सरकारी स्कूल के बच्चे धूल लगी परखनली और पीपेट से बाहर निकल कर एक ऐसी लैब में काम करें जहां उनके इनोवेशन, क्रिएटीविटी और वैज्ञानिक पहलुओं को बढ़ावा मिले और यहां युवा वैज्ञानिक तैयार हों। इसके लिए मोदी सरकार ने अटल एनोवेशन मिशन के तहत अटल टिकरिंग लैब की शुरुआत की। यह लैब देश के चुनिंदा 10 हजार स्कूलों में बनाई जानी थी। इसमें से एक लैब मैहर के उत्कृष्ट उमावि में भी बननी थी। केन्द्र सरकार ने इसके लिए 12 लाख रुपये की पहली किस्त भी दे दी। लेकिन मैहर के प्राचार्य को ये सब रास नहीं आया और...
सतना। मैहर के एक्सीलेंस विद्यालय प्रबंधन ने शैक्षणिक व्यवस्था के मामले में विद्यालय को पूरे देश के सामने शर्मिंदा कर दिया है। भारत सरकार के नीति आयोग ने लैब निर्माण के लिए दी गई 12 लाख की राशि लैब निर्माण में असफल रहने पर 11.50 फीसदी ब्याज के साथ वापस मांग ली है। इसको लेकर हड़कम्प मच गया है। क्योंकि यह राशि देशभर के चुनिंदा 10 हजार विद्यालयों को दी गई थी। इसका उद्देश्य छात्रों के मन में जिज्ञासा, रचनात्मकता और कल्पना को बढ़ावा देने सहित डिजाइन मानसिकता, कम्प्यूटेशनल सोच, अनुकूली शिक्षा, भौतिक कंप्यूटिंग जैसे कौशल विकसित करना था। इस असफलता को लेकर डीईओ ने अब आनन फानन में दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है।
नीति आयोग का चुनिंदा स्कूलों के लिए था फैसला
भारत सरकार ने नीति आयोग के सहयोग से अटल इनोवेशन मिशन के तहत देश के चुनिंदा स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब स्थापना का निर्णय 2019 में लिया था। इसमें मैहर का उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भी शामिल रहा। विद्यालय को 12 लाख रुपये का पहला अनुदान देने के साथ ही लैब निर्माण की मार्गदर्शिका सहित अन्य जानकारी दी गई। इसमें साढ़े 9 लाख रुपये में उपकरण लेने थे, शेष में प्रशिक्षण व अन्य स्थापना संबंधी गतिविधियां करनी थी।
केन्द्र की जांच में पकड़ा गया गड़बड़झाला
चूंकि राशि केन्द्र सरकार ने जारी की थी। लिहाजा केन्द्र ने अपने स्तर पर इसका निरीक्षण किया। जिसमें पाया कि उत्कृष्ट विद्यालय मैहर लैब स्थापना के मामले में अटल एनोवेशन मिशन के दिशा निर्देशों के पालन में असफल रहा है। इसके बाद इन कमियों को दूर करने के लिए कई बार पत्राचार किया गया लेकिन विद्यालय प्रबंधन ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। इतना ही नहीं, विद्यालय प्रबंधन ने कोई सुधारात्मक कार्रवाई भी नहीं की।
ब्याज सहित वापस मांगी राशि
केन्द्र सरकारी की ध्वजवाही योजना पर गंभीरता नहीं दिखाने और मिशन में असफल रहने पर अब अटल इनोवेशन मिशन नीति आयोग भारत सरकार के मिशन निदेशक डॉ चैतन्य वैष्णव ने दिए गए 12 लाख रुपये 11.50 फीसदी ब्याज के साथ वापस मांगे हैं। जिस दौर पर यह राशि दी गई थी उस दौरान यहां के प्राचार्य वीरेन्द्र पाण्डेय रहे हैं।
देंगे जांच रिपोर्ट
मामले की जांच के लिए डीईओ ने गरुण प्रताप सिंह व्याख्याता एमएलबी और एनके द्विवेदी उमाशि कन्या अमरपाटन को शामिल करते हुए जांच टीम गठित की है। ये पूरे मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट डीईओ को सौंपेगे। इसके बाद राशि के दुरुपयोग को लेकर अग्रिम निर्णय लिया जाएगा।