नागौद में कांग्रेस और भाजपा का सीधा और करीबी मुकाबला होगा। यहां किसी अन्य दल का न तो कोई दखल है और न ही प्रभाव है। कांग्रेस के लिए अच्छी बात यह है कि यहां ज्यादा दावेदार नहीं है। लेकिन भाजपा को थोड़ा नुकसान हो सकता है। यहां की जीत सही टिकट वितरण पर निर्भर करेगी। क्योंकि लड़ाई यहां पार्टी से ज्यादा प्रत्याशी के चेहरे पर होने वाली है। भाजपा में तीन नाम आपसी टक्कर का कारण बन सकते हैं। वहीं कांग्रेस विधायक ही दोहराव के साथ आ सकते हैं, लेकिन उन्हें काम का हिसाब देना होगा।
– भाजपा: गगनेंद्र प्रताप सिंह 45,815
– कांग्रेस: यादवेंद्र सिंह 55,879 भाजपा से ये नाम हैं चर्चा में
– गगनेन्द्र सिंह- पूर्व प्रत्याशी व पूर्व जिपं अध्यक्ष
– नागेन्द्र सिंह – पूर्व मंत्री और वर्तमान खजुराहो सांसद
– रश्मि सिंह – जिपं उपाध्यक्ष व पटेल वोटर में पकड़
– वीरेन्द्र द्विवेदी- पूर्व दावेदार, हालांकि भाजपा समर्थन में बैठे
– यादवेन्द्र सिंह – विधायक व नेता प्रतिपक्ष के करीबी।
– मदनकांत पाठक – वरिष्ठ नेता और उचेहरा क्षेत्र में पकड़
– अतुल सिंह – प्रवक्ता व कांग्रेस सक्रिय कार्यकर्ता
– हरीश ताम्रकार- नपा अध्यक्ष और पुराने कांग्रेसी
– बसपा से अतुल गौतम डब्बू भी दावेदारी करते रहे हैं। मतदाताओं की स्थिति
– ब्राह्मण, क्षत्रिय. पटेल सहित आदिवासी होंगे निर्णायक ये हैं प्रमुख मुद्दे
– परसमनिया का पिछड़ापन, बेरोजगारी, पानी
हार के बाद क्षेत्र में किए गए काम और सघन जनसंपर्क काम आएगा लेकिन टिकट वितरण असंतोष मायने रखेगा। राजघराने की स्थिति भी बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ सकती है।
विपक्ष में रहने से अपेक्षित विकास कार्य में असफल रहना बड़ी चुनौती होगा। साथ ही मतदाताओं का असंतोष विधायक के लिए बड़ी समस्या बन सकता है। नागौद में तमाम प्रयास के बाद भी काम नहीं हो सके। जनता इससे नाराज है। अब बदलाव महसूस किया जा रहा है।
– विकास सिंह, कृषक