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9 साल में शादी 16 में बनी मां, 35 की उम्र में बेटे के साथ दी 12वीं की परीक्षा, अब शहर की मेयर

संघर्ष से गढ़ी सफलता की राह : इंजीनियर पति देते थे ताना-अब बच्चों को पढ़ाओ, इस उम्र में तुम क्या पढ़ोगी

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सतना

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Rajiv Jain

Mar 08, 2019

Mamta Pandey Satna

Mamta Pandey Satna

सतना. 9 वर्ष की अबोध उम्र में विवाह, 16 की आयु में बनी मां। तीन बच्चों के साथ माता-पिता व परिवार की सेवा फिर भी जारी रहा संघर्ष। पढऩे की ललक ऐसी कि 35 की उम्र में बड़े बेटे के साथ 12वीं की परीक्षा दी और प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया। इससे उत्साह बढ़ा तो 45 वर्ष की आयु तक एमए और एलएलबी की डिग्री पूरी की। अब शहर की मेयर हैं। संघर्ष और जब्जे की यह कहानी किसी आदिवासी बाला की नहीं, बल्कि सतना शहर की प्रथम नागरिक महापौर ममता पाण्डेय की है। सफलता से पहले उनका जीवन भी एक सामान्य महिला की तरह संघर्ष भरा रहा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। राजनीति के अखाड़े में कई बार पटखनी खाई। पार्टी से पार्षदी के टिकट के लिए भी संघर्ष करना पड़ा पर उनके कदम कभी नहीं डगमगाए। उन्होंने अपनी हार को जीत समझा और कर्तव्य पथ पर डटी रहीं। परिणाम, आज वह अपनी मेहनत और लगन के कारण ही आम गृहणी से शहर की महापौर की कुर्सी तक पहुंच सकी हैं। महापौर ने बताया, 1971 में 9 साल की उम्र में विवाह होने से उन्हें पढ़ाई बीच में छोडऩी पड़ी। 24 की उम्र पर वह तीन बच्चों की मां बन चुकी थीं। पति की सेवा, बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी उनके सिर थी। लेकिन, पढऩे का जुनून दिल में कौंध रहा था। वह जब भी वह पढऩे की बात करतीं, इंजीनियर पति बद्री प्रसाद पाण्डेय ताना मारते कि इस उम्र में तुम क्या पढ़ोगी, अब बच्चों को पढ़ाओ। लेकिन, उनकी जिद के सामने पति पिघल गए और अंबिकापुर से सतना में शिफ्ट होते ही पढऩे की इजाजत दे दी।

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Satna Mayor Mamta Pandey IMAGE CREDIT: patrika

27 की उम्र में बनीं अध्यक्ष
महापौर का धेयवाक्य है, जीवन में हार से ही जीत का रास्ता खुलता है। गरीबों की सेवा एवं उनकी दुआओं से ही मंजिल मिलती है। पति की अम्बिकापुर में पोस्टिंग के दौरान उनका परिचय पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती के भाई से हुआ। उनके सहयोग से वे उमाभारती से मिलीं और उनके कहने पर वनवासी छात्रावास से जुड़ीं। वनवासी छात्रों के लिए एक साल तक गांव-गांव जाकर अनाज इकट्ठा किया। इंजीनियर की पत्नी होने के बावजूद सिर पर गारा ढोकर छात्रावास का भवन बनवाया। संघर्ष का फल यह रहा कि 27 की उम्र में उन्हें अम्बिकापुर वनवासी छात्रावास का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

Satna Mayor Mamta Pandey IMAGE CREDIT: patrika

संघर्ष पूर्ण रहा राजनीतिक जीवन
महापौर का कहना है, वह फ्रीडम फाइटर जगमोहन प्रसाद गौतम की बेटी हंै। इससे उनके दिल में हमेशा कुछ करने का जज्बा रहा। 45 की उम्र में पढ़ाई पूरी कर पहली बार उमा भारती की जनशक्ति पार्टी से जिपं सदस्य का चुनाव लड़ा, जिसमें हार मिली। इसके बाद इसी पार्टी से महापौर का चुनाव लड़ा, उसमें भी करारी हार मिली। इससे वह निराश नहीं हुईं। सच्चे मन से गरीबों की सेवा में तत्पर रहीं। 2014 में भाजपा से महापौर पद के लिए टिकट मिला और उन्होंने जीत दर्ज की।