
Rights of children killed by group operator
सतना। बच्चों को पोषक आहार देने के लिए प्रदेश में मध्याह्न भोजन की योजना चलाई जा रही है। लेकिन जिले के रामपुर व मझगवां ब्लॉक के स्कूलों में हकीकत इसके उलट देखने को मिली। ज्यादातर शासकीय स्कूलों की मध्याह्न भोजन वितरण व्यवस्था में मनमानी की स्थिति देखने को मिली। कहीं पानी की किल्लत का बहाना तो कहीं बच्चों की कमी समूह संचालक मासूमों का हक मारने का काम कर रहे हैं।
बच्चों को मेन्यू के मुताबिक तो दूर मानक मात्रा में भी खाना नहीं मिल रहा है। मध्याह्न भोजन संचालित करने वाले स्व सहायता समूह के अधिकारियों की मिलीभगत से बच्चों का हक मारने का काम हो रहा है। इन योजनाओं की मॉनीटरिंग करने वाले अधिकारी ही पैसों की लालच में आंखे फेरकर गड़बड़ी का लाइसेंस दे देते हैं, इसका खामियाजा बच्चों को भूखे रहकर उठाना पड़ता है।
स्कूलों के मध्याह्न भोजन का हाल
टिकुरी रखौंधा:
रसोइया बोली-बर्तन हम क्यों धोएं, बच्चों ने ही साफ की थाली
रामपुर ब्लॉक के शासकीय प्राथमिक शाला कैंप टिकुरी रखौंधा में दोपहर में मध्याह्न भोजन के रूप में खीर बनी थी। जब रसोइयां सीमा सतनामी से पूछा गया कि कौन से दूध की खीर बनी है तो उसने बताया सागर दूध की। लेकिन किचन में इसके खाली पैकेट तक नहीं मिले। इस पर जवाब दिया कि वह घर से ही घोल कर लाई थी। जबकि खीर को देखने से ही पता चल रहा था कि खीर के नाम पर चावल पका कर रख दिया गया है। उसमें दूध नाम की चीज नजर ही नहीं आ रही थी।
वहीं दूसरी ओर छोटे-छोटे बच्चे स्वयं हैण्डपम्प चलाकर अपनी थालियां धुल रहे थे। रसोइयां से पूछा गया तो कहा, मैं एक साल बर्तन धुली हूं अब नहीं धुलती। यह काम बच्चों का है वह स्वयं खाएं और अपने बर्तन धुलें। मझगवां विकास खण्ड की शासकीय प्राथमिक शाला रिमारी (कुम्हरान टोला) में भी कुछ एेसा ही हाल देखने को मिला। जहां बच्चे भोजन करने के बाद अपनी थाली धोते नजर आए।
बहेरा: एक सप्ताह से नहीं बना मध्याह्न भोजन
मझगवां जनपद की माध्यमिक शाला बहेरा के प्रभारी प्राचार्य लालाराम वर्मा ने बताया, एक सप्ताह से ज्यादा हो गया भोजन नहीं बना। रसोइयां पानी भर के चली जाती हैं। दुर्गा स्व सहायता समूह से मध्याह्न भोजन की सामग्री आती ही नहीं है। समूह की अध्यक्ष सीता द्विवेदी हैं।
पडुहार गौटियन टोला में भोजन तो दूर पानी भी घर से लेकर आते हें बच्चे
शिक्षा गारंटी शाला पडुहार गौटियन टोला में पानी तो दूर बच्चों को पानी भी घर से ही लाना पड़ता है। शिक्षकाओं ने बताया कि पानी की बहुत किल्लत है। जिसके कारण न तो समूह से खाद्य सामग्री आती न रसोइयां खाना बनाती हैं। बच्चे घर से पानी की बोतल व खाना लेकर आते हैं। कुछ बच्चे घर जाकर खाते हैं। शिक्षिकाएं 1.30 पर स्कूल की छुट्टी कर अपने-अपने घर चली जाती हैं।
हरिहरपुर में लंच के बाद कर दी जाती है छुट्टी: प्राथमिक शाला हरिहरपुर में भोजन तो बनता तो हैं लेकिन पानी पीने घर जाना पड़ता है। हेडमास्टर ने बताया कि लंच के बाद बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है, क्योंकि वह बार-बार पानी मांगते हैं।
रिछहरी: 12.45 बजे सामग्री का इंतजार
शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय रिछहरी में जनशिक्षा केंद्र गुडुहुरु, संकुल सज्जनपुर में जब पत्रिका टीम दोपहर 12.45 मिनट बजे पहुंची तो वहां पर मध्याह्न भोजन योजना का चूल्हा ठंडा मिला। रसोइयां एवं शिक्षकों से पूछने पर पता चला कि यहां पर डढि़या के योगेन्द्र सिंह का एकता समूह है, समूह से अभी तक मध्याह्न भोजन बनाने के लिए खाद्य सामग्री ही नहीं आई है। पूछने पर पता चला कि यही हाल आए दिन का रहता है। जबकि बच्चों के भोजन करने का समय १ से २ बजे तक का है। वहीं शिक्षकों का कहना था कि यहां पर मेन्यू के हिसाब से कभी मध्याह्न भोजन बनता ही नहीं है।
Published on:
15 Mar 2018 09:52 pm
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