
the condition of Anganwadi centers is bad
सतना। शहरी आंगनबाड़ी केन्द्रों की हालात खराब है। कहीं खुलने के निर्धारित समय के दो घंटे बाद गेट का ताला नहीं खुल रहा तो कहीं केंद्र में बच्चों को छोड़कर सिर्फ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ही मौजूद दिखाई पड़ रही हैं, जबकि बच्चों के लिए केन्द्रों तक पहुंचने वाला निवाला दूसरे अन्य घरों में गंदगी के बीच रखा जा रहा है। वहीं निगरानी करने वाली सुपरवाइजर और सीडीपीओ सिर्फ कागजों में केन्द्रों के निरीक्षण का दम भर रही हैं। इन दिनों केन्द्रों के हालात बुरे हैं, जबकि शासन द्वारा योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा। बच्चों को सुपोषित बनाने रोजाना अलग-अलग मैन्यू के मुताबिक भोजन केन्द्रों में भेजा जा रहा है। परंतु वह बच्चों को परोसा नहीं जा रहा।
३६ बच्चे पंजीकृत, एक भी मौजूद नहीं
हनुमान नगर में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र क्रमांक १०७ में सुबह १०.०६ बजे एक भी बच्चा मौजूद नहीं रहा, जबकि सुबह ८ बजे से केन्द्र खोलने के निर्देश हैं। पंजीयन रजिस्टर में कहने को ३६ बच्चों का नाम दर्ज है। उन सभी के अनुसार समूह से भोजन भेजा जाता है, लेकिन खाने वाला कोई नहीं। जिस आंकडे़ के मुताबिक पोषण आहार मंगाया जाता है उस अनुसार मौके पर बगैर स्वाद का बमुश्किल १० बच्चों का खाना पाया गया। वह भी केन्द्र में न होकर अन्यत्र घर में रखा था, जबकि भवन के ठीक सामने हादसे के लिए बड़ा गड्ढा खोद दिया गया।
यहां दो घंटे बाद भी लटकता रहा ताला
नई बस्ती में संचालित केंद्र के भवन में न तो क्रमांक नंबर दर्ज है न ही सुबह १० बजे तक इसका ताला खुला। रहवासियों की मानंे तो रोजाना केंद्र के यही हाल रहते हैं। न सहायिका समय पर मौजूद होतीं हैं न ही कार्यकर्ता। वहीं उच्च अधिकारी भी केन्द्रों का निरीक्षण से परहेज करते हैं। जिसके कारण आंगनबाड़ी केन्द्रों की एेसी तस्वीर सामने आ रही है।
समय-समय पर निरीक्षण करती हूं। फिर भी यदि केंद्र समय पर नहीं खुलते और भोजन किसी और के घर में रखा जा रहा है तो लापरवाही की श्रेणी में आता है। संबधितों को बुलाकर जवाब तलब किया जाएगा।
श्वेता जुनेजा, सीडीपीओ
Published on:
17 May 2018 05:55 pm
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