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सतना

प्रसव पीड़ा से तड़प रही गर्भवती को नर्स ने भगाया बाहर, रक्त बहता रहा पर जिम्मेदारों ने एक नहीं सुनी

सीधी जिला अस्पताल का मामला, परिजन शिकायत लेकर पहुंचे कलेक्टर के पास, फिर निजी अस्पताल में जन्मी बच्ची

सतनाMay 20, 2019 / 03:57 pm

suresh mishra

pregnant women ask for 500 rupees for delivery in sidhi madhya pradesh

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सीधी। मध्यप्रदेश के सीधी जिला अस्पताल में मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। कहते हैं कि आदिवासी बाहुल्य जिले में गांव से लेकर शहर तक के अस्पतालों में आए दिन नर्सों को लेकर नए-नए कारनामे सामने आते है। लेकिन जो रविवार की रात 11 बजे हुआ उसको सुनकर चिकित्सा जगत के लोगों से आपका विश्वास ही उठ जाएगा। बताया गया कि सरकार से मोंटी रकम लेने वाली स्टाफ नर्सों ने कमीशन के चक्कर में प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती को जिला अस्पताल से धक्का देकर बाहर भगा दिया।
सूत्रों के अनुसार गर्भवती प्रसूता का गुनाह सिर्फ इतना था कि उसने दर्द को भूलकर नर्सों को रिश्वत का पैसा नहीं दिया। लाचार महिला घंटों तक रक्त के बहाव को भूलकर जिम्मेदारों से अस्पताल से बाहर निकालने का कारण पूछती रही, लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। महिला का दर्द देखकर अस्पताल में मौजूद लोग एक निजी नर्सिंग होम ले लए जहां एक ही मिनटों पर प्रसूता ने लाडो को जन्म दिया। दूसरे दिन पीडि़ता के वृद्ध ससुर कलेक्टर को मामले से अवगत कराया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कमीशन न देने पर बना दिया सीरियस
दरअसल, घरभरा निवासी गर्भवती आरती साकेत पति भगवानदीन रविवार की सुबह जिला अस्पताल में भर्ती हुई थी। जहां कमीशन के लिए पैसा ना होना जान की मुसीबत बन गया था। बताया गया कि किसी बात को लेकर गर्भवती के परिजन और स्टाफ नर्स की बहस हो गई। नर्स ने आनन-फानन में पीडि़ता के ससुर से बिना बताए अंगूठा लगवा कर महिला को रीवा के लिए रेफर का कागज बना दिया। रेफर का कारण पूछा तो नर्स ने कहा ज्यादा होशियारी किए हम यहां चिल्ला देंगे और आपको छेड़छाड़ एवं सरकारी काम में बाधा उत्पन्न करने के केस में तुमको अंदर करवा देंगे। फिर तेरी जमानत भी नहीं होगी।
कलेक्टर से फोन कर मदद की गुहार लगाई
डरा सहमा 75 वर्षीय ससुर और पीडि़ता का देवर कुछ समाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से सीधी कलेक्टर अभिषेक सिंह फोन करके मदद की गुहार लगाई। इधर महिला का रक्त देखकर स्टाफ नर्स से बिनती करता है कि मैडम बाहर चलकर थोड़ी देख लीजिए। बहुत रक्त बह रहा है। मेरी बहू मर जाएगी, लेकिन स्टाफ नर्स का दिल नहीं पसीजा और ना ही वह बाहर आई। इसके बाद पीडि़ता के ससुर कुछ रिश्तेदार की मदद से एक निजी अस्पताल पैदल ले गए। लेकर उसको वाहन तक नहीं नसीब हुआ। निजी अस्पताल में प्रसूता ने 10 मिनट के बाद एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया।

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