साह बढ़़ता जा रहा है। महाआरती में शामिल होने के लिए संत-महात्मा अमरकंटक पहुंचने लगे हैं। मां नर्मदा के उद्गम स्थल मुख्य मंदिर प्रांगण में 27 अक्टूबर पूर्णिमा के दिन भव्य महाआरती की जाएगी। महाआरती में नर्मदा उद्गम मंदिर पुजारी संघ और नर्मदा मंदिर ट्रस्ट के साथ नगर परिषद अमरकंटक का पूरा सहयोग रहता है। शरद पूर्णिमा होने के कारण इस महाआरती का विशेष महत्व होगा।
मां नर्मदा उद्गम मुख्य मंदिर के पुजारी धनेश कुमार द्विवेदी ने बताया कि जो भी मनुष्य महाआरती के साथ स्नान व दीपदान आदि करता है तो उसे महापुण्य मिलेगा। मां नर्मदा की महाआरती पांच महा दीपों से की जाएगी। आरती में शामिल होने वाले सभी श्रद्धालु अपने साथ भी एक दीपक लाएंगे। हर हाथ में दीपक होने से मां नर्मदा जी की हजारों दीपक से महाआरती की जाएगी।

26 अक्टूबर की शाम को भजन संध्या एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। स्थानीय भजन मंडली कीर्तन में शामिल होंगे। भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। जहां पर देर शाम तक आकर्षक भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी।
संगीतमय महाआरती साध्वी प्रज्ञा भारती के स्वरों में की जाएगी। महाआरती में शामिल होने के लिए साध्वी प्रज्ञा भारती अमरकंटक पहुंच रही हैं। अमरकंटक में स्थित आश्रमों के संत सहित अन्य स्थानों से भी संत महाआरती में शामिल होने आएंगे।

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