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स्कूल बस से एलकेजी में पढऩे वाले दो भाइयों के अपहरण की पूरी कहानी

चित्रकूट के सद्गुरु पब्लिक स्कूल परिसर में ही स्कूल की छुट्टी के पांच मिनट बाद ही अपहरण, पिता आयुर्वेदिक तेल के मैन्यूफैक्चरर, डकैत दस्यु बबुली कोल गिरोह का नाम आया सामने

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सतना

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Rajiv Jain

Feb 13, 2019

Full Story of Chitrakoot Satna Kidnapping Case

Full Story of Chitrakoot Satna Kidnapping Case

सतना. मध्यप्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट में स्कूल परिसर से मंगलवार दोपहर एलकेजी में पढऩे वाले दो जुड़वां भाइयों का बदमाशों ने कट्टे के बल पर अपहरण कर लिया। बच्चे बुधवार दोपहर करीब 12.30 बजे स्कूल की छुट्टी के बाद घर जाने के लिए बस में सवार हुए थे, तभी वारदात को अंजाम दिया गया। दो नकाबपोश बदमाश बाइक से बस के पास पहुंचे और कट्टा दिखाकर बस को रुकवाया। उसके बाद एक बदमाश बस में घुसा और अगली सीट पर बैठे बच्चों और महिला केयर टेकर पर कट्टा तान दिया। इसके बाद बाहर खड़ा बदमाश बस में घुसा और पिछली सीटों पर बैठे दोनों भाइयों को साथ ले गया। पूरा घटनाक्रम बस और परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया। करीब पांच घंटे तक बच्चों के बारे में कोई सुराग नहीं मिलने पर स्थानीय लोग और अभिभावक भडक़ गए। उन्होंने स्कूल के सामने जानकीकुंड मार्ग पर जाम लगाकर तोडफ़ोड़ शुरू कर दी। इससे स्कूल परिसर में लगे कई सीसीटीवी कैमरा भी टूट गए हैं। घटना में साढ़े पांच लाख के इनामी दस्यु बबुली कोल गिरोह का नाम सामने आया है। बच्चों के पिता ब्रजेश रावत ने स्कूल प्रबंधन पर समय से सूचना नहीं देने और लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।
एसपी संतोष सिंह गौर ने बताया कि ब्रजेश रावत के चार बच्चे हैं। सभी चित्रकूट स्थित सद्गुरु पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं। एलकेजी में पढऩे वाले पांच साल के प्रियांश और श्रेयांश जुड़वां हैं। मंगलवार को स्कूल की छुट्टी होने के बाद दोनों रोज की तरह स्कूल बस एमपी 19 पी 0973 से घर लौट रहे थे। वारदात के समय दोनों बड़े भाई 5वीं में पढऩे वाले देवांश रावत (12) और तीसरी में पढऩे वाले शिवांश (10) स्कूल में ही थे। कुछ बच्चों को छोडक़र बस परिसर से ही बाहर की ओर जा रही थी। इस बीच 12.26 बजे दो नकाबपोश बदमाशों ने वारदात को अंजाम दे दिया। पिता ब्रजेश रावत तपसी सेवा फार्मेसी के नाम से आयुर्वेदिक तेल से जुड़ा कारोबार करते हैं। उनकी चित्रकूट के रामघाट पर पैतृक दुकान है। पिता रावत का कहना है कि उनका किसी से कभी व्यक्तिगत या पारिवारिक विवाद नहीं रहा। न अभी तक किसी डकैत या अन्य ने फिरौती के लिए संपर्क किया है। अपहरण की सूचना पर दोनों राज्यों की पुलिस ने चित्रकूट से जाने वाले के सभी मार्गों को सीज कर दिया। सभी वाहनों की जांच की जा रही है। उप्र से सटा होने से कर्वी जिला एसपी मनोज कुमार भी मौके पर पहुंचे और आसपास के थाना क्षेत्र में वाहनों की जांच की।

35 बच्चे सवार थे, ढूंढकर ले गए दोनों को
स्कूल प्रबंधन के अनुसार वारदात के समय बस मेें 35 बच्चे, केयर टेकर और परिचालक मौजूद थे। ज्यादातर बच्चे प्राइमरी क्लास के थे। बदमाशों ने पीछे की सीट तक जाकर दोनों भाइयों को ले गए। इससे पुलिस को अंदेशा है कि वारदात करने वालों को पहले से बच्चों की जानकारी थी। बदमाश जिस बाइक से आए उसकी कंपनी और मॉडल तो सीसीटीवी में स्पष्ट दिख रहा है, पर गाड़ी का नंबर नहीं दिख पा रहा।

गश खाकर गिरी दादी
बच्चों के अपहरण की सूचना मिलते ही दादी शांति देवी और मां बबीता रावत बदहवास हो गईं। दादी शांति कुछ ही देर में गश खाकर गिर पड़ीं। घटना के बाद दोनों बड़े भाई भी सहमे हुए हैं।

पिता ने कहा-फिरौती का नहीं आया फोन
पिता रावत के अनुसार उनका किसी से विवाद नहीं रहा है। उनके पास फिरौती का कोई संदेश नहीं आया है। पिता ने स्कूल प्रबंधन पर सुरक्षा में लापरवाही का आरोप लगाया है।

डकैत प्रभावित क्षेत्र
मप्र और उप्र की सीमा पर बसा चित्रकूट डकैत प्रभावित क्षेत्र है। अपहरण की घटनाएं होती रही हैं, पर यह पहली बार है कि किन्हीं बच्चों को निशाना बनाया गया हो। इससे पुलिस का मानना है कि इसमें किसी और गिरोह का हाथ हो सकता है। घटना के बाद दोनों राज्यों की पुलिस ने सभी मार्गों को सील कर दिया।

कमलनाथ ने डीजीपी को किया तलब
प्रदेश में अपहरण की बढ़ती घटनाओं पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने डीजीपी वीके सिंह को तलब किया। सीएम ने उन्हें त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। उधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने कमलनाथ सरकार को सलाह दी कि वे तबादला उद्योग से ध्यान हटाकर अपराधों के नियंत्रण पर केंद्रित करें। प्रदेश में लूट, हत्या और अपहरण का खुला तांडव हो रहा है।

पिता तेल मैन्यूफैक्चरर, रामघाट पर दुकान
नयागांव थाना प्रभारी केपी त्रिपाठी ने बताया कि तपसी सेवा फॉर्मेसी के नाम से कारोबार करने वाले ब्रजेश रावत चित्रकूट के रामघाट में रहते हैं। वे वातनाशक और झड़ते बालों को रोकने का तेल के मैन्यूफैक्चरर भी हैं। वे देशभर में अपने ब्रांड का लाल तेल भी सप्लाई करते हैं। माना जा रहा कि बदमाशों ने व्यापारी के कद को आधार बनाकर अंजाम दिया है। अपहृताओं को फिरौती की मुंहमांगी रकम मिलने की उम्मीद में उन्होंने वारदात का अंजाम दिया हेा। रावत परिवार का सालाना टर्नओवर करीब डेढ़ करोड़ का बताया जा रहा है। उनका रामघाट पर ही एक लॉज निर्माणाधीन है। इसके अलावा परिवार स्थानीय ट्रेवल एजेंसी भी चलता है। रावत परिवार जमीन के कारोबार से भी जुड़ा हुआ है। रावत के चार बेटे हैं। सभी सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट के अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में पढ़ते हैं। जुड़वां बच्चे प्रियांश व श्रेयांश एलकेजी के छात्र हैं, नर्सरी सेक्शन की छुट्टी पहले हो जाती है, इसलिए वे एक साथ बस से घर जा रहे थे। जबकि दोनों बड़े भाई वारदात के समय स्कूल में ही थे।

फोन कॉल का इंतजार
वारदात के बाद परिजनों के पास किसी भी बदमाश या डकैत का फोन नहीं आया है। इसके चलते वारदात का कारण भी स्पष्ट नहीं हो पाया है। अगर, फिरौती के लिए अपहरण किया गया है तो परिजन या रिश्तेदारों को बदमाश संपर्क जरूर करेंगे। पुलिस सूत्रों की मानें तो एक तरीका यह भी हो सकता है कि फिरौती की रकम मध्यस्थ के माध्यम से बदमाशों तक पहुंचाई जाए। बच्चों को सुरक्षित छुड़ाया जाए फिर उसके बाद कोई कदम आगे बढ़ाया जाए। हालांकि यह कदम इतना आसान नहीं है। क्योंकि बदमाशों को थोड़ा भी शक होता है कि पुलिस चाल चल रही, तो वे उनकी जान खतरे में डाल देंगे।

परिवार को सूचना तक नहीं
अपहरण के बाद बच्चों के परिजन स्कूल प्रबंधन की भूमिका से काफी नाराज हैं। पिता ब्रजेश रावत का कहना है कि प्रबंधन ने बच्चों के अपहरण की सूचना तक नहीं दी। अन्य लोगों ने बताया तो वे भागकर स्कूल पहुंचे। इसके बाद उन्हें स्थिति स्पष्ट हुई। पुलिस ने भी उन्हें संपर्क नहीं किया था।

पांच मिनट में अपहरण: दोपहर 12.20 बजे छुट्टी, 12 बजकर 25 मिनट 43 सेकंड पर वारदात
चित्रकूट में जुड़वा भाइयों के अपहरण की वारदात को बदमाशों ने महज पांच मिनट में अंजाम दे दिया। स्कूल की छुट्टी 12.20 बजे पर हुई। उसके बाद बच्चे बस में सवार होना शुरू हुए। बस 12.24 बजे पर रवाना हुई। इसी बीच बाइक सवार बदमाशों ने पीछा शुरू किया। 12.25 बजे बस ट्रस्ट निदेशक के आवास के सामने से गुजरी। उसके बाद करीब 20 सेकंड के अंदर बदमाश बाइक से आ धमके और बस रुकवा दी। 23वें सेकंड पर एक बदमाश चालक के पास पहुंचा और कट्टा लगाते हुए बस के इंजन को बंद करा दिया। दूसरा बदमाश 24वें सेकंड में बस में घुस और केयर टेकर व बच्चों पर कट्टा तान दिया। फिर वह बस के पीछे हिस्से में गया और 29वें सेकंड में दोनों बच्चों को लेकर आगे आया। 35वें सेकंड तक बदमाश दोनों बच्चों को लेकर उतर गए थे। 39वें सेकंड पर बच्चों को बाइक पर बैठाया और फिर 43वें सेकंड तक गाली देते हुए अनसुइया आश्रम मार्ग की ओर भाग खड़े हुए। इस तरह पूरी वारदात 1.43 मिनट के अंदर अंजाम दे दी गई। इसके बाद हडक़ंप मच गया। सभी स्थिति का आकलन करते हुए पुलिस भी मान रही कि बदमाश पूरी तैयारी से थे, वे परिस्थितियों को समझ रहे थे और जरूर रैकी किए होंगे।


कब-क्या हुआ
12 बजकर 20 मिनट पर स्कूल की छुटटी हुई तो बस से जाने वाले बच्चों की लाइन लगी।
12 बजकर 24 मिनट पर बस स्कूल से रवाना हुई।
12.25 बजे ट्रस्ट के निदेशक के आवास के पास से गुजरी।
12 बजकर 25 मिनट 20 सेकंड पर दो युवकों ने बस रोकी।
12 बजकर 25 मिनट 23 सेकंड पर बाइक चालक ने बस चालक को पकड़ तमंचा लगा दिया।
12 बजकर 25 मिनट 24 सेेकंड पर दूसरा नकाबपोश तमंचा लेकर बस के अंदर पहुंचा।
12 बजकर 25 मिनट 29 सेेकंड पर उसने तमंचा लहराते हुए जुड़वां भाइयों को उठा लिया
12 बजकर 25 मिनट 35 सेेकंड में धमकी व गाली देते हुए वह दोनों को लेकर नीचे उतरा।
12 बजकर 25 मिनट 39 सेेकेंड पर बच्चों को बाइक पर बैठाया।
12 बजकर 25 मिनट 43 सेकंड में उन्हें लेकर अनुसुइया जंगल की ओर निकल गए।

सुराग नहीं मिला तो फूटा गुस्सा, तोड़ दिए सीसीटीवी कैमरे
चित्रकूट के सद्गुरु पब्लिक स्कूल कैम्पस से बच्चों के अपहरण से पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। स्कूल परिसर में स्कूल बस से स्टाफ के सामने ही बच्चों का अपहरण होना और पांच घंटे बाद भी पुलिस के हाथ सुराग नहीं लगने से स्थानीय लोगों का सब्र जवाब दे गया। गुस्साई भीड़ ने स्कूल के सामने जानकीकुंड मार्ग को जाम कर दिया। तोड़-फोड़ भी की गई। इससे अस्पताल परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे टूट गए। हालांकि इसमें किसी के चोटिल होने की खबर नहीं है। स्थिति की नजाकत को देखते हुए पुलिस बल ने मोर्चा संभाला। एसपी संतोष सिंह भी मौके पर पहुंचे और खुद ही जाम खुलवाने का प्रयास किया। उन्होंने लोगों को समझाते हुए हंगामा शांत कराया। शाम करीब 6.30 बजे सतना एसपी संतोष सिंह गौर, कर्वी एसपी मनोज कुमार झा व एएसपी बलवंत कुमार के बीच गोपनीय बैठक की गई। बताया गया कि बदमाशों को लेकर कोई ठोस सबूत मिले हैं। इसके बाद आला अधिकारी चर्चा करते हुए जांच को आगे बढ़ा रहे हैं।

जिले में पहली वारदात: अपहरण की गुत्थी सुलझाने को एडी के सारे एक्सपर्ट बुलाए
जिले में स्कूल बस से बच्चों के अपहरण की वारदात पहली बार हुई है। चित्रकूट जैसे संवेदनशील इलाके में एकसाथ दो बच्चों के अगवा होने के बाद पुलिस के भी पसीने छूट रहे हैं। एसपी संतोष सिंह गौर और चित्रकूट उप्र के एसपी मनोज कुमार झा के साथ चित्रकूट के अपर एसपी बलवंत सिंह अपनी टीमों के साथ पतासाजी करने में जुटे हैं। इधर, उप्र और मप्र पुलिस के अफसरों की बैठक चित्रकूट में हुई। सतना एसपी गौर और चित्रकूट उप्र के अपर एसपी बलवंत सिंह की मौजूदगी में अपराधियों तक पहुंचने के लिए साझा रणनीति तय की गई। एसपी गौर के निर्देश पर जिले के उन सभी पुलिस अफसरों को चित्रकूट तलब कर लिया गया जो इस इलाके में तैनात रहे या दस्यु उन्मूलन अभियान में काम कर चुके हैं। रीवा आइजी के निर्देश पर संभाग से भी पुलिस अधिकारियों को चित्रकूट रवाना करने के निर्देश हुए हैं। डीआइजी भी रात में पहुंचे हैं। पुलिस चित्रकूट के आस-पास के सभी चिह्नित बदमाशों को राडार पर लिए हुए है। प्रत्येक बदमाश की वर्तमान व वारदात के समय की लोकेशन पर नजर रखी गई है। बबूली कोल का नाम आने के बाद भी पुलिस हर पहलू की जांच कर रही है। पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती बच्चों की सुरक्षा है। पुलिस की मामूली लापरवाही बच्चों को खतरे में डाल सकती है। इसके चलते हर कदम फूंक-फूंककर उठा रही है।

गोशाला गेट से भाग गए आरोपी
पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि अपहरण की वारदात को अंजाम देने के बाद बाइक सवार बदमाश सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट परिसर के गेट नंबर तीन गोशाला गेट से रजौला बाइपास की ओर भागे हैं। घटना के वक्त इस गेट पर आत्माराम पाण्डेय चौकीदारी कर रहा था। बस में चालक रिंकू नागर निवासी उरई जिला जालौन, कंडक्टर रामकुमार निवासी नयागांव, केयर टेकर राजकुमारी विश्वकर्मा मौजूद रहे। इन तीनों के सामने ही वारदात हुई है।

रैकी होने की अशंका
पुलिस मान रही कि जिस तरह से वारदात को अंजाम दिया गया है, बिना रैकी यह संभव नहीं। इससे पहले भी बदमाश स्कूल परिसर में पहुंचे होंगे। बच्चों को जिस तरह से ले जाया गया है उसको लेकर तर्क है कि बदमाश पूरी तरह से बच्चों को जानते थे। वे सीधे उनके पास पहुंचे और बच्चों को उठा ले गए। अगर, सिर्फ फोटो के आधार पर अपहरण करते तो 35 बच्चों में से चिह्नित बच्चों की पहचान आसान नहीं होती।

निकलना मुश्किल
चित्रकूट में सुरक्षा व्यवस्था के लिए काम कर चुके जानकारों का कहना है कि कम समय में चित्रकूट के मप्र और उप्र के इलाके से बाहर निकलना बदमाशों के लिए मुश्किल है। संदेह है कि घटना के बाद बदमाश आसपास इलाके में ही छिपे हैं। इसलिए हर रास्ते पर नाकाबंदी करते हुए नजर रखी जा रही है। चित्रकूट से बाहर जाने वाले इलाकों में भी पुलिस नाका लगाकर हर वाहन को जांच रही है। दूसरी ओर पीडि़त परिवार से पुलिस लगातार संपर्क बनाए है।

सीसीटीवी में कैद, मुंह बांधकर चढ़े थे
पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई है। बस के सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट नजर आ रहा कि जैसे ही बस स्कूल कैम्पस से बाहर हो रही थी, तभी मोटर साइकिल से पहुंचे दो बदमाशों में एक केसरिया रंग का गमछा मुंह पर बांधे बस में सवार हुआ। कट्टा लिए बदमाश ने बस कंडक्टर को धक्का मारा और कट्टा दिखाते हुए धमकाया। इसके बाद एक अन्य ने श्रेयांश और प्रियांश को उठाया और अपने साथ लेकर भाग निकला। जब बदमाश भाग गए, तब बस में मौजूद स्टाफ ने शोर किया। मौके पर पहुंची पुलिस सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद बदमाशों का हुलिया पहचानने व उन तक पहुंचने के प्रयास में जुटी है।


खामियों का फायदा उठाया बदमाशों ने
भले ही तकनीकी रूप से स्कूल प्रबंधन ने कदम उठा रखे थे। बस में सीसीटीवी कैमरे सहित केयर टेकर व अन्य स्टाफ मौजूद था। लेकिन, इसके बाद भी स्कूल प्रबंधन की खामियां सामने आई हैं। बदमाशों ने मुंह पर कपड़ा बांधकर स्कूल परिसर में प्रवेश किया। किसी भी सुरक्षाकर्मी ने उन्हें रोकने का प्रयास नहीं किया। बदमाशों ने चलती बस को रुकवाया, ऐसी स्थिति में चालक को बस नहीं रोकनी चाहिए थी। वारदात के बाद बदमाश कट्टा लहाराते हुए भागे, किसी ने पीछा करने का प्रयास नहीं किया। स्कूल प्रबंधन का सूचना तंत्र भी कमजोर था। प्रबंधन तक बात पहुंचती, उससे पहले बदमाश परिसर से भाग खड़े हुए।

बच्चों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता
सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस हर परिस्थिति को गंभीरता से ले रही है। बच्चों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है।
संतोष सिंह गौर, एसपी, सतना