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नागौद विधानसभा: घोषणा के बाद भी BJP ने काट दी थी उदय प्रताप की टिकट, 2003 के चुनाव में हुआ था उलटफेर

नागौद विधानसभा: घोषणा के बाद भी BJP ने काट दी थी उदय प्रताप की टिकट, 2003 के चुनाव में हुआ था उलटफेर

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Old Tales Madhya Pradesh: nagod vidhan sabha 2003 BJP Ticket vitran

Old Tales Madhya Pradesh: nagod vidhan sabha 2003 BJP Ticket vitran

सतना। विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राजनीति के रोचक किस्से भी सामने आ रहे हैं। यह किस्सा है 2003 का। भारतीय जनता पार्टी ने नागौद विधानसभा क्षेत्र से हमेशा पूर्व राजघराने को ही तरजीह दी है। लेकिन, गत चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी से मिली हार को देखकर पार्टी ने 2003 में प्रत्याशी बदलने का निर्णय लिया और तत्कालीन सांसद रामानंद सिंह के करीबी रहे उदय प्रताप सिंह (वर्तमान में नगर परिषद अध्यक्ष हैं) को प्रत्याशी घोषित कर दिया।

समर्थकों ने भी उदय को भाजपा प्रत्याशी मानकर चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी थीं। झंडे-बैनर सहित अन्य प्रचार सामग्री के लिए ऑर्डर दे दिया था। लेकिन, ऐन वक्त पर पार्टी आलाकमान ने नागेंद्र सिंह को बतौर प्रत्याशी घोषित कर बी-फॉर्म उपलब्ध करा दिया।

समर्थकों में नाराजगी के बाद भी उदय प्रताप सिंह पार्टी के निर्णय को सर्वोपरि मानकर बैठ गए। जबकि, नागेन्द्र सिंह चुनाव जीतकर मंत्री बन गए। इसके बाद 2008 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने नागेंद्र सिंह पर भरोसा जताया और फिर जीते। इस बार उन्हें शिवराज सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल किया गया था।

15 साल बाद
2003 में नागौद की सियासत में दो महत्वपूर्ण चेहरा रहे नागेंद्र सिंह व उदय प्रताप सिंह आज भी क्षेत्र में खासा प्रभाव रखते हैं। लेकिन सियासी उठापटक के बाद उदय प्रताप सिंह वर्तमान में नगर परिषद अध्यक्ष हैं वहीं नागेन्द्र सिंह प्रदेश सरकार में करीब 8 साल मंत्री रहने के बाद वर्तमान में खजुराहो लोकसभा सीट से सांसद हैं। अब वे फिर नागौद से विस प्रत्याशी हैं।
(जैसा कि पार्षद इंद्रजीत गर्ग ने बताया)