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न मालिक को चिंता न पुलिस को परवाह, मध्यप्रदेश में देखिए पुलिस वेरिफिकेशन के हाल

न नौकरों का पुलिस वेरीफिकेशन न कर्मचारियों का: वारदात के बाद शुरू होती औपचारिकता

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naukar and kirayedar police verification news in satna

naukar and kirayedar police verification news in satna

सतना। शहर पुलिस के पास नौकरों और कर्मचारियों के पुलिस वेरिफिकेशन का कोई तरीका नहीं है। आम लोग भी इसकी जानकारी नहीं दे रहे हैं। जयपुर में नौकरानी की मदद से बुधवार को हाइ-प्रोफाइल लूट का मामला सामने आने के बाद जानकारी जुटाई तो यह कड़वी हकीकत सामने आई है। जबकि दो साल पहले कोलगवां थाने की बैंक कॉलोनी में ऐसा ही मामले सामने आया था।

दो साल पहले अमृता नैयर की हत्या

चोरी के लिए घर के नौकर ने अमृता नैयर की हत्या कर दी थी। इसी तरह सतना शहर में और भी कई वारदात में घर के नौकर शामिल रहे। इन कर्मचारियों को घर के हर सदस्य व अन्य जानकारी होती हैं। वे परिवार में इतने घुले मिले होते हैं कि किसी को शक भी नहीं होता।

वारदात के बाद सबकी नींद खुलती है

जब इन मामलों की जांच होती है, तो पता चलता है कि नौकर या कर्मचारी का पुलिस वेरीफिकेशन ही नहीं हुआ था। वारदात के बाद सबकी नींद खुलती है। लेकिन, हकीकत यह है कि न तो मालिक चिंता करता है, न ही पुलिस गंभीरता बरतती है। इसी तरह का हाल किराएदारों का भी है।

कम्यूनिटी पुलिसिंग जैसे शब्द से भी अंजान

उनका भी कोई पुलिस वेरीफिकेशन नहीं कराते। पुलिस भी इसे गंभीरता से नहीं लेती। लंबे समय से इस तरह का समझाइश या जागरूकता का कोई अभियान नहीं चलाया गया है। शहर के लोग कम्यूनिटी पुलिसिंग जैसे शब्द से भी अंजान हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कोई हादसा होने से पहले ही शहर में इस तरह के अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है।

छिपाते हैं जानकारी
नौकर और किरायेदार रखने वालों की भी यह जिम्मेदारी है कि वह व्यवस्था बनाने में सहयोग करें। ताकि घटना की आशंका को टाला जा सके। लेकिन कई मामले एेसे सामने आते हैं जहां खुद मकान मालिक को यह ठीक से पता नहीं होता कि उनका किरायेदार रहने वाला कहां का है और किस प्रवृत्ति का है। यही हाल प्रतिष्ठान में काम करने के लिए रखे जाने वाले नौकरों का है। कई औद्योगिक प्रतिष्ठान हैं जहां प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों से आकर लोग काम कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर का वेरीफिकेशन ही आज तक नहीं हुआ।

बीट प्रभारियों की जिम्मेदारी
पुलिस विभाग में बीट सिस्टम काम करता है। इसके तहत प्रत्येक बीट के अधिकारी और कर्मचारी अपने इलाकों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं। इन्हीं का काम यह भी है कि घर-घर जाकर पता लगाएं कि कहां, कौन नया व्यक्ति रहने या काम करने आया है। इनका वेरीफिकेशन करते हुए पहचान की पुष्टि की जानी चाहिए। लेकिन शहर से देहात तक पुलिस को इस काम के लिए वक्त नहीं।

एक्सपर्ट कमेंट
यह पुलिस रेग्यूलेशन में है कि घर-घर जाकर पुलिस नौकर और किरायेदारों का सत्यापन करे। समाज का भी दायित्व है कि वह नौकर और किरायेदारों के बारे में आगे आकर पुलिस को सूचना दे ताकि उनका सत्यापन किया जा सके। पुलिस विभाग में सत्यापन के लिए एक रजिस्टर बनाया जाता है। जिसमें थाना क्षेत्र के नौकर व किरायेदारों की तस्वीर के साथ उनका परिचय होता है। सत्यापन कराना बेहद जरूरी है। इससे अपराध पर भी अंकुश लगता है। सत्यापन नहीं कराने का परिणाम बड़ी-बड़ी घटनाओं के रूप में सामने आता है। इसका ताजा उदाहरण जयपुर की घटना है।
पन्नालाल अवस्थी, पूर्व डीएसपी

सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दे रहे हैं कि वह अपने क्षेत्र में किरायेदार और नौकरों का वेरीफिकेशन आवश्यक रूप से कराएं। इसमें जनता का सहयोग भी
आपेक्षित है।
संतोष सिंह गौर, एसपी सतना