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जेपी सायडिंग बेला में पटरी से उतरा मालगाड़ी का इंजन, रेलवे में फिर डिरेलमेंट

बड़ा हादसा टला: राहत के लिए सतना से भेजी गई एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन, इंजन को ट्रैक पर लाने घंटों हुई मशक्क्त

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rail engine derailment in satna

rail engine derailment in satna

सतना। जबलपुर मंडल में सेफ्टी के लिए अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदम के बाद भी दुर्घटनाओं में कमी नहीं आ रही है। पश्चिम मध्य रेल के सतना सेक्शन में एक बार फिर डिरेलमेंट की घटना हुई। गुरुवार को एक मालगाड़ी का इंजन पटरी से उतर गया। हादसे से जनहानि तो नहीं हुई लेकिन रेक्स्यू व मेंटीनेंस के कार्य में लाखों की चपत आने का अनुमान लगाया जा रहा है। घटना के बाद सतना से लेकर जबलपुर तक हड़कम्प मचा रहा।

आनन-फानन में सतना स्टेशन में दुर्घटना का हूटर बजते ही अधिकारी एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन को लेकर मौके पर पहुंचे। वहां घंटों की मशक्कत के बाद इंजन को दोबारा पटरी पर लाया जा सका।

तेज आवाज के साथ इंजन पटरी से नीचे उतर गया

जानकारी के अनुसार, सतना-रीवा रेलखंड में गुरुवार की दोपहर करीब एक बजे तुर्की स्टेशन के पास जेपी सायडिंग बेला में मालगाड़ी के इंजन का पहिया पटरी से उतर गया। 42 बीसीएन की मालगाड़ी लोडिंग के लिए बेला स्थित जेपी सीमेंट फैक्ट्री जा रही थी। मालगाड़ी धीरे-धीरे यार्ड की ओर बढ़ ही रही थी कि अचानक एक तेज आवाज के साथ इंजन पटरी से नीचे उतर गया। हादसे के बाद सतना से करीब 9.30 बजे एआरटी लेकर पहुंचे एरिया मैनेजर मृत्युंजय कुमार सहित मूवमेंट इंस्पेक्टर व ट्रैफिक इंस्पेक्टर की निगरानी में इंजन को दोबारा ट्रैक पर लाने का काम हुआ।

कंपनी से होगी नुकसान की भरपाई
रेलवे से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सायडिंग में होने वाले डिरेलमेंट जैसे हादसों के लिए कंपनी प्रबंधन की जवाबदेही होती है। मालगाड़ी के इंजन के पटरी से उतरने के बाद जो भी नुकसान का आकलन होगा उसकी भरपाई रेलवे कंपनी प्रबंधन से कराएगा।

हादसे की वजह साफ नहीं, जांच के निर्देश
मानिकपुर में 24 नवम्बर को वास्कोडिगामा-पटना के डिरेलमेंट के बाद रेल संरक्षा को लेकर की जा रही तमाम कवायदों के बीच इंजन का पटारी से उतरना रेलवे के लिए एक झटका माना जा रहा है। मालगाड़ी का इंजन किस वजह से पटरी पर उतरा? उसकी वजह साफ नहीं है। सूत्रों की मानें तो घटना की जांच के लिए रेलवे ने ज्वॉइंट टीम बना दी है, जो घटना के वास्तविक कारणों का पता लगाकर कार्रवाई करेगी। सूत्रों के अनुसार इंजन के डिरेलमेंट की वजह ओवरहॉलिंग की कमी या फिर पटरी पर गिट्टी का आना हो सकता है।

हादसों से सबक नहीं
1. 2 फरवरी : रीवा से भोपाल की ओर जाने वाली 12186 रेवांचल एक्सप्रेस का इंजन रीवा स्टेशन में शंटिंग के दौरान डिरेल हुआ था। इसके बाद सतना से क्रेन और एक्सीडेंटल रिलीव ट्रेन बुलाई गई थी। इंजन के आगे के 6 पहिए पटरी से नीचे उतर गए थे। पीछे के 2 पहिए नीचे उतर गए थे। उस दिन रात १० बजे उक्त ट्रेन रीवा से रवाना की गई थी।

2. 2 फरवरी : कटनी सतना रेलखंड में पतवारा के पास संघमित्रा एक्सप्रेस हादसे का शिकार होते-होते बची थी। कटनी से सतना आ रही उक्त ट्रेन की टक्कर पतवारा के पास फाटक नंबर ३५८ में एक डंपर से हो गई थी। हादसे में डम्पर के परखच्चे उड़ गए थे वहीं टे्रन बाल-बाल बची थी। घटना के दौरान कटनी-सतना रूट पर कई घंटों ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ था।

3. 19 अप्रैल : मेंटीनेंस के लिए यार्ड जा रही मालगाड़ी के 3 डिब्बे पटरी से उतर गए। घटना रात तकरीबन 8.20 बजे हुई थी। जानकारी के मुताबिक सतना के आरओएच डिपो से निकल कर मालगाड़ी को मेंटीनेंस के लिए यार्ड ले जाया जा रहा था। गाड़ी में लगे इंजन से 7 बोगी लगी थीं। जब गाड़ी चेंज लीवर से गुजर रही थी तभी अचानक गाड़ी के तीन कोच के पहिए पटरी से उतर गए।

4. 12 सितम्बर : सतना से सीमेंट लेकर रायबरेली गई मालगाड़ी के तीन डिब्बे पटरी से उतरने पर हड़कंप मच गया था। डिरेलमेंट की घटना पश्चिम मध्य रेल में नहीं हुई थी लेकिन सूत्रों के अनुसार उत्तर रेलवे के अधिकारियों ने मालगाड़ी कीओवरहॉलिंग नहीं होने के चलते हादसे की वजह बताया था। इसी माह सतना यार्ड में खड़े डिब्बों पर पीछे से मालगाड़ी द्वारा ठोकर मारने की घटना भी सामने आई थी।