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Ramnagar Power Grid Case: सात दिन से टावर पर चढ़े किसानों को मनाने गया प्रशासन, फिर भी नहीं माने

फंदा लेकर पावर ग्रिड के टावर पर बैठे हैं किसान

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Ramnagar Power Grid Case: saat din se tower me chadte kisan

Ramnagar Power Grid Case: saat din se tower me chadte kisan

सतना। सात दिन से जिले के रामनगरके इटमा में टावर पर चढ़े किसान प्रशासन की समझाइश के बाद भी नीचे नहीं उतरे हैं। उनका कहना है कि इलाके के सभी प्रभावित किसानों को मुआवजा नहीं मिलने तक कोई आश्वासन नहीं माना जाएगा। किसानों को मनाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी शुक्रवार शाम को मौके पर पहुंचे। यहां उन्होंने किसानों को समझाइश देते हुए नीचे उतरने को कहा, लेकिन किसान बिना मुआवजा वितरण के नीचे उतरने को तैयार नहीं हैं। किसानों की मांग है कि जिलेभर के प्रभावित किसानों का मुआवजा वितरित किया जाए। वे सिर्फ अपनी ही बात करने को तैयार नहीं हैं।

द्विपक्षीय वार्ता में उन्होंने दो दिन में ऐसे सभी लंबित प्रकरणों के निराकरण का आश्वासन दिया है।
हालांकि इस वार्ता के बाद भी टावर पर चढ़े किसान उतरने को तैयार नहीं है। एसडीएम ने शनिवार की दोपहर तक पावर ग्रिड के अधिकारियों से सभी टावरों के भुगतान का पूरा ब्यौरा तलब कर लिया है। 25 नवंबर को रामनगर के बड़ा इटमा गांव के तीन किसान देवेंद्र सिंह, आदित्य चतुर्वेदी और रविकांत द्विवेदी राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के बैनर तले टावर पर चढ़ कर प्रदर्शन करने लगे।

वे अपने साथ रस्सी से फंदा भी लेकर चढ़ेे। वे लगातार चेतावनी देते रहे हैं कि मांग नहीं मांगी गई, तो फंदा लगाकर टावरपर आत्महत्या कर लेंगे। लेकिन, चुनाव का हवाला देकर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। पांच दिन तक किसान टावर पर चढ़े रहे। जब ये खबरें मीडिया में आई, तो आधिकारियों की नींद खुली और शुक्रवार शाम 3 बजे एसडीएम आशीष सांगवान, तहसीलदार मानवेंद्र सिंह, एसडीओपी मैहर सहित पावर ग्रिड के अधिकारी मौके पर पहुंचे। जहां वे किसानों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन किसान सुनने को तैयार नहीं हैं।

क्या है मामला
दरअसल, पावर ग्रिड की ओर से विंध्यांचल से जबलपुर तक 765 केवीए की ट्रांसमिशन लाइन खींच रहा है। लेकिन, उसकी ओर से मुआवजा वितरण में मनमानी की जा रही है। पिछले एक साल से स्पष्ट नीति तक किसानों के सामने नहीं रखी गई। वहीं किसान के अनुमति के बगैर ही खेत में टावर गाडऩे का काम तक शुरू कर दिया गया। इससे किसान लगातार नाराज चल रहे हैं। सालभर के अंदर कई तरह से प्रदर्शन किया गया। पहले 200 किसानों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंप इच्छामृत्यु की मांग की, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। फिर किसानों ने टावर पर चढ़कर प्रदर्शन किया। यह सिलसिला लगातार चला, लेकिन उसके बावजूद जिला प्रशासन मामले को दबाने में लगा रहा। पुलिस ने करीब 200 किसानों के खिलाफ विभिन्न प्रदर्शन और विवाद को लेकर अलग-अलग मामले में एफआइआर दर्ज की। किसानों का आरोप है कि पावर ग्रिड के अधिकारियों के कहने पर झूठे मुकदमे फंसाया है।

पांच चरणों में मिलता है मुआवजा और नुकसानी
- पहला : टॉवर के लिये बेस तैयार करने में उपयोग होने वाली भूमि का कलेक्टर रेट का 85 फीसदी दर से मुआवजा
- दूसरा : फाउण्डेशन तैयार करने में फसल नुकसानी की राशि
- तीसरा : टॉवर खड़ा करने के दौरान फसल नुकसानी की राशि
- चौथा : तार खींचते के दौरान तार के नीचे दोनों ओर 33 फीट का 15 फीसदी दर से मुआवजा
- पांचवा : तार लगने पर 15 दिन के अन्दर इससे हुई फसल नुकसानी का भुगतान

यह है स्थिति
एसडीएम आशीष सांगवान ने बताया कि इस क्षेत्र में 100 टावर लगने हैं। पावरग्रिड के अधिकारियों को कहा गया है कि वे इन सभी टावरों के चरण वार भुगतान की स्थिति की पूरी जानकारी तैयार कर लें। शनिवार को उन्हें समक्ष में प्रस्तुत करें। अगले दिन लंबित सभी मुआवजे और नुकसानी का भुगतान कराया जाएगा। किसी भी चरण में लंबित भुगतान पर आगे का काम भुगतान के बाद कराएंगे। उन्होंने लंबित भुगतान पर नाराजगी भी जाहिर की।

आप कोर्ट जाओ
वार्ता के दौरान स्थिति ऐसी बनी जब किसानों ने कम मुआवजा वितरण की बात कही। तहसीलदार ने कहा कि मुआवजा वितरण केन्द्र सरकार के कानून के तहत ही होता है। यदि कोई आपत्ति है तो आप कोर्ट जाएं। लेकिन इस मसले पर हम मदद नहीं कर सकेंगे। राष्ट्रीय महत्व के इस कार्य को समय पर करना हमारी बाध्यता है। लिहाजा हम तो हर हाल और स्थिति में यह काम करवाएंगे। रही बात मुआवजा न मिलने की तो उस पर हम गंभीर है। और दो दिन में इसे पूरा करवाया जाएगा।

जिला प्रशासन ने पहले भी नहीं सुनी
किसानों का मुआवजा वितरित किए बगैर काम हो रहा है। इससे पहले भी पावर ग्रिड ने जो ट्रांसमिशन लाइन खींची हैं, उसके प्रभावित किसानों को शत-प्रतिशत मुआवजा नहीं मिला है। जिला प्रशासन लगातार आश्वासन देता रहा। पहले प्रदर्शन के दौरान कहा गया कि बिना मुआवजा काम नहीं होगा, लेकिन पावर ग्रिड काम करता रहा।

हमारी एक एकड़ जमीन है, बिना सूचना के ही हमारी जमीन पर चोरी से गड्ढा बनाकर टावर गाड़ दिया। सतना और रामनगर के साथ सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की। पर अभी तक कोई हल नहीं निकला। पुलिस भी उन्हीं का साथ दे रही है।
- कौशल्या प्रजापति