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आकाश से उड़ती पिच्छी मंच तक देखकर बना कौतूहल

मुनि प्रमाणसागर एवं मुनि विराटसागर की पिच्छी परिवर्तन के हजारों लोग साक्षी बने। इस दौरान जयघोष की गूंज होती रही। आचार्य विद्यासागर तपोवन आंतेड़ छतरी मन्दिर वैशाली नगर के विशाल पाण्डाल में स्थानीय एवं देश-विदेश के हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया।

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सतना

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raktim tiwari

Dec 12, 2016

मुनि प्रमाणसागर एवं मुनि विराटसागर की पिच्छी परिवर्तन के हजारों लोग साक्षी बने। इस दौरान जयघोष की गूंज होती रही। आचार्य विद्यासागर तपोवन आंतेड़ छतरी मन्दिर वैशाली नगर के विशाल पाण्डाल में स्थानीय एवं देश-विदेश के हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया।

प्रवचनों में मुनि प्रमाणसागर ने कहा कि जीवन में सदैव खुशबू चाहते हो तो सही सोचें,सुन्दर सोचें, सही देखें, सुन्दर देखें, सही बोलें, सुन्दर बोलें, सही करें, सुन्दर करें, जिनवाणी का निचोड़ एवं शास्त्रों का सार यही है। हमारी सोच हमारे सुन्दर जीवन की आधारशिला है। बुराई देखें नहीं, दिखाई दे तो अनदेखा करें। कम बोलें, जरूरत से ज्यादा न बोलें। ऐसा बोलें कि सामने वाले का हृदय खिल उठे।

मुनि विराटसागर ने कहा कि भोग भूमि में कल्पवृक्ष होते थे। व्यक्ति याचना करता तो पूरी हो जाती। फि र कर्म प्रदान युग आया जिसमें पुरुषार्थ करने पर ही मिलता है। आज भी आपके जीवन में एक नहीं, दो कल्पवृक्ष माता-पिता के रूप में मिले।

उन्होंने कहा कि पूरे ब्रह्मांड में माता-पिता ही ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें पीड़ा देने पर भी प्यार व आशीर्वाद देते हैं। माता-पिता की छांव में संतान वटवृक्ष की छांव की तरह सुरक्षित रहती है।

समारोह के विशिष्ट अतिथि अजमेर प्राधिकरण अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा, विनय-विजय सोगानी, सुनिल-अनिल भैंसा, पवन जैन आदि का समिति के स्वागताध्यक्ष पुखराज पहाडिय़ा, प्रकाश पाटनी, ज्ञानचंद गदिया द्वारा स्वागत किया गया। समिति के अध्यक्ष प्रमोदचंद सोनी एवं महामंत्री अजय दनगसिया ने चातुर्मास के सहयोगियों का आभार जताया।

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