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एक्सीलेंस अस्पताल के हाल बेहाल: प्रसव कक्ष से गायब थी महिला चिकित्सक, सर्जरी के बाद कोई झांकने नहीं जाता

locationसतनाPublished: Oct 12, 2019 12:20:28 pm

Submitted by:

suresh mishra

एक्सीलेंस जिला अस्पताल के हाल बेहाल, मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में जारी है मनमानी

Mother-child health services continue to be arbitrary in satna

Mother-child health services continue to be arbitrary in satna

सतना/ प्रदेश के एक्सीलेंस सतना जिला अस्पताल के हाल बेहाल हैं। मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में यहां मनमानी जारी है। कुछ ऐसा ही शुक्रवार को सामने आया। शाम 4.45 बजे लेबर रूम के सामने गैलरी की जमीन पर चटाई बिछाकर नागौद के सितपुरा गांव निवासी गर्भवती प्रिया पटेल प्रसव पीड़ा से छटपटा रही थी। कमोबेश यही हालात प्रसव कक्ष के अंदर थे।
महिला चिकित्सक डॉ शांति चहल ड्यूटी से गायब थीं। नर्सिंग स्टाफ गंभीर गर्भवती को प्राथमिकता देने की बजाय जोर-जुगाड़ वालों की देखरेख में जुटा था। जिला अस्पताल लेबर रूम में भी यही स्थिति रहती है। रात के समय तो लोग गर्भवती को भर्ती करने से भी डरते हैं। इसी वजह से मातृ-शिशु मृत्युदर का ग्राफ घटने की बजाय दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।
रात में नहीं रहते चिकित्सक
प्रसव कक्ष में रात के समय एक भी डॉक्टर नहीं रहते। गर्भवती की स्थिति गंभीर होने स्टॉफ भी हाथ खड़े कर देता है। इससे परिजन मजबूरी में गर्भवती को लेकर नर्सिंग होम चले जाते हैं। लेबर रूम में रोजना एेसे मामले सामने आ रहे हैं। गर्भवती सहित परिजनों को हो रही तकलीफ की जानकारी प्रबंधन के जिम्मेदारों को है पर मनमानी पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। चर्चा तो ऐसी है कि निजी नर्सिंग होम से साठगांठ के कारण भी मरीजों को परेशान किया जाता है, ताकि तंग होकर मरीज वहां चले जाएं।
कलेक्टर और प्रबंधन की सख्ती बेअसर
गायनी विभाग में विशेषज्ञ सहित मेडिकल ऑफिसर की मनमानी की जानकारी कमिश्नर अशोक भार्गव, कलेक्टर सतेंद्र सिंह, सीएस डॉ एसबी सिंह सहित अन्य को भी है। संभागायुक्त ने लापरवाही पाने पर डॉ एसके पाण्डेय की वेतनवृद्धि रोकने के आदेश जारी किए हैं। लेकिन, सख्ती के बाद भी मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है।
सर्जरी के बाद तो झांकने भी नहीं आते
प्रसूता बहेलिया पति रामनरेश निवासी बुधनेरुआ सर्जरी के बाद तकलीफ से कराह रही थी। नर्सिंग स्टॉफ सर्जरी करने वाली गायनी विभाग की महिला चिकित्सक डॉ माया पाण्डेय को कॉल कर रहा था, लेकिन डॉ पाण्डेय कॉल रिसीव नहीं कर रही थीं। दरअसल पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड क्रमांक-4 में सर्जरी के बाद डिलेवरी के मामले दाखिल किए जाते हैं। वहां रोजाना आधा सैकड़ा से अधिक प्रसूताएं दाखिल रहती हैं। प्रसूताओं के परिजनों ने बताया कि वार्ड में डॉक्टर इलाज तो दूर झांकने भी नहीं आते हैं।
ऐसी है ओपीडी: देर से आना और जल्दी जाना
संचालनालय स्वास्थ्य सेवा ने प्रसव कक्ष में एक चिकित्सक सहित नर्सिंग स्टाफ की 24 घंटे तैनाती के निर्देश दिए हैं। लेकिन, प्रबंधन और चिकित्सकों ने संचालनालय के निर्देशों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया है। विशेषज्ञ सहित मेडिकल ऑफिसर ड्यूटी के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं। न तो समय पर ओपीडी पहुंचते हैं, उल्टे समय से पहले ही लौट जाते हैं। गर्भवती अस्पताल में घंटों भटकने के बाद बिना इलाज लौट जाती हैं। इससे पीडि़तों को निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम में इलाज कराना मजबूरी हो गई है।
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