
Guru Purnima-2018: Guru Purnima today date time importance
सतना। भारतीय परम्परा में माता-पिता के बाद गुरु को जीवन में विशेष महत्व दिया गया है। माता-पिता बच्चे को जीवन देते हैं पर गुरु उसे जीवन जीना सिखाता है। गुरु के इसी महत्व को मानते हुए आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को बतौर गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस बार गुरु पूर्णिमा 27 जुलाई यानी शुक्रवार जिलेभर में धूमधाम से मनाई गई।
शिष्य अपने गुरु के चरणों पर शीश नवा कर आशीर्वाद लिए। इसके लिए जिलेभर के अलग-अलग मंदिरों-मठों और आश्रमों में तैयारियां गुरुवार की शाम ही पूर्ण कर ली गई थी। दूर-दराज से आने वाले भक्त कल ही आश्रम पहुंच गए। चित्रकूट और धारकुंडी आश्रम में सबसे ज्यादा भक्तों की भीड़ देखी गई। यहां देश-विदेश से भी काफी संख्या में भक्त पहुंचे है।
गुरुपूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का साया
गुरुपूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का साया भी रहेगा। दोपहर तीन बजे से सूतक लगने से कार्यक्रम नहीं होंगे। सुबह से शुरू गुरुपूजन कार्यक्रम दोपहर 2.55 बजे तक चलेंगे। ज्योतिषाचार्य मोहनलाल द्विवेदी ने बताया कि सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण 27 जुलाई की रात लगने वाला है। यह ग्रहण दो संयोगों में पड़ रहा है। पहला अष्टांग योग में जो 104 वर्ष बाद पड़ रहा है। वहीं दूसरा संयोग यह है कि इस दिन गुरु पूर्णिमा पड़ रही है। ऐसा संयोग 18 साल बाद बन रहा है इससे पहले यह 16 जुलाई 2000 में पड़ी थी। चंद्रग्रहण 27 जुलाई को रात 11 बजकर 55 मिनट पर चालू होगा जो 28 जुलाई को 3 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
गुरु-शिष्य परंपरा का साक्षी है धारकुंडी
जिला मुख्यालय से लगभग 60 किमी. दूर स्थित धारकुण्डी में प्रकृति और अध्यात्म का संगम देखने को मिलता है। विंध्यांचल पर्वत श्रंखला के बीच घनघोर जंगल में धारकुंडी आश्रम है। जहां स्वामी सच्चिदानंद महाराज अध्यात्म चिंतनरत रहते हैं। यहां वैसे तो प्रतिदिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। लेकिन गुरु पूर्णिमा पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। यहां मध्यप्रदेश-उत्तरप्रदेश सहित देशभर से हजारों श्रद्धालु पहुंचे। गुरु पूर्णिमा पर दीक्षा महोत्सव के साथ भव्य मेला भी आयोजित किया गया। इसके लिए भक्तगण दो दिन पहले से ही पहुंच गए थे। उनके खाने-पीने व ठहरने की व्यवस्था आश्रम की ओर से ही की जाती है। सुरक्षा व्यवस्था स्थानीय प्रशासन व पुलिस के जिम्मे होती है।
अघ्रमर्षण कुंड
पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र परमहंस आश्रम का जिक्र शास्त्रों में भी है। यहां स्थित अघ्रमर्षण कुंड महाभारत काल से अब तक अपनी सत्यता के लिए चर्चित है। मान्यता है कि कौरव युद्ध के बाद लगे पापों से मुक्ति के लिए दक्ष और युधिष्ठिर ने इसका सहारा लिया था।
चित्रकूट: मठ-मंदिरों में सुबह हुई गुरुपूजा
चित्रकूट स्थित मठ-मंदिरों में सुबह से ही गुरु पूजन के कार्यक्रम शुरू हो गए। यहां गुरु की पूजा करने के लिए देश-विदेश से भक्त पहुंचे। ऐसे में आश्रमों में भक्तों के रुकने और प्रसाद की तैयारी कल ही पूरी कर ली गई थी। सुबह 6.30 बजे से गुरु पूजा शुरू हुई, जो दोपहर तक जारी रही। दोपहर तीन बजे के बाद सूतक लगने से गुरुपूजा नहीं होगी।
शिवानंद योगाश्रम
संग्राम कॉलोनी स्थित शिवानंद दर्शन योगाश्रम में गुरु पूर्णिमा धूमधाम से मनाई गई। आश्रम में एक सप्ताह पहले से ही शिष्यों का आना शुरू हो गया था। यहां बीती शाम से ही गुरु आराधना के साथ कार्यक्रम शुरू हो चुके हैं। पूर्णिमा को प्रात: 6:30 बजे आराधना हुई। इसके बाद गुरु पादुका पूजा प्रारंभ की गई। जगद्गुरु शंकराचार्य विरचित गुरुपादुका स्तोत्रम एगु: स्तोत्रम के साथ होगी पूजा का क्रम जारी रहा। सुंदरकांड का सस्वर पाठ व हनुमत सहस्त्रनाम हवन भी हुआ।
मोतीराम आश्रम
पुष्पराज कॉलोनी स्थित संत मोतीराम आश्रम में गुरुपूजा सुबह से शुरू हो गई। बाबा खिम्यादास की हुजूरी में दिनभर सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यक्रम हुए। दोपहर बाद भंडारे का आयोजन किया गया। शाम ६ बजे से सत्संग हुए। सेवादार विजय रिझवानी ने बताया कि पूर्णिमा पर बाबा अपने भक्तों को गुरु दीक्षा भी दिए।
श्रीराधा-कृष्ण मंदिर बांधवगढ़ कॉलोनी
श्रीराधा-कृष्ण मंदिर मंदिर बांधवगढ़ कॉलोनी में गुरु पूर्णिमा की तैयारी कल शाम को ही पूरी कर ली गई थी। मधुसूदन प्रसाद चतुर्वेदी के सानिध्य में पूरा कार्यक्रम हुआ। मंदिर में सुबह 6.30 बजे से शिष्यों का आना शुरू हो गया। दिनभर गुरुपूजन, कीर्तन, भजन होंगे। भक्तों के लिए भंडारे का आयोजन भी किया गया।
Published on:
27 Jul 2018 04:02 pm
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