
RCMS of Revenue Department became uncontrollable
सतना. मध्यप्रदेश शासन का वेब आधारित ई-गवर्नेंस पहले रेवेन्यू कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम बुधवार को बेकाबू हो गया। इसमें आई गंभीर तकनीकि खराबी के कारण सभी राजस्व प्रकरण पोर्टल में मनमानी दर्ज होने शुरू हो गए। शुरुआत में सतना जिले के तकनीकि अमले ने समझा कि यह उनके कम्प्यूटर की समस्या है। लेकिन जब इसे वरिष्ठ तकनीकि अधिकारियों को बताया गया तो जाकर पता चला कि यह समस्या पूरे प्रदेश में आ रही है। आनन फानन में इसकी जानकारी विभाग के तकनीकि विशेषज्ञों को दी गई है। हालात को देखते हुए इसके सुधार पर युद्ध स्तर पर प्रयास शुरू कर दिये गए हैं। लेकिन खबर लिखे जाने तक स्थिति में सुधार नहीं आ पाया है।
दोपहर बाद मचा हड़कम्प
बुधवार को दोपहर बाद से तहसीलदार कोर्ट में मौजूद आपरेटरों ने प्रकरणों के पंजीयन प्रक्रिया पर गौर किया तो पाया कि प्रकरण बिना जांच के सीधे पीठासीन अधिकारी की आईडी में रजिस्टर्ड हो रहे हैं। इतना ही नहीं दर्ज प्रकरणों के निराकरण में भी पाया गया कि लगातार 'एरर' आने शुरू हो गए हैं। इसके बाद तो जिले की सभी तहसीलों में इस तरह की समस्याएं सामने आने लगी। इसकी जानकारी जिला स्तर पर मौजूद तकनीकि अमले को दी गई तो उन्होंने भी इस पर काम शुरू किया, लेकिन समस्या निराकृत नहीं हुई। बाद में पता चला कि यह समस्या पूरे प्रदेश में है। इसके बाद प्रदेश स्तर के तकनीकि विशेषज्ञ इस समस्या के सुधार में जुट गए हैं।
इस तरह सिस्टम हुआ बेकाबू
कोई भी आवेदन या तो हितबद्ध पक्षकार पब्लिक डोमेन के माध्यम से देता है या फिर लोक सेवा गारंटी केन्द्र से आता है या फिर पटवारी स्तर से आता है। इसके बाद रीडर आईडी में यह जाता है। जहां आवेदन और उससे संबंधित दस्तावेज चेक किये जाते हैं। जिसके आधार पर निर्णय लिया जाता है कि आवेदन स्वीकार होगा या नहीं। स्वीकार्य की दशा में यह समय सीमा वाला आवेदन है या सामान्य इस आधार पर उसे पीठासीन आईडी में रजिस्टर्ड किया जाता है। लेकिन बुधवार से आवेदन दर्ज करते ही सीधे पीठासीन की आईडी में जाकर अपने आप प्रकरण रजिस्टर्ड होने लगा है। सत्यापन प्रक्रिया सिस्टम में निष्प्रभावी हो गई है। इतना ही नहीं दर्ज प्रकरणों को डिस्पोज करने में भी एरर आनी शुरू हो गई है।
यह है नुकसान
प्रकरण सीधे दर्ज होने से अनावश्यक के प्रकरण भी दर्ज हो रहे हैं तो समय सीमा बाध्य प्रकरणों का भी पता नहीं चल पा रहा है। क्योंकि सीधे रजिस्टर्ड होने से यह पता नहीं चल पा रहा है कि प्रकरण किस आईडी से किस प्रकृति का आया है।
यह समस्याएं सामने आ रहीं
Published on:
09 Sept 2021 12:51 am
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