भारत परिक्रमा के तहत वे यहां आए थे और टाउन हाल के मैदान में संबोधित किया था। इस दौरान जिले से उन्हें 5 लाख की थैली भेंट की गई थी। इससे जिले के हिस्से को 2.60 लाख रुपए मिले थे, जिससे भाजपा कार्यालय की जमीन खरीदी गई थी। 2003 में प्रधानमंत्री बनने पर अटल जी चित्रकूट में नानाजी देशमुख के प्रकल्पों का अवलोकन करने आए थे।
वह कार्यक्रम आज भी जीवंत 1994-95 में अटलजी के सतना दौरे की जानकारी देते हुए तत्कालीन जिला अध्यक्ष पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि उनका वह कार्यक्रम आज भी जीवंत है। पार्टी के भारत परिक्रमा कार्यक्रम के तहत अटलजी का सतना आगमन हुआ था। इस कार्यक्रम में उन्हें पार्टी की ओर से इकट्ठा की गई निधि के तौर पर 5 लाख रुपए की पोटली दी गई थी। इसी राशि के एक हिस्से के रूप में पार्टी ने सतना जिले को 2.60 लाख रुपए दिए थे। इसी राशि से जिला भाजपा कार्यालय के लिए जमीन खरीदी गई थी।
अटलजी के ठीक बगल में बैठे थे पुष्पेन्द्र सिंह ने बताया कि प्रोटोकॉल के तहत वे अटलजी के ठीक बगल में बैठे थे। उस विराट व्यक्तित्व के बगल में बैठने से ही जीवन सार्थक होना बताते हुए उन्होंने उस दौरान दिए गए अटलजी के भाषण के कुछ व्यंग्य भी साझा किए। बताया कि उस दौरान अटलजी को सर्वोच्च सांसद घोषित किया गया था। लेकिन उन्होंने यहां कहा था कि जब देश की संसद ही सर्वोच्च नहीं तो सर्वोच्च सांसद क्या?
आपको तो गुरुघंटाल चाहिए इसके अलावा अटलजी ने नरसिंहारावजी का भी एक उद्धरण यहां बताया था। उसमें उन्होंने कहा था कि नरसिंहारावजी उनके पास आए और बोले के आपको गुरु बनाना है। इस पर अटलजी ने उन्हें बड़ा चुटीला जवाब दिया था कि आपका गुरु से काम नहीं चलेगा। आपको तो गुरुघंटाल चाहिए। भाषण की ये दो चुटकियां काफी समय तक लोगों के बीच चर्चा का विषय रहीं।
व्यंकट-2 में हुई थी सभा
अटल बिहारी बाजपेयी 1991-92 के दौरान सतना आए थे। वर्तमान जिलाध्यक्ष नरेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि वे उस वक्त युवा मोर्चा के कार्यकर्ता थे। रामदास मिश्रा जिलाध्यक्ष हुआ करते थे। अटलजी यहां किसानों को संबोधित करने आए थे। इस दौरान वे सर्किट हाउस में रुके थे। तब अटल जी को काफी करीब से देखने का मौका मिला था। सर्किट हाउस में अटल जी भाजपा के बड़े नेताओं से चर्चा कर रहे थे। तब रामदास जी ने अटल जी से मिलवाया था। उस दौरान उनका स्नेहिल तरीके से मिलना आज भी याद है।
अटल बिहारी बाजपेयी 1991-92 के दौरान सतना आए थे। वर्तमान जिलाध्यक्ष नरेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि वे उस वक्त युवा मोर्चा के कार्यकर्ता थे। रामदास मिश्रा जिलाध्यक्ष हुआ करते थे। अटलजी यहां किसानों को संबोधित करने आए थे। इस दौरान वे सर्किट हाउस में रुके थे। तब अटल जी को काफी करीब से देखने का मौका मिला था। सर्किट हाउस में अटल जी भाजपा के बड़े नेताओं से चर्चा कर रहे थे। तब रामदास जी ने अटल जी से मिलवाया था। उस दौरान उनका स्नेहिल तरीके से मिलना आज भी याद है।
और दर्शन की जिद
नंदिता बताती है कि चित्रकूट आए थे तो उनके घुटनों का आपरेशन हो चुका था। लिहाजा उनका चढऩा मना था। ऐसे में वे कामतानाथ स्वामी के दर्शन की इच्छा किए। लेकिन उनकी सिक्योरिटी और सलाहकारों ने समझाया। लेकिन वे नहीं माने। कहा कि चित्रकूट आकर भगवान के दर्शन किए बिना नहीं जाऊंगा। उनकी जिद के आगे सबको झुकना पड़ा। हालांकि इंतजाम पहले से ही सारे थे। लिहाजा वे वहां गए और दर्शन किए साथ ही संत महात्माओं से भी मिले।
नंदिता बताती है कि चित्रकूट आए थे तो उनके घुटनों का आपरेशन हो चुका था। लिहाजा उनका चढऩा मना था। ऐसे में वे कामतानाथ स्वामी के दर्शन की इच्छा किए। लेकिन उनकी सिक्योरिटी और सलाहकारों ने समझाया। लेकिन वे नहीं माने। कहा कि चित्रकूट आकर भगवान के दर्शन किए बिना नहीं जाऊंगा। उनकी जिद के आगे सबको झुकना पड़ा। हालांकि इंतजाम पहले से ही सारे थे। लिहाजा वे वहां गए और दर्शन किए साथ ही संत महात्माओं से भी मिले।
ग्रामीण विकास की गूंज दिल्ली में
अटलजी ने चित्रकूट के पटनी गांव पहले दिन चकरा नाला जलसंरक्षण प्रबंधन परियोजना का शुभारंभ किया और दूसरे दिन कृषि विज्ञान केन्द्र गनीवां और मझगवां पहुंचे। यहां स्थानीय लोगों की मदद से ग्रामीण विकास को देखा और समझा। लेकिन यहां उन्होंने कुछ बोला नहीं। लेकिन तीसरे दिन इस यात्रा की गूंज दिल्ली में तब सुनाई दी जब एक कार्यक्रम में उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जो लोग कहते हैं देश रसातल में जा रहा है उन्हें सतना के चित्रकूट में जाकर देखना चाहिए। कैसे देश बदल रहा है और गांव के लोग ही देश बदल रहे हैं। यह था अटल का ग्रामीण प्रेम और समझ।
अटलजी ने चित्रकूट के पटनी गांव पहले दिन चकरा नाला जलसंरक्षण प्रबंधन परियोजना का शुभारंभ किया और दूसरे दिन कृषि विज्ञान केन्द्र गनीवां और मझगवां पहुंचे। यहां स्थानीय लोगों की मदद से ग्रामीण विकास को देखा और समझा। लेकिन यहां उन्होंने कुछ बोला नहीं। लेकिन तीसरे दिन इस यात्रा की गूंज दिल्ली में तब सुनाई दी जब एक कार्यक्रम में उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जो लोग कहते हैं देश रसातल में जा रहा है उन्हें सतना के चित्रकूट में जाकर देखना चाहिए। कैसे देश बदल रहा है और गांव के लोग ही देश बदल रहे हैं। यह था अटल का ग्रामीण प्रेम और समझ।
और प्रोटोकॉल से हट कर देखा प्रकल्प
नंदिता ने बताया कि अटल जी के भोजन की व्यवस्था वे स्वयं देख रही थीं। खाने के दौरान जब वे पहुंचीं तो अटल जी ने पूछा नाम क्या है? जवाब में नंदिता बताने पर फिर पूछा कि क्या काम करती हैं? बताया कि उद्यमिता का काम करते हैं। तब अटलजी ने दोहराया नंदिता की उद्यमिता। नानाजी ने बताया कि उद्यमिता का पूरा काम यही देखती है। इस पर अटलजी ने कहा कि नंदिता की उद्यमिता जरूर देखेंगे। इस पर नंदिता ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों ने यहां का भ्रमण काट दिया है। तब अटल जी ने कहा कि हम जरूर आएंगे। और हुआ भी वही। अटलजी अचानक पहुंचे। प्रशासनिक अमला भी हैरान था। फिर एक घंटे तक पूरा प्रकल्प देखा। नंदिता ने बताया कि ये अटल ही थे जो एक कार्यकर्ता का उत्साह इस तरीके से बढ़ा सकते हैं।
नंदिता ने बताया कि अटल जी के भोजन की व्यवस्था वे स्वयं देख रही थीं। खाने के दौरान जब वे पहुंचीं तो अटल जी ने पूछा नाम क्या है? जवाब में नंदिता बताने पर फिर पूछा कि क्या काम करती हैं? बताया कि उद्यमिता का काम करते हैं। तब अटलजी ने दोहराया नंदिता की उद्यमिता। नानाजी ने बताया कि उद्यमिता का पूरा काम यही देखती है। इस पर अटलजी ने कहा कि नंदिता की उद्यमिता जरूर देखेंगे। इस पर नंदिता ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों ने यहां का भ्रमण काट दिया है। तब अटल जी ने कहा कि हम जरूर आएंगे। और हुआ भी वही। अटलजी अचानक पहुंचे। प्रशासनिक अमला भी हैरान था। फिर एक घंटे तक पूरा प्रकल्प देखा। नंदिता ने बताया कि ये अटल ही थे जो एक कार्यकर्ता का उत्साह इस तरीके से बढ़ा सकते हैं।