
Putting the 'arbitrary' curtain on the death of pregnant
सतना। जिले का स्वास्थ्य महकमा गर्भवती और शिशुओं की मौत को 'रहस्य' बनाने में जुटा है। हालात यह हैं कि ब्लॉक स्तर के जिम्मेदार मुख्यालय और संचालनालय को किसी भी प्रकार की जानकारी भेजने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इस कारण मौत की सही वजह सामने नहीं आ पा रही है। अधीनस्थों की इस लापरवाही पर जिले के जिम्मेदार भी पर्दा डालने का काम करते हैं। यही वजह है कि आज तक किसी भी लापरवाह अधिकारी-कर्मचारी पर कार्रवाई नहीं हो सकी है।
दरअसल, स्वास्थ्य महकमे द्वारा जनवरी में मातृ-शिशु दर कम करने चिकित्सा सुविधाओं की समीक्षा की गई। इस दौरान सामने आया कि सभी विकासखंडों द्वारा गर्भवती और शिशुओं की मौत की जानकारी नहीं भेजी जा रही है। उचेहरा, मझगवां और अमरपाटन द्वारा जानबूझकर मौत की हकीकत पर पर्दा डाला जा रहा है। बीते चार माह से इस संबंध में किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं भेजी गई है।
सख्ती भी बेअसर
कलेक्टर और सीएमएचओ ने अमरपाटन, उचेहरा और मझगवां विकासखंड द्वारा मौत पर पर्दा डालने के मामले को गंभीरता से लिया गया। विकासखंड चिकित्सा अधिकारियों को गर्भवती और शिशुओं के मौत की जानकारी शीघ्र भेजने निर्देशित किया गया, लेकिन दो माह बीत जाने के बाद भी संबंधित विकासखंडों से जानकारी नहीं भेजी गई है। कलेक्टर और सीएमएचओ की सख्ती भी बेअसर साबित हो रही है।
कोशिश नाकाम
स्वास्थ्य महकमे द्वारा अप्रेल से दिसंबर 17 तक गर्भवती और शिशुओं की मौत की रिपोर्ट जारी की गई। इसमें सामने आया कि बीते नौ माह में 28 गर्भवती की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा मौत उचेहरा और मझगवां में 8-8 हुई। जबकि मैहर में 4, रामनगर में ३ और नागौद में 2 गर्भवती की मौत दर्ज की गई। अमरपाटन, उचेहरा और मझगवां में मौत की कोई जानकारी मुख्यालय नहीं भेजी गई। इस कारण वजह का पता नहीं लग पाया।
हकीकत
गर्भवती की मौत
अमरपाटन - 01
मझगवां - 08
मैहर - 04
नागौद - 02
रामनगर - 03
सतना - 01
उचेहरा - 08
कुल - 27
Published on:
22 Mar 2018 12:30 pm
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