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पर्वतारोही रत्नेश पाण्डेय के दल ने फतेह की 13.8 हजार फीट ऊंची चोटी, 25 युवाओं ने माउंट पतालसु में फहराया झंडा

25 प्रतिभागियों ने फतह की 13.8 हजार फीट ऊंची चोटी, माउंट पतालसु की साहसिक यात्रा से लौटा खिलाडिय़ों का दल

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how to reach patalsu peak mountaineer Ratnesh Pandey success story

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सतना/पर्वतारोही रत्नेश पाण्डेय के नेतृत्व में प्रदेशभर के 25 युवाओं ने मनाली स्थित माउंट पतालसु की 13 हजार 845 फीट ऊंची चोटी फतेह की। उन्होंने यहां खेल विभाग व मप्र स्थापना दिवस का झंडा फहराया। दल में दो ऑफिशियल्स के अलावा कराते, ताईक्वांइडो, शूटिंग, घुड़सवारी व एथलेटिक्स अकादमी की 12 बालिका व 11 बालक खिलाड़ी शामिल थे। उन्हें मप्र स्थापना दिवस पर साहसिक अभियान के तहत इस यात्रा में भेजा गया था।

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ताकि, उनमें साहसिक खेलों के प्रति आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता, टीम भावना व विपरीत परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता विकसित हो सके। इससे न सिर्फ पर्वतारोहण व साहसिक खेलों के प्रति बढ़ावा मिलेगा, बल्कि युवाओं में नई सोच विकसित होगी। संयुक्त संचालक डॉ. विनोद प्रधान व बीएस यादव ने झंडी दिखाकर खिलाडिय़ों को रवाना किया था।

कौन है रत्नेश पाण्डेय
बता दें कि, शहर के खजूरी टोला निवासी रत्नेश पाण्डेय पिता जयचंद पाण्डेय ने सबसे पहले एवरेस्ट फतह तक अपने अभियान की शुरुआत की थी। पहली मर्तबा नेपाल में आए भीषण भूकंप की वजह से इन्हे आधी चढ़ाई कर के ही वापस लौटना पड़ा था। लेकिन 6 महीने बाद सतना का लाल एवरेस्ट फतह कर ही लौटा। माउंट एवेरेस्ट की दुर्गंम चढ़ाई को पूरा कर भारत का झंडा लहराएगा।

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इसके बाद दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत को फतह कर पहली बार वहां राष्ट्रगान करने वाले पेशेवर पर्वतारोही विश्व की सबसे दुरुह और ईरान की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला सबालान में फतह हासिल कर चुके है। अंतरराष्ट्रीय अभियान और युवा शिविर के द्वारा आयोजित यूएआईआई और आईआर ईरान माउंटेनियरिंग फेडरेशन के अभियान के तहत ईरान की सबसे ऊंची पर्वत चोटी दामावंद और सबालान की चढ़ाई की।