
mata sati ka har kaha gira tha maa satis necklace fell at this place
सतना। मां शारदा का मंदिर मध्यप्रदेश के सतना जिला अंतर्गत मैहर में स्थित है। पहाड़ों पर बसा ये अद्भुत मंदिर अपनी महिमा के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। दोनों नवरात्र सहित हर मौसम में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। पहाड़ी की चोटी पर स्थित मंदिर परिसर पर खड़े होते ही पूरा शहर एक छोटे बिंदू के समान दिखाई देता है। इस पहाड़ को त्रिकुटा या त्रिकूट पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि मां के आशीर्वाद से भक्तों के अंदर सदैव सुख और शांति बनी रहती है। वहीं अपनी मुराद लेकर आने वाले भक्तों की मनोकामना भी पूरी हो जाती है।
मंदिर के पुजारी बतातें है कि माता सती ने जब खुद को भस्मीभूत कर लिया था और उनकी देह लेकर महादेव तीनों लोकों में घूम रहे थे। तब भगवान विष्णु के चक्र से माता सती की देह खंड-खंड होकर धरती पर आ गिरी थी। इसी दौरान माता का हार इस चोटी पर आकर गिरा। जिस वजह से भी इसे मैहर (माता का हार) कहा जाता है। बताया जाता है कि शास्त्रों में भी इसका उल्लेख मिलता है।
ये है मंदिर से जुडी कहानी
माना जाता है कि राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री सती शिव से विवाह करना चाहती थी। लेकिन राजा दक्ष को ये मंजूर नहीं था। शिव के बारे में उनकी धारणा थी कि वे भूतों और अघोरियों के साथी हैं। लेकिन सती नहीं मानी और उन्होंने अपनी जिद पर भगवान शिव से विवाह कर लिया। बाद में राजा दक्ष ने एक यज्ञ करवाया। जिसमें शामिल होने के लिए ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र और अन्य देवी-देवताओं को बुलाया गया पर जान-बूझकर भगवान शंकर को इससे दूर रखा गया और वो नहीं आ पाए। दक्ष की पुत्री और शंकर जी की पत्नी सती इससे बहुत आहत हुईं।
ऐसे क्रोध में खुला शिव का तीसरा नेत्र
जब दक्ष द्वारा शिव को नहीं बुलाया गया तो यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता से शंकर जी को आमंत्रित नहीं करने का कारण पूछा। इस पर दक्ष द्वारा भगवान शंकर को अपशब्द कहा गया। ये बात सती को अपमानित लगी और उन्होंने दुखी होकर यज्ञ-अग्नि कुंड में कूदकर अपनी जान दे दी। जब भगवान शंकर को इस दुघज़्टना का पता चला तो क्रोध से उनका त्रिनेत्र खुल गया।
गुस्से में तांडव करने लगे शिव
फिर गुस्से में शिव ने यज्ञ कुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कर कंधे पर उठा लिया और तांडव करने लगे। जिसके बाद ब्रह्मांड पर खतरा मंडराने लगा और फिर सृष्टि की भलाई के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को 52 भागों में बांट दिया। जहां-जहां सती के अंग गिरे वहां शक्तिपीठों बन गए।
सती ने पार्वती बनकर लिया जन्म
अगले जन्म में सती ने हिमवान राजा के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया और घोर तपस्या कर शिवजी को फिर से पति रूप में प्राप्त हो गई। ऐसी मान्यता है कि यहीं माता का हार गिरा था। हालांकि, सतना का ये मैहर मंदिर शक्ति पीठ तो नहीं है। लेकिन लोगों की आस्था इस कदर है कि यहां सालों से माता के दशज़्न के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
Published on:
13 Apr 2019 07:46 pm
बड़ी खबरें
View Allसतना
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
