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किष्किंधा कांड/ इन 4 चार लोगों को अगर कोई बुरी नजर से देखें तो मारने पर नहीं है पाप

मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का कहना है कि धर्म की रक्षा के लिए किया गया गलत काम भी सही होता है। जो भी दुष्ट प्राणी छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और बेटी को बुरी नजर से देखता है उसे मारने में कोई पाप नहीं है

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Ramcharitmanas: Kishkindha Kand interesting facts from ramayana

Ramcharitmanas: Kishkindha Kand interesting facts from ramayana

सतना/ मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम (Bhagwan Shri Ram) का कहना है कि धर्म की रक्षा के लिए किया गया गलत काम भी सही होता है। जो भी दुष्ट प्राणी छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और बेटी को बुरी नजर से देखता है उसे मारने में कोई पाप नहीं है। उक्त बातें प्रभू श्री राम ( Shri Ram ) ने रामचरितमानस ( Ramcharitmanas ) के किष्किंधा कांड ( Kishkindha Kand ) में बाली का वध ( Bali Vadh ) करते समय कही थी।

क्योंकि बाली ने अपने छोटे भाई सुग्रीव को न केवल राज्य से निकाल दिया था बल्कि उसकी पत्नी को भी छीन लिया था। इसलिए भगवान क्रोधित होकर बाली का वध कर दिया। मरते समय बाली ने भगवान राम से पूछा कि 'धर्म हेतु अवतरेहु गोसाई। मारेहु मोहि ब्याध की नाईं।।' अर्थात-हे राम आपने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया, लेकिन मुझे शिकारी की तरह छुपकर क्यों मारा।

राम ने दिया था ये जबाव
बाली का वध करने के बाद उसके प्रश्नों के उत्तर देते हुए श्रीराम ने कहा था कि 'अनुज बधू भगिनी सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी।। इन्हहि कुदृष्टि बिलाकइ जोई। ताहि बंधें कुछ पाप न होई।।' अर्थात- श्रीराम जी कहते हैं कि छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और बेटी ये चारों समान हैं। इनको जो बुरी नजर से देखता है उसे मारने में कोई पाप नहीं है।

ये है बाली की कथा
बता दें कि, बाली ने सुग्रीव को न केवल राज्य से निकाला था, बल्कि उसकी पत्नी को भी छीन लिया था। जब भगवान राम और सुग्रीव की मित्रता हुई और सुग्रीव ने भगवान से आप बीती बताई तो भगवान क्रोधित हो गए। भगवान का क्रोध बस इसलिए था क्योंकि जो व्यक्ति स्त्री का सम्मान नहीं करता उसे सामने से मारने या छुपकर मारने में कोई अंतर नहीं है। मूल बात है उसे दंड मिले। आखिरकार भगवान ने बाली को दंड भी दिया।

बाली को था ब्रह्मा का वरदान
रामायण के अनुसार बाली की तपस्या से खुश होकर ब्रह्मा जी एक अनोखा वरदान दिया था। वरदान इस तरह का था कि कोई भी व्यक्ति सामने से युद्ध करेगा तो उसकी आधी ताकत बाली के शरीर में चली जाएगी। इसलिए पूरे दुनिया के योद्धा बाली से डरते थे। कोई भी उसके सामने नहीं टिक पाता था।

रावण का भी हरा चुका था बाली
बाली के पराक्रम के बारे में सुनकर एक बार रावण बालि से युद्ध करने पहुंचा। बालि उस समय पूजा कर रहा था। लेकिन रावण लगातार बाली को ललकार रहा था, जिससे बालि की पूजा में बाधा उत्पन्न हो रही थी। इससे नाराज होकर बाली ने रावण को अपनी बाजू में दबा कर चारों समुद्रों की परिक्रमा की थी। रावण ने छूटने की बहुत कोशिश की लेकिन छूट ना सका। पूजा के बाद बालि ने रावण को छोड़ दिया था। इसके बाद रावण ने बाली से मित्रता करली थी।